मोहन भागवत बोले- 40 हजार से अधिक सालों से सभी भारतीयों का डीएनए एक, बताया धर्म की धारणा का अर्थ

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के चीफ मोहन भागवत ने शनिवार को हिमाचल प्रदेश में धर्मशाला कॉलेज के सभागार में आयोजित पूर्व सैनिक प्रबोधन कार्यक्रम को संबोधित किया। लेकिन कार्यक्रम को संबोधित करने से पहले मोहन भागवत ने हेलिकाप्टर क्रैश हादसे में मारे गए सीडीएस जनरल बिपिन रावत उनकी पत्नी व अन्य सैन्य अधिकारियों को श्रद्धांजलि दी। कार्यक्रम में 1 मिनट का मौन भी रखा गया।
मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संघ की पीड़ा जाहिर की। मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, मोहन भागवत ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सत्ता का रिमोट कंट्रोल संघ के पास नहीं है। यह आरोप पूरी तरह से निराधार है। उन्होंने कहा कि पिछले 96 वर्ष से आरएसएस का हमेशा विरोध हुआ है। लेकिन हम समाज की सेवा में लगे रहे। संघ को तो थोड़ी राहत तब मिली - जब स्वयंसेवक सत्ता में आए। सब बाधाओं को पार कर 96 वर्ष से आरएसएस समाज सेवा करते हुए आगे बढ़ता गया।
इसके अलावा आरएसएस चीफ मोहन भागवत ने आगे कहा कि कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो हमारे जीवन से चिपक जाते हैं, उन्हें कतई हटाया नहीं जा सकता है। हिंदोस्तान से हिंदू शब्द पड़ा। संघ से हिंदुत्व शब्द चिपक गया है। हिंदुत्व किसी को जीतने की बात नहीं करता। हिंदुत्व शब्द का इस्तेमाल सबसे पहले गुरु नानक देव जी ने किया था। हिंदुत्व जोड़ने की बात करता है, किसी को बांटता नहीं। पिछले 40 हजार से अधिक सालों से सभी भारतीयों का डीएनए एक है। धर्म का अर्थ धारणा है जोकि समाज को जोड़ता है। इसका अर्थ हिंदू और मुस्लिम नहीं होता है।
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