मुंबई 26/11 के आरोपी का रेकी के दौरान आया था बेकरी वाली लड़की पर दिल, बेड पर ना ले जाने का आज भी अफसाेस

देश की आर्थिक राजधानी मुंबई (Mumbai) आज से ठीक 14 साल पहले दहल उठी। भारतीय इतिहास के काला दिन 26 नवंबर 2008 को शायद ही कोई भारतीय भूल पाएगा। लश्कर-ए-तैयबा (Lashkar-e-Taiba) के 10 आतंकियों (Terrorist) ने बम और गोलियों से पूरे मुंबई को दहला दिया। हर तरफ लाशों ही लाखें बिछी दिखीं। आतंकियों को ढेर करने के लिए सेना को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी। मुंबई हमले की 14वीं बरसी (Mumbai Attack 14th Anniversary) पर हम हमले के सहआरोपी अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली का एक कबूलनामा साझा कर रहे हैं।
FBI की पूछताछ में आतंकी पाकिस्तानी अमेरिकी डेविड कोलमैन हेडली (David Coleman Headley) ने कबूलनामा करते हुए कहा, 'मैंने पुणे में जर्मन बेकरी की रेकी की थी। दिल्ली, पुणे, पुष्कर के चाबाड हाउसेज को बम से उड़ाने की पहचान भी की थी।' मुंबई हमले के सह आरोपी हेडली की कहानी शुरू होती है, साल 2007 से। हमले के सही ठिकाने की पहचान करने के लिए हेडली 20 मार्च से 7 जून 2007 तक मुंबई में रुका।
पूछताछ के दौरान हेडली ने अपने एक बयान में कहा, 'कोलाबा में मुझे एक शानदार बेकरी मिली, जहां मैं रोजाना जाने लगा। बेकरी के काउंटर पर करीब 20 साल की एक खूबसूरत लड़की थी, जिस पर से नजर हटाना मुश्किल हो जाता था। लड़की को इंप्रेस करने के लिए मैंने वहां से 2000 रुपये की पेस्ट्री तक खरीद ली। मैं चाहता था कि उस लड़की से दोस्ती करके डिनर पर लेकर जाऊं। यहीं से दोस्ती की शुरुआत हुई। इसके बाद मैं उससे कई बार मिला। लड़की काफी अधिक होशियार थी, जिस वजह से उसे कभी भी बेड तक चलने को कहने की हिम्मत नहीं जुटा पाया। उससे बात नहीं बन पाई, औरतें मेरी कमजोरी बनी रही।'
इन्हीं घटनाक्रम के बीच हेडली को मुंबई हमले के सह आरोपी तहव्वुर राणा के जरिए पुणे जाने का मैसेज मिला। लश्कर के आदेश को मानते हुए हेडली मुंबई से पुणे चला गया। हेडली के बयान के मुताबिक, मैंने पुणे जाकर ओशो के आश्रम की रेकी की, लेकिन धमाके के लिए सटीक जगह आश्रम के पास जर्मन बेकरी लगी। बेकरी इजराइल मूल के यहूदी लोगों के चाबाड हाउस के पास ही थी। शाम के समय पर कई विदेशी लोग बेकरी में आते थे। पुणे से जुलाई 2008 में लौटते समय मैंने अपने टारगेट्स चुन लिए थे। मैंने हमले के लिए दक्षिण मुंबई के इलाके और पुणे की जर्मन बेकरी के चुन लिया था।
मुंबई हमले के आरोपी हेडली और तहव्वुर हुसैन राणा को ISI के अफसर मेजर इकबाल से हमले को लेकर निर्देश मिले थे। इन दोनों ने तलाशी करते हुए पाकिस्तानी में बैठे अपने आकाओं को धमाके के लिए टारगेट्स की जानकारी दी थी। ये सभी बातें एस हुसैन जैदी की किताब हेडली एंड आई से ली गई है।
रेकी के लिए बेकरी को क्यों चुना
26/11 मुंबई हमले की साजिश की शुरुआत बेकरी से हुई। अब सवाल उठता है कि आखिर हेडली ने बेकरियों को ही हमले के लिए क्यों चुना? यहां एक बात स्पष्ट कर देते हैं कि आतंकवादी हमेशा ही ज्यादा भीड़ वाले इलाकों को ही चुनते हैं, जहां पर हर धर्म, बच्चे और महिलाएं हों। यूपी के पूर्व ATS प्रमुख जीके गोस्वामी बताते हैं कि आतंकी संगठन अमेरिका का साथ देने वाले लोगों को निशाना बनाते हैं। उनका मकसद हमले से इंटरनेशनल मैसेज देना होता है। यहीं वजह है कि आतंकवादी ऐसे जगह को चुनते हैं, जहां पर विदेशी लोगों का आना जाना लगा रहता है।
पूर्व महानिदेशक विकास नारायण का कहना है कि कोलाबा की बेकरी या पुणे की जर्मन बेकरी को आतंकी ने इसलिए चुना, क्योंकि यहां पर यहूदी और अमेरिकी नागरिक आते रहते हैं ताकि ज्यादा से ज्यादा यहूदी लोगों को मारा जा सकें।
भारत बन रहा बेकरी का बाजार
बता दें कि भारत में अभी के समय 2000 ऑर्गनाइज्ड या सेमी ऑर्गनाइज्ड बेकरी और 10 लाख अनऑर्गनाइज्ड बेकरी हैं। साल 2021 तक भारत में 83 हजार करोड़ रुपये की बेकरी इंडस्ट्री है। आकंड़ों की मानें तो साल 2024 तक बेकरी इंडस्ट्री 98 हजार करोड़ रुपये की हो जाएगी। केरल के कस्बाई इलाके में 1883 में भारत की सबसे पहले बेकरी खुली थीं।
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