जानें अब तक कितने राष्ट्रपतियों ने खारिज की दया याचिकाएं और कितनों को दिया जीवन दान, यहा है पूरी लिस्ट

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने आज चर्चित निर्भया गैंगरेप मामले में अपना फैसला सुना दिया है। निर्भया गैंगरेप के दोषी मुकेश सिंह की दया चाचिका खारिज कर दी है। यह पहला मामला नहीं है जब किसी राष्ट्रपति ने दया चाचिका खारिज की हो। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से पहले भी पिछले कई राष्ट्रपति द्वारा ऐसी याचिकाएं खारिज की जा चुकी है। आइए आपको सिलसिलेवार कुछ राष्ट्रपतियों के बारे में बताते है, जिनके पास दया चाचिका आती रही है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने अपने कार्यकाल की पहली फांसी की दया याचिका बिहार से आई थी। वहां एक ही परिवार के छह लोगों की हत्या के मामले में दोषी जगत राय ने राष्ट्रपति के पास दया याचिका लगाई थी।
पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभा देवी सिंह पाटिल
-अपने कार्यकाल में प्रतिभा पाटिल ने कुल 22 दया याचिकाओं पर फैसला लिया था। जिनमें से उन्होंने सिर्फ तीन याचिकाएं नामंजूर की थी। बाकी याचिकाओं पर उन्होंने फांसी की सजा को आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था।
-जो तीन दया याचिका नामंज़ूर की थी उनमें भुल्लर के अलावा महेंद्र नाथ दास, संथन, मुरुगन और अरिवू की दया याचिकाएं शामिल थीं। मुरुगन, संथन और अरिवू पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी की हत्या के दोषी हैं।
पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम
साल 2002 से 2007 तक राष्ट्रपति रहे एपीजे अब्दुल कलाम ने सिर्फ दो याचिकाओं पर ही फ़ैसला लिया था। जिनमें से एक में उन्होंने फांसी को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
-बलात्कार और हत्या के अभियुक्त धनंजय चटर्जी की याचिका को उन्होंने नामंज़ूर कर दिया था। धनंजय चटर्जी को फांसी दी जा चुकी है।
पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी
-25 जुलाई 2012 को भारत के राष्ट्रपति बने प्रणब मुखर्जी ने अभी तक कुल 15 दया याचिकाओं पर फैसला किया है, जिनमें से उन्होंने सिर्फ एक ही मामले में फासी की सजा को आजीवन कारावास में बदला है।
-मुंबई हमलों के दोषी अजमल आमिर कसाब और संसद पर हुए हमले में दोषी ठहराए गए अफजल गुरु की याचिकाएं प्रणब मुखर्जी ने नामंज़ूर कर दी थीं जिसके बाद दोनों को ही फाँसी दी जा चुकी है।
-प्रणब मुखर्जी ने सिर्फ अतबीर नाम के कैदी की दया याचिका मंज़ूर की।
-अतबीर को साल 2004 में निचली अदालत ने सौतेली माँ, बहन और भाई का क़त्ल करने के आरोप में फांसी की सज़ा सुनाई थी।
-प्रणब ने जिन कैदियों की दया याचिकाएं नामंजूर की हैं उनमें बीए उमेश, धर्मपाल और साईंबन्ना को छोड़कर बाकी सभी की सजा को सुप्रीम कोर्ट ने आजीवन कारावास में तब्दील कर दिया था।
पूर्व राष्ट्रपति केआर नारायणन
-साल 1997 से 2002 तक राष्ट्रपति रहे केआर नारायणन ने सिर्फ़ एक ही दया याचिका पर फैसला लिया।
-उन्होंने जीवी राव और एससी राव की फांसी की सजा को आजीवन कारावास में बदल दिया था।
पूर्व राष्ट्रपति वेंकटरमण
-1987 से 1992 तक राष्ट्रपति रहे आर वेंकटरमण ने दया याचिकाओं पर सुनवाई के मामले में रिकॉर्ड बना दिया।
-उन्होंने कुल 39 दया याचिकाओं पर फैसला किया जिनमें से सिर्फ छह को ही मंज़ूर करते हुए फांसी की सज़ा को आजीवन कारावास में बदला।
पूर्व राष्ट्रपति शंकर दयाल शर्मा
-1992 से 1997 तक राष्ट्रपति रहे शंकर दयाल शर्मा ने कुल 12 दया याचिकाओं पर फ़ैसला किया, जिनमें से सभी को उन्होंने नामंजूर कर दिया।
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