Mission Aditya L-1: चांद से दोस्ती के बाद भारत का सूर्य नमस्कार, जानें कब लॉन्च होगा आदित्य एल-1

Mission Aditya L-1: चंद्रमा से दोस्ती करने के बाद हमारा देश अब सूर्य नमस्कार करने वाला है। यानी अब भारत की स्पेस एजेंसी इसरो मिशन आदित्य एल-1 को लॉन्च करने की तैयारी में है। सूरज के रहस्य से पर्दा उठाने के लिए इसरो (ISRO) ने अपना मिशन शुरू कर दिया है। इस कड़ी में अब सूर्य का अध्ययन करने के लिए कुछ दिन पहले सैटेलाइट की पहली तस्वीर जारी की गई थी, जो प्रक्षेपण के लिए श्रीहरिकोटा पहुंच चुका है।
कई लोगों के मन में यह सवाल उठ रहा होगा कि यह कब तक और कहां से लॉन्च किया जाएगा? सूर्य के अध्ययन के लिए इससे पहले कौन सा यान भेजा गया? इस मिशन का नाम क्या है? इन सवालों के जवाब अक्टूबर 2023 के बाद ही मिल सकता है। भारत की अंतरिक्ष एजेंसी इसरो आदित्य एल-1 को लॉन्च करने के मिशन को अंतिम रूप देने देने वाला है। जब हमारे देश के लोग मिशन चंद्रयान-3 के सफल लैंडिंग की खुशी मना रहे होंगे तो इसरो आंध्र प्रदेश स्थित श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष स्टेशन से आदित्य एल-1 लांच करने की संभावना पर काम चल रहा होगा। आदित्य एल-1 श्रीहरिकोटा पहुंच चुका है। अभी तक की योजनानुसार सूर्य के अध्ययन के लिए देश का यह पहला मिशन सितंबर के पहले हफ्ते में लॉन्च किया जा सकता है।
सितंबर के पहले हफ्ते में शुरू हो सकता है मिशन
गौरतलब है कि सूर्य हमारा सबसे करीबी और सौरमंडल का सबसे बड़ा ऊर्जा का स्त्रोत है। यह हाइड्रोजन और हीलियम गैसों का जलता हुआ गोला है, जिसकी आयु करीब 4.5 बिलियन साल है। धरती से सूर्य की दूरी करीब 150 मिलियन दूर होने की संभावना लगाई जाती है। अगले महीने के पहले हफ्ते में मिशन आदित्य एल-1 पर काम शुरू हो सकता है। इसके लिए इसरो 1500 किलो वजन के रोबोटिक सैटेलाइट तैयार कर रहा है। वैज्ञानिक का कहना है कि आदित्य एल-1 सूर्य का अध्ययन करेगा। यह पृथ्वी से 15 लाख किमी की दूरी तय करके सूर्य की कक्षा में पहुंचेगा।
मिशन का उद्देश्य सूर्य से जुड़े रहस्य को समझना
इसरो का मानना है कि इस आर्बिट में सैटेलाइट को स्थापित करने का उद्देश्य यह है कि यहां से लगातार सूर्य पर नजर रखी जा सकती है। यह वो जगह है, जहां सूर्य ग्रहण का कोई असर नहीं होता है। मिशन आदित्य एल-1 के जरिए सौरमण्डल के ऊपरी वायुमण्डल में गतिशीलता का पता लगाया जाएगा। इससे सूर्य की गर्मी से जुड़े रहस्य को समझने में सहायता मिलेगी। साथ ही अंतरिक्ष में मौसम परिवर्तन आसानी पता लगाए जा सकेंगे। इसके अलावा मिशन का महत्वपूर्ण उद्देश्य सूर्य के विस्तार, प्रभाव और ताप को समझना भी है।
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