Phone Tapping Case: संजय राउत का 60 और एकनाथ खडसे का 67 दिनों तक फोन टैप हुआ, अब सामने आई चौंकाने वाली जानकारी

Phone Tapping Case: संजय राउत का 60 और एकनाथ खडसे का 67 दिनों तक फोन टैप हुआ, अब सामने आई चौंकाने वाली जानकारी
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एक पुलिस अधिकारी जिससे निष्पक्षता से कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। उसने ऐसा नहीं किया। अब केंद्र सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया करा रही है।

Phone Tapping Case: राजनीतिक नेताओं के फोन टैपिंग मामले में एक और नई जानकारी सामने आई है। मुंबई पुलिस (Mumbai Police) ने स्पष्ट किया कि शिवसेना सांसद संजय राउत (Sanjay Raut) का 60 दिन और एनसीपी नेता एकनाथ खडसे (Eknath Khadse) का फोन 67 दिनों तक टैप किया गया था। चौंकाने वाली बात सामने ये आई है कि इन दोनों नेताओं के फोन असामाजिक तत्व होने के बहाने टैप किए गए।

इस मुद्दे पर शिवसेना नेता संजय राउत ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि सभी के असामाजिक तत्व बताकर और झूठ बोलकर फोन टैप किए गए। किसी को ड्रग पेडलर कहा जाता था, तो किसी को गैंगस्टर। हम पर नजर रखी जा रही थी। हमारी निजता का हनन हुआ है। एक पुलिस अधिकारी जिससे निष्पक्षता से कार्य करने की अपेक्षा की जाती है। उसने ऐसा नहीं किया। अब केंद्र सरकार उन्हें सुरक्षा मुहैया करा रही है।

संजय राउत ने आगे कहा, एकनाथ खड़से मैं खुद, नाना पटोले... हमारे फोन नंबर एक जैसे हैं। हालांकि रश्मि शुक्ला ने ड्रग तस्करों और गैंगस्टरों के नाम से फोन टैप करने की इजाजत मांगी थी। साल 2019 में जब महाराष्ट्र में महाविकास अघाड़ी की सरकार बन रही थी तो हम पर नजर रखी जा रही थी। तत्कालीन एसआईडी कमिश्नर रश्मि शुक्ला केंद्र की सेवा में थीं।

इससे पहले राकांपा नेता और राज्य के गृह मंत्री दिलीप वालसे पाटिल ने कहा था कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले का फोन अमजद खान के नाम से टैप किया गया था। 'रश्मि शुक्ला ने पुणे की कमिश्नर रहते हुए कुछ राजनेताओं के फोन टैप किए थे। रश्मि शुक्ला ने बिना उचित प्रक्रिया का पालन किए फोन टैप किए थे। पाटिल ने कहा कि कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्षों नाना पटोले, बच्चू कडू, आशीष देशमुख और संजय काकड़े को टैप किया गया।

बता दें कि नेताओं के फोन कथित तौर पर महाराष्ट्र राज्य खुफिया विभाग (एसआईडी) द्वारा टैप किए गए थे, जब इसकी अध्यक्षता भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारी रश्मि शुक्ला कर रही थी। कथित तौर पर टैपिंग नवंबर 2019 में राज्य में महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की सरकार बनने से पहले हुई थी जबकि भाजपा सत्ता में थी।

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