Odisha Train Accident: किसी का कटा पैर, किसी का हाथ, हादसे की कहानी यात्रियों की जुबानी

Odisha Train Accident: किसी का कटा पैर, किसी का हाथ, हादसे की कहानी यात्रियों की जुबानी
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Odisha Train Accident: ओडिशा के बालासोर जिले में हुए रेल हादसे में राहत एवं बचाव का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। इस दुर्घटना में बचने वाले लोगों की आपबीती दिल को झंकझोर देने वाली है। पढ़िये किसने क्या कहा...

ओडिशा (Odisha) के बालासोर जिले में शुक्रवार शाम को हुए एक बड़े रेल हादसे (Train Accident) ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। इस हादसे में अब तक तकरीबन 288 लोगों की मौत हो चुकी है और 900 से अधिक लोग घायल हैं। ओडिशा ट्रेन हादसे (Odisha Train Accident) में जिंदा बचे लोगों ने अपने रोंगटे खड़े देने वाली आपबीती सुनाई है। एक केरल के रहने वाले यात्री किरन ने बताया कि सबसे पहले उनकी ट्रेन बाईं तरफ पलट गई। इस हादसे में कई लोगों की जान भी चली गई। उस वक्त हम लोग ट्रेन की कोच में खड़े थे, शायद इसलिए हमारी जान बच गई। हमने तीन अन्य लोगों की मदद की जिससे उन्हें बचाया जा सका।

यात्री ने सुनाया मंजर

एक अन्य यात्री ने बताया कि रिजर्वेशन श्रेणी में होने के बाद भी कोच पूरी तरह से भरे हुए थे। अचानक से ट्रेन पलटी, उस समय वह यात्री गहरी नींद में सो रहा था। यात्री ने आपबीती सुनाते हुए कहा कि अचानक से एक झटका लगा और नींद खुल गई। तब ही अचानक से उनके ऊपर कम से कम 15 लोग आ गिरे। उन्होंने कहा कि वो किसी तरह बाहर निकलने में सफल हुए। जैसे ही वहां पर बाहर का दृश्य देखा तो बताया कि किसी व्यक्ति के हाथ नहीं थे, किसी के पैर नहीं थे और किसी का चेहरा पहचान में भी नहीं आ रहा था। ट्रेनों के लिए एक सुरक्षा उपकरण कवच भी बनाया गया है। फिर भी इस तरह का हादसा सामने आया। यहां क्लिक कर पढ़े कि कवच क्या है...

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बालासोर (Balasore) में हुए ट्रेन हादसे में तीन लोगों का एक परिवार जो इन ट्रेनों में से एक में यात्रा कर रहा था, हादसे का शिकार होने से बच गया और पश्चिम बंगाल (West Bengal) के पूर्वी मेदिनीपुर के महिसादल में मालुबासन गांव में अपने घर पर सकुशल लौट आया। उनमें से एक सुब्रतो पाल इस ट्रेन हादसे पर बोलते हैं कि हम कल खड़गपुर स्टेशन से चेन्नई के लिए निकले थे। बालासोर स्टेशन के बाद ट्रेन को अचानक से झटका लगा और फिर हमने डिब्बे को धुएं से भरते हुए देखा। इसमें मुझे कोई भी दिखाई नहीं दिया और वहां के स्थानीय लोगों ने मेरी मदद की और मुझे कड़ी मशक्कत के बाद मलबे से बाहर खींचा।

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