Chandrayaan-3 Mission को सफल बनाने वाले हीरो के बारे में जानिये, 4 साल तक की जी तोड़ मेहनत

Chandrayaan-3 Mission को सफल बनाने वाले हीरो के बारे में जानिये, 4 साल तक की जी तोड़ मेहनत
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Mission Chandrayaan-3: आज यानी 23 अगस्त को भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक नया इतिहास रच दिया। आखिरकार इसरो का मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6:04 बजे पूरा हो गया। जानें, इस मिशन को सफल बनाने वाले वैज्ञानिकों के नाम...

Mission Chandrayaan-3: आज यानी 23 अगस्त को भारत ने अंतरिक्ष विज्ञान (Space Science) में एक नया इतिहास रच दिया। आखिरकार इसरो का मिशन चंद्रयान-3 बुधवार शाम 6:04 बजे पूरा हो गया। इस मिशन की सफलता के बाद अमेरिका, रूस और चीन के बाद भारत इस उपलब्धि को हासिल करने वाला विश्व का चौथा देश बन जाएगा। साथ ही दक्षिणी ध्रुव पर उतरने वाला भारत पहला देश होगा। भारत के इस मिशन को सफल बनाने के पीछे हजारों वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत है। इस मेहनत को अंजाम तक पहुंचाने में जिन प्रमुख हस्तियों ने अपना योगदान दिया, आज हम उनके बारे में संक्षिप्त जानकारी दे रहे हैं।

इसरो प्रमुख एस सोमनाथ के नेतृत्व में सफल हुआ मिशन

मिशन चंद्रयान-3 इसरो के चेयरमैन एस सोमनाथ (S Somnath) के नेतृत्व में सफल हुआ है। एक एयरोस्पेस इंजीनियर रहे सोमनाथ ने चंद्रयान-3 को उसकी कक्षा में पहुंचाने के लिए व्हीकल मार्क 3 नाम से रॉकेट बनाया। एस सोमनाथ ने बेंगलुरु स्थित इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ साइंस से पढ़ाई की है। इनकी एक विशेषता यह है कि वे संस्कृत के जानकार भी हैं।

डॉ. उन्नीकृष्णन नायर का भी मिशन में अहम योगदान

डॉ. उन्नीकृष्णन नायर (Dr. Unnikrishnan Nair) रॉकेट के विकास और निर्माण से जुड़े विक्रम साराभाई स्पेस सेंटर (Vikram Sarabhai Space Center) के डायरेक्टर हैं। पेशे से एयरोस्पेस इंजीनियर डॉ उन्नीकृष्णन अंतरिक्ष में भारत के मानव मिशन की अगुवाई कर रहे हैं। वे प्रतिष्ठित इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ साइंस के छात्र रहे हैं और उन्हें छोटी कहानियां लिखने के शौकीन रहे हैं। फिलहाल अंतरिक्ष की दुनिया में वो एक बड़ी कहानी लिख चुके हैं।

मिशन के प्रोजेक्ट डायरेक्टर हैं डॉ. वीरामुथुवेल

आज जिस मिशन चंद्रयान-3 के बारे में पूरी दुनिया चर्चा कर रही है, उसके प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. वीरामुथुवेल (Dr. Veeramuthuvel) हैं। बीते 4 साल से उन्होंने दिन-रात मिशन चंद्रयान-3 को सफल बनाने के लिए अथक परिश्रम किया है। 2019 में नाकाम हुए मिशन चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर की छोटी-छोटी जानकारियों ने उन्हें मिशन चंद्रयान-3 को और पुख्ता बनाने में मदद की है।

डॉ. कल्पना ने भी निभाई अहम भूमिका

मिशन चंद्रयान-3 की डिप्टी प्रोजेक्ट डायरेक्टर डॉ. कल्पना (Dr. Kalpana) ने बीते 4 साल में काफी मेहनत की है। कोविड-19 के दौर में पैदा हुई मुश्किलें भी उनके हौसले को डिगा नहीं पाई। इसरो में उनका नेतृत्व भारत की नारी शक्ति का प्रतीक माना जा रहा है।

बीएन रामकृष्ण के इशारों पर आगे बढ़ रहा विक्रम लैंडर

मिशन चंद्रयान-3 की सफलता के पीछे बीएन रामकृष्ण (BN Ramakrishna) का भी काफी अहम योगदान माना जा रहा है। चंद्रयान-3 इनके इशारों पर ही चांद के चारों ओर चक्कर लगा रहा है।

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