जम्मू-कश्मीर: जमीन खरीद कानून में हुए बदलाव पर उमर अब्दुल्ला का फूटा गुस्सा, फैसले को बताया अस्वीकार्य संशोधन

जम्मू-कश्मीर के जमीन खरीद के कानून में बदलाव किया गया है। केंद्र सरकार के इस फैसले पर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने आपत्ति जाहिर की है। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि जमीन खरीद के कानून में बदलाव से यहां के गरीबों को और नुकसान होगा।
दरअसल, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर को लेकर एक बड़ा फैसला किया है। जिसके तहत अब देश का कोई भी नागरिक जम्मू-कश्मीर में अपना जमीन खरीद सकता है और अपनी मर्जी से उस जमीन पर कुछ भी कर सकता है।
इसके लिए किसी को यहां के स्थानीय निवासी प्रमाण पत्र देने की जरूरत नहीं होगी। हालांकि खेती की जमीन सिर्फ जम्मू-कश्मीर के निवासी के लोगों के लिए ही होगी। केंद्र सरकार के इस फैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने अपना बयान जारी किया।
Unacceptable amendments to the land ownership laws of J&K. Even the tokenism of domicile has been done away with when purchasing non-agricultural land & transfer of agricultural land has been made easier. J&K is now up for sale & the poorer small land holding owners will suffer.
— Omar Abdullah (@OmarAbdullah) October 27, 2020
सरकार के फैसले पर उमर अब्दुल्ला का बयान
उमर अब्दुल्ला ने ट्वीट में कहा कि जम्मू-कश्मीर में भूमि स्वामित्व कानूनों में बदलाव, एक अस्वीकार्य संशोधन है। अब तो बिना खेती वाली जमीन के लिए स्थानीयता का सबूत भी नहीं देना है। अब जम्मू-कश्मीर बिक्री के लिए तैयार है, जो गरीब छोटे भूमि रखने वाले मालिकों की मुश्किलें और बढ़ेंगी।
उमर अब्दुल्ला ने आगे लिखा कि केंद्र सरकार ने लेह काउंसिल के नतीजे आने का इंतजार किया। जब बीजेपी जीत गई तो अगले ही दिन लद्दाख को सेल पर रख दिया। लद्दाखियों ने बीजेपी में अपना भरोसा जताया तो उन्हें बदले में ये दिया गया है।
केंद्र शासित के बाद पहला बदलाव
जानकारी के लिए आपको बता दें कि इससे पहले जम्मू-कश्मीर में सिर्फ वहां के निवासी ही जमीन की खरीद-बिक्री कर सकते थे। लेकिन अब केंद्र सरकार के फैसले के बाद देश का कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर में जमीन खरीद सकता है।
साल 2019 में धारा-370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया गया। जम्मू-कश्मीर धारा-370 से मुक्त होने के बाद 31 अक्टूबर 2019 को केंद्र शासित प्रदेश बन गया। इस बीच एक साल के अंतराल में जमीन के कानून में बदलाव किया गया।
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