राज्यसभा में वोटिंग के बाद मोटर व्हीकल संशोधन बिल पास, जानें नए नियम

राज्यसभा में वोटिंग के बाद मोटर व्हीकल संशोधन बिल पास, जानें नए नियम
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नया मोटर व्हीकल संशोधन बिल के नियम के अनुसार गाड़ी चलाते हुए मोबाइल पर बात करने पर 5000 का जुर्माना देना होगा, वहीं शराब पीकर गाड़ी चलाने पर 10000 रुपए का चालान होगा।

देश में लगातार हो रहे सड़क हदासों ने लोगों के साथ सरकार को भी चिंतित कर दिया। लाख कोशिशों के बाद भी जब सड़क दुर्घटना में कमी नहीं लाई जा सकी तो सरकार ने पिछले दिनों नया मोटर व्हीकल संशोधन बिल (Motor vehicle amendment bill) लोकसभा में पास किया था आज (बुधवार) राज्यसभा में पास कर दिया गया है। मोटर व्हीकल संशोधन बिल को लेकर पक्ष में 108 और विपक्ष में 13 वोट पड़े।

सड़क परिवहन व राजमार्ग मंत्री (Minister of Road Transport and Highways) नितिन गडकरी (Nitin Gadkari) ने इस बिल में किए गए कई संसोधनों का जिक्र किया। उन्होंने कहा कि बिल में यातायात नियमों को तोड़ने पर अब पहले के मुकाबले ज्यादा जुर्माना लगाया जाएगा इसको लेकर लोगों के अन्दर डर पैदा होगा।

लोगों के अन्दर यही डर उन्हें सड़कों पर गाड़ी को सावधानी से चलाने को कहेगा। इस बिल में वाहन पंजीकरण डेटा को केंद्रीकृत करने के लिए डिजिटाइज्ड लाइसेंस प्रणाली (Digitized License System) प्रस्तावित है। कई और नियम ऐसे हैं जो इस बिल को मजबूत बनाते हैं।

इस बिल में जुर्माने की बात करें तो शराब पीकर गाड़ी चलाने पर अब 2,000 के बजाय सीधे 10,000 रुपए वसूले जाएंगे। बिना हेलमेट बाइक चलाने वालों पर 1000 के जुर्माने के साथ तीन महीने लाइसेंस जब्त करने का प्रावधान है। अभी तक महज बिन हेलमेट वालों से 100 रुपए ही वसूले जाते थे।

गाड़ी चलाते हुए मोबाइल पर बात करने पर पहले 1000 का जुर्माना था अब उसे 5000 कर दिया जाएगा। अगर आपके पास लाइसेंस नहीं है और गाड़ी चलाते वक्त पकड़े जाते हैं तो 5000 रुपए जुर्माना देना पड़ेगा।

अगर कोई अपने नाबालिग लड़के को गाड़ी ड्राइव करने के लिए देता है तो जांच की जाएगी और अगर दोषी पाया जाता है तो अभिभावक पर 25,000 का जुर्माना लगाया जाएगा। 3 साल की जेल का भी प्रावधान किया गया है।

इस बिल के अनुसार गलत रोड डिजाइन करने, उसका निर्माण करने व रखरखाव में अगर ठेकेदार द्वारा लापरवाही बरती जाती है तो उसपर भारी जुर्माना लगाया जाएगा। साथ ही सजा का भी प्रावधान किया गया है।

गौरतलब है कि मोदी सरकार के पहले कार्यकाल में भी इस बिल को लोकसभा में पास करवा लिया गया था पर राज्यसभा में फंस गया था। इस बार राज्यसभा में पेश करने से पहले ही देश में 18 प्रदेशों के परिवहन मंत्रियों ने इस बिल को मंजूरी दे दी थी।

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