नई सरकार का अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का खाका पहले ही तैयार, मध्य वर्ग पर घट सकता है टैक्स का बोझ

नई सरकार का अर्थव्यवस्था में जान फूंकने का खाका पहले ही तैयार, मध्य वर्ग पर घट सकता है टैक्स का बोझ
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पांच वर्ष के केंद्र के अनुभव के आधार पर फिर केंद्र की सत्ता में भारी बहुमत से लौटी एनडीए सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने अपना पूरा जोर लगाएगी, इसके लिए मसौदा पहले ही तैयार कर लिया गया है।

पांच वर्ष के केंद्र के अनुभव के आधार पर फिर केंद्र की सत्ता में भारी बहुमत से लौटी एनडीए सरकार अर्थव्यवस्था में तेजी लाने अपना पूरा जोर लगाएगी, इसके लिए मसौदा पहले ही तैयार कर लिया गया है।

नई सरकार अपने वादे के अनुरूप मध्य वर्ग को करों से और राहत देने के लिए भी कदम उठा सकती है, साथ ही जीएसटी का और सरलीकरण किया जा सकता है। सरकार करों का सरलीकरण, अनुपालन को आसान बनाने के साथ-साथ मांग में बढ़ोतरी लाने का हर संभव प्रयास करेगी।

निजी निवेशकों को मिलेगा बढ़ावा

भावी सरकार प्राइवेट इन्वेस्टमेंट को बढ़ावा देने और मांग में नई जान फूंकने के लिए खाका पहले ही तैयार कर चुकी है, क्योंकि उसे जुलाई में पूर्ण बजट पेश करना है। सरकारी अधिकारियों का कहना है कि चिंता इस बात की है कि अगर उपायों को लागू करने में विलंब होता है तो अर्थव्यवस्था में मौजूदा मंदी का संकट और बढ़ जाएगा।

जीडीपी की वृद्धि दर बनाए रखनी होगी

केंद्रीय वित्त मंत्रालय और अन्य विभागों ने अर्थव्यवस्था में नई जान फूंकने के लिए पहले ही एक खाका तैयार कर लिया था, जिसपर नई सरकार को गौर करने की जरूरत होगी। वित्त वर्ष 2018-19 में पूरे साल के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) विकास दर अनुमान 7% रहने के मद्देनजर चौथी तिमाही में जीडीपी विकास दर घटकर 6.5% रहने की उम्मीद है। हाल के महीनों में निजी निवेश में कमी के बीच कारों और उपभोक्ता वस्तुओं की बिक्री में आई गिरावट मांग में कमी के संकेत हैं।

टैक्स का बोझ घटेगा

अधिकारियों ने कहा कि पहली चुनौती मांग में नई जान फूंकने की होगी। आगामी जुलाई में बजट पेश किए जाने की संभावना है और उसमें टैक्स में कमी लाकर मध्य वर्ग को राहत पहुंचाई जा सकती है, जिससे उनके हाथ में ज्यादा पैसा पहुंचेगा, परिणामस्वरूप खर्च के साथ मांग में बढ़ोतरी होगी। दरअसल, अंतरिम बजट के दौरान सरकार ने मध्य वर्ग के लिए टैक्स में और कटौती करने का वादा किया था। अधिकारियों ने कहा कि नई औद्योगिक नीति का मसौदा भी तैयार है।

बढ़ाना होगा सरकारी निवेश

मेक इन इंडिया मैन्युफेक्चरिंग पहल के साथ-साथ औद्योगिक इंफ्रास्ट्रक्चर के विकास को भी उत्साहित करना होगा। इसके अलावा, इंफ्रास्ट्रक्चर में सरकारी निवेश बढ़ाना होगा, क्योंकि इसमें निजी निवेश बढ़ाने में काफी वक्त लगेगा।

हो सकते हैं जीएसटी के दो स्लैब

वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) को लेकर भी सरकार में पहले ही चर्चा हो चुकी है। इसके तहत अनुपालन को आसान करना, रेट स्ट्रक्चर की समीक्षा तथा पेट्रोलियम जैसे उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाना शामिल है। जीएसटी के चार स्लैब 5%, 12%, 18% और 28% को घटाकर अब दो मुख्य स्लैब किए जा सकते हैं।

सीमेंट, ऑटोमोबाइल पर रेट बरकरार

सीमेंट और ऑटोमोबाइल 28 फीसदी के सबसे ऊंचे स्लैब में बरकरार रह सकता है और इन वस्तुओं पर रेट को जीएसटी से होने वाली आय को स्थिरता प्रदान करने के तौर पर देखा जा सकता है। साथ ही, सरकार निर्यात को बढ़ावा देने के लिए भी उपाय करेगी, जिसमें काफी गिरावट दर्ज की जा चुकी है।

ईज ऑफ डूइंग बिजनेस पर भी ध्यान

एक अन्य अधिकारी ने बताया कि सरकार इस बात पर गौर करेगी कि अबतक क्या हासिल हुआ है। ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और स्टार्टअप फ्रेमवर्क में सुधार के उपायों का खाका पहले ही तैयार किया जा चुका है, ताकि उद्यमियों को उद्योग लगाने में आसानी हो।

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