निर्भया रेप केस: सुप्रीम कोर्ट ने दोषियों की क्यूरेटिव याचिका की खारिज, होगी फांसी

सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की एक पीठ 16 दिसंबर के गैंगरेप मामले में चार में से दो मौत की सजा के दोषियों की क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। लेकिन अभी भी इनके पास राष्ट्रपति के पास अपील करने का अधिकार है। पटियाला हाउस कोर्ट ने 22 जनवरी को तिहाड़ जेल में सभी चार दोषियों को फांसी की सजा देने का आदेश दिया था। जिसके बाद दो दोषियों की तरफ से याचिकाएं दायर की गई।
2012 के दिल्ली गैंगरेप पीड़िता की मां आशा देवी : आज मेरे लिए बहुत बड़ा दिन है क्योंकि मैं 7 साल से संर्घष कर रही हूं लेकिन मेरे लिए सबसे बड़ा दिन वो होगा जब दोषियों को 22 जनवरी को फांसी दी जाएगी, और उम्मीद करती हूं कि जो भी उनकी रेमेडी है वह इसी तरह खारिज होगी। https://t.co/sIldr650Q8
— ANI_HindiNews (@AHindinews) January 14, 2020
दो दोषियों ने नहीं दायर की थी क्यूरेटिव याचिका
कोर्ट ने क्यूरेटिव याचिका को खारिज कर दिया है। लेकिन अभी भी दोषियों के पास राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर करने का विकल्प है। लेकिन ऐसे में अगर याचिका नहीं दी जाती है तो 22 जनवरी को फांसी होगी। दो अन्य मृत्युदंड के दोषियों, अक्षय और पवन गुप्ता ने क्यूरेटिव याचिकाएं दायर नहीं की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में एक अन्य दोषी अक्षय सिंह द्वारा दायर पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था, ताकि मामले में मृत्युदंड की पुष्टि करने वाले अपने पहले के आदेश की समीक्षा की जा सके। इस याचिका को दोषी राष्ट्रपति के पास याचिका भेजने से पहले एक बार फिर कोर्ट के सामने अपील करता है।
जानें क्या होता है क्यूरेटिव याचिका
क्यूरेटिव याचिका भारतीय कानूनी प्रणाली में एक नई विधि है। यह कोर्ट में शिकायतों के निवारण के लिए उपलब्ध अंतिम रास्ता होता है, जो आम तौर पर जज के द्वारा एक रूम में तय किया जाता है। केवल दुर्लभ मामलों में है कि ऐसी याचिकाओं को खुली अदालत में सुनवाई की जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इसकी प्रक्रिया के दुरुपयोग को रोकने और न्याय देने के लिए ये अंतर्निहित शक्तियों में से एक है जो कि अपने निर्णयों पर पुनर्विचार कर सकता है। क्यूरेटिव पिटीशन दाखिल करने के लिए कोई समय सीमा नहीं दी गई है। ऐसे में अभी दोषियों के पास ये एक रास्ता बचा हुआ है।
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