अदालत ने महाराष्ट्र सरकार को आदिवासी लोगों तक सुविधा पँहुचाने के दिये आदेश

बंबई उच्च न्यायालय ने महाराष्ट्र सरकार और नगर निकाय के अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया है कि कोविड-19 लॉकडाउन के बीच राज्य भर में जनजातीय समुदाय तक भोजन एवं मूलभूत सुविधाएं पहुंचे।
मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति अहमद सैयद की खंड पीठ विवेक पंडित द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें बंद के दौरान राज्य में आदिवासी लोगों की तकलीफों का उल्लेख किया गया है।
याचिकाकर्ता ने अदालत से सरकार और निकाय अधिकारियों को ठाणे, पालघर, रायगढ़, नासिक, धुले, नंदूरबार, जलगांव, चंद्रपुर, गड़चिरोली, भंडारा, गोंदिया, नागपुर, यवतमाल और अमरावती जिलों के आदिवासियों को आवश्यक वस्तुएं उपलब्ध कराने का निर्देश देने का अनुरोध किया है। अतिरिक्त सरकारी वकील वी बी सामंत ने अदालत को शुक्रवार को बताया कि सरकार ने राज्य भर में जनजातीय समुदायों तक खाद्यान्न पहुंचाने के लिए कई कदम उठाए हैं।
सामंत ने अदालत को बताया, "सरकार द्वारा 27 अप्रैल को एक परिपत्र जारी किया गया था जिसमें सभी जिलाधिकारियों को जरूरतमंद परिवारों खासकर प्रवासी मजदूरों एवं अन्य को जन वितरण प्रणाली का लाभ देने का निर्देश दिया था। उन्होंने कहा कि आदिवासियों को राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया चल रही है।
इसपर याचिकाकर्ता के वकील वैभव भूरे ने तर्क दिया कि इस प्रक्रिया में देरी हो रही है क्योंकि अधिकारी बहुत से दस्तावेज मांग रहे हैं जो आदिवासी लोग देने में असमर्थ है। उन्होंने सरकार से राशन कार्ड जारी करने की प्रक्रिया को कुछ समय रोक कर समुदाय तक खाद्यान्न एवं अन्य वस्तुएं उपलब्ध कराने का आग्रह किया।
अदालत ने यह कहते हुए याचिका का निपटान किया हमारे मन में कोई संदेह नहीं है कि अभी की परीक्षा की घड़ी में,सरकार आदिवासी समुदाय तक पहुंचने में कोई कसर नहीं छोड़ेगी जो वंचित लोग हैं, और यह सुनिश्चित करेगी कि कोई भी सदस्य इस मुश्किल वक्त में भोजना या जरूरी वस्तुओं के बिना नहीं रहेगा।" भाषा
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS