निर्भया केस के वकील ने कहा दोषियों के जारी हो डेथ वारंट, जानें क्या यह वांरट

निर्भया केस के वकील ने कहा दोषियों के जारी हो  डेथ वारंट, जानें क्या यह वांरट
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निर्भया केस मामले मेें आज पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की याचिका पर बहस हुई। कोर्ट में निर्भया के वकील ने मांग है कि दोषियों के लिए डेथ वारंट जारी किया जाए, आइए जाने क्या हाेता है डेथ वारंट

देश को झंकझोर देने वाले निर्भया केस के फैसले पर सबकी आंखें लगी हुई है। पूरे देश को इस बात का इंतजार है कि आखिर कब इन दंरिदों को फांसी पर लटकाया जाएगा। यह एक ऐसा केस बनकर समाने आया, जिसके बाद देश की हर बेटी डर के साए में जीने को मजबूर हो गई।

यह दंरिदगी का देश में कोई पहला केस नहीं है। इससे पहले भी रेप केस होते रहे है। ऐसे मामले कुछ तो समाने आ जाते हैं। लेकिव कुछ मामलों को ताकत के बल पर दबा दिया जाता है। निर्भया केस के बाद ऐसा नहीं है कि बेटियां सुरक्षित है। लडकियां आज भी छेडछाड की शिकार होती है। बस कहा जा सकता है, कि इस मामले से अपराधियों को एक सबक मिलेगा,जिससे उनमे ऐसे घिनोने काम करने की हिम्मत नहीं होगी। इस केस का फैसला ही ऐसे अन्य केसों के लिए मिसाल कायम करेगा, जो निर्भया जैसी न जाने कितनी पीडितों के लिए श्राप बना हुआ है।

मामले की ताजा रिपोर्ट पर नजर डाले तो सुप्रीम कोर्ट की सुनवाई में हत्यारे अक्षय ठाकुर की पुनर्विचार याचिका खारिज किए जाने के बाद पटियाला हाउस कोर्ट में दोषियों को जल्द फांसी दिए जाने की याचिका पर बहस हुई। कोर्ट में निर्भया के वकील ने मांग है कि दोषियों के लिए डेथ वारंट जारी किया जाए और फांसी देने के लिए 14 दिन का वक्त तय किया जाए। पटियाला हाउस कोर्ट में आज इस मामले में सुनवाई टल गई है। अब 7 जनवरी 2020 को इस मामले में अगली सुनवाई होगी।

कोर्ट के अदेशानुसार अब सभी आरोपियों के डेथ वारंट जारी किए जाएंगे। आइये जानें क्या होता है, यह डेथ वारंट...


फांसी देने से पहले डेथ वारंट जारी किया जाता है। डेथ वारंट को 'ब्लैक वारंट' भी कहा जाता है। यह आरोपी को फांसी देने से पहले कि प्रकिया में शामिल है। क्रिमिनल प्रोसीजर के फॉर्म नंबर 42 को भरकर ही यह वांरट जारी किया जाता है। फार्म में यह लिखा होता है कि दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए जब तक उसकी मौत न हो जाए। दोषी को मौत की सजा दिए के लिए इस वांरट को जेल प्रशासन को सौंपा जाता है। इसमे जज के सिग्नेचर के साथ फांसी का समय और स्थान भी अंकित होता है। कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसीजर-1973, यानी दंड प्रक्रिया संहिता- 1973 (CrPC) के तहत 56 फॉर्म्स होते हैं। यह दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) का फॉर्म नंबर 42 असल में, दोषी को फांसी की सजा का अनिवार्य आदेश है, जिसे मौत की सजा सुनाई जाती है। ब्लैक वारंट को 'वारंट ऑफ एक्ज़ीक्युशन ऑफ़ ए सेंटेंस ऑफ डेथ भी कहा जाता है.

क्या लिखा होता है डेथ वारंट में

      • * ब्लैक वारंट में दोषी का नाम दर्ज होता है।
      • * इसमे जज के सिग्नेचर अंकित होते है।
      • * दोषी को तब तक फांसी के फंदे पर लटका कर रखा जाए,जब तक उसकी मौत न हो जाए।
      • * दोषी को फांसी देने के समय और स्थान का भी बकायदा जिक्र होता है।

जानकारी अनुसार फांसी होने के बाद दोषी के मौत से जुड़े सर्टिफिकेट वापस कोर्ट में भेजे जाते है। इसके अलावा डेथ वारंट भी वापस किया जाता है।

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