ऑड-ईवन स्कीम से प्रदूषण के स्तर पर नहीं पड़ता ज्यादा फर्क

ऑड-ईवन स्कीम से प्रदूषण के स्तर पर नहीं पड़ता ज्यादा फर्क
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वायु प्रदूषण का संकट गहराने के बाद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम (Odd-Even Scheme) आज (सोमवार) से लागू कर दी गई है। इससे पहले दिल्ली एनसीआर में सेहत के लिहाज से हेल्थ इमरजेंसी घोषित की जा चुकी है। लेकिन ऑड-इवन से प्रदूषण के स्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।

देश की राजधानी दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर बेहत खरनाक हो गया है। वायु प्रदूषण का संकट गहराने के बाद केजरीवाल सरकार ने दिल्ली में ऑड-ईवन स्कीम (Odd-Even Scheme) आज (सोमवार) से लागू कर दी गई है। इससे पहले दिल्ली एनसीआर में सेहत के लिहाज से हेल्थ इमरजेंसी घोषित की जा चुकी है। लेकिन ऑड-इवन से प्रदूषण के स्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।

2016 में ऑड-ईवन पहली बार लागू किया गया

दिल्ली सरकार ने बढ़ते वायु प्रदूषण को देखते हुए राजधानी में साल 2016 में पहली बार ऑड-ईवन लागू किया था। लेकिन वैज्ञानिकों का मानना है कि प्रदूषण से निपटने का यह कोई समाधान नहीं है। ऑड-इवन से प्रदूषण के स्तर पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।

आईआईटी दिल्ली, आईआईटी कानपुर, आईआईटीएम पुणे, सीएसआईआर और टीईआरआई के वैज्ञानिकों की टीम ने ऑड-इवन से प्रदूषण के स्तर में कितनी कमी आती है इसपर रिसर्च की। जिसमें निष्कर्ष निकला कि ऑड-ईवन से प्रदूषण के स्तर को लगभग 2-3 प्रतिशत तक कम किया जा सकता है। दिल्ली में केवल तीन इलाकों नजफगढ़, शालीमार बाग और ग्रेटर कैलाश में प्रदूषण 8-10 प्रतिशत गिरावट के साथ दर्ज है।

ट्रैफिक लोड को कम करने में मदद मिली

रोड राशनिंग स्कीम के पहले राउंड के दौरान, दिल्ली में लगभग 4000 स्कूलों की छुट्टियों की वजह से ट्रैफिक लोड को कम करने में मदद की। स्कूल बसों को सार्वजनिक परिवहन के रूप में उतारा गया, जिससे यात्रियों को पूरा करने में मदद मिली।

नेशनल फिजिकल लेबोरेटरी और जेएनयू के पर्यावरण साइंस और बायोमेडिकल डिविजन के शोधकर्ताओं ने रोड राशनिंग स्कीम पर लगभग एक समान रिपोर्ट दी। दोनों रिपोर्टस में बताया गया है कि प्रदूषण के स्तर पर इस स्कीम से बहुत कम फर्क पड़ता है।

लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा

सीएसई के विशेषज्ञों का सुझाव है कि आपातकालीन उपाय के रूप में, ऑड-ईवन ने वायु प्रदूषण के स्तर को खराब होने से रोका है। राज्य सरकार के द्वारा लागू की गई इस स्कीम से लोगों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ा है, जिसमें बसों की संख्या समीति रहने की वजह रही है।

सीएसई द्वारा किए गए विश्लेषण से पता चलता है कि शहर में 11000 बसों की जरूरत है। केवल 5658 बसें हैं, जो लोगों के लिए लाने- ले जाने का कार्य करती हैं। ऐसी स्थिति में, डेल्ही को वर्तमान प्रदूषण के स्तर को नियंत्रित करने के लिए अपनी शक्ति में सब कुछ करने की आवश्यकता है। सीएसई के डायरेक्टर ने कहा है कि यहां तक कि छोटी से छोटी कार्रवाई करने से भी वायू प्रदुषण के स्तर पर फर्क पड़ेगा।

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