राजनीति के पहलवान नेताजी: मुलायम सिंह के ये हैं 5 बड़े राजनीतिक फैसले, जिन्होंने लोगों को चौंकाया और विवादों को हवा भी दी

Mulayam Singh Yadav: मुलायम सिंह यादव को देश की राजनीति का पिता कहा जाए तो गलत न होगा। क्योंकि ऐसे धरती पुत्र ने देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का नेतृत्व किया और इतना ही नहीं कभी केंद्र की राजनीति में रक्षा मंत्री रहते हुए अनोखे काम किए। मुलायम सिंह यादव ने अपने राजनीतिक सफर के दौरान कई फैसले लिए लेकिन यहां हम आपकों सिर्फ 5 फैसलों के बारे में बता रहे हैं, जो उन्हें सभी से जुदा कर देते हैं। मुलायम सिंह 8 बार विधायक रहे, 7 बार सांसद रहे, 3 बार उत्तर प्रदेश के सीएम रहे और एक बार देश के रक्षा मंत्री बने.... उनके कई ऐसे फैसले भी रहे, जिन्होंने विवादों को जन्म भी दिया तो कई लोगों को चौंका दिया। नेताजी एक बार प्रधानमंत्री बनते बनते रहे गए थे।
1. केंद्र में चंद्रशेखर की सरकार और यूपी में मुलायम सिंह की सरकार गिरने के बाद 1991 में कल्याण सिंह के नेतृत्व में राज्य में बीजेपी की सरकार बनी। 1992 में बाबरी मस्जिद के पतन के दौरान ही मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी के रूप में अपनी पार्टी बनाई। इस वक्त तक मुलायम लोगों के बीच काफी लोकप्रिय हो चुके थे। वह एक बड़ा नाम बन चुके थे। यह उनके राजनीतिक करियर के लिए सबसे बड़ा फैसला अपनी पार्टी बनाने का था।
2. साल 1992 को बाबरी मस्जिद ढहने के बाद 1993 के विधानसभा चुनावों में बसपा के साथ गठबंधन का मुलायम सिंह का फैसला उनके राजनीतिक जीवन में एक मील का पत्थर साबित हुआ। बीजेपी पीछे रह गई और तभी नारा लगा मुलायम कांशीराम मिले, जय श्री राम हवा में उड़ गए। लेकिन बाद में मायावती ने गठबंधन तोड़ दिया। मुलायम का ये फैसला एक ऐतिहासिक फैसला था।
3. मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए सरकार अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर मुश्किल हालातों में थी। ऐसे समय में मुलायम सिंह ने मनमोहन सिंह सरकार को बाहर से समर्थन दिया। यूपीए की सरकार गिर जाती अगर मुलायम समर्थन नहीं देते। उस समय समाजवादी पार्टी के 35 सांसद थे वाम दलों में पीएम की पहली पसंद मुलायम ही थे। लेकिन उन्होंने यूपीए सरकार का साथ दिया। उनका ये फैसला विवादित था।
4. साल 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान मुलायम सिंह ने पार्टी के अपने सबसे भरोसेमंद और सबसे शक्तिशाली मुस्लिम चेहरे आजम खान को पार्टी से निकाल दिया। क्योंकि आजम खान पर जया प्रदा को हराने का आरोप लगा था। मुलायम सिंह ने अमर सिंह के दबाव में यह फैसला लिया। लेकिन अमर सिंह भी मुलायम से अलग हो गए।
5. साल 2012 के विधानसभा चुनाव के दौरान सभी को लगा था कि मुलायम 5वीं बार सीएम बनेंगे। इस दौरान अखिलेश यादव ने जमकर प्रचार भी किया। इसी बीच मुलायम सिंह ने अखिलेश यादव को सीएम बनाकर सभी को चौंका दिया। परिवार में विवाद देखने को मिला। शिवपाल यादव ने अलग पार्टी बना ली। इतना ही नहीं सबसे करीबी और भरोसेमंद रामगोपाल यादव को पार्टी से निलंबित भी करना पड़ा।
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