INX मीडिया केस: पी चिदंबरम गिरफ्तारी से क्यों भाग रहे थे, जानें

कैसी विडंबना है कि देश का पूर्व गृहमंत्री, पूर्व वित्तमंत्री और पूर्व कानून मंत्री कानून और जांच एजेंसियों पर भरोसा करने की बजाय गिरफ्तारी के डर से भूमिगत हो गया है। जो व्यक्ति इतने उच्च पद पर रहा हो, वो कानून से बचने के लिए पिछले डेढ़ साल से न जाने क्या-क्या जतन कर रहा है। पूर्व वित्तमंत्री पी. चिदंबरम के अलावा हमारी अदालतों में शायद ही कोई ऐसा कोई मामला हो जिसमें गिरफ्तारी से बचने के लिए इतनी बार जमानत अवधि बढ़ाई गई हो।
अब जब दिल्ली हाईकोर्ट ने स्पष्ट और दो टूक शब्दों में कह दिया है कि आईएनएक्स मीडिया मनी लॉन्िड्रंग केस में आप ही सर्वोसर्वा हैं तो होना ये चाहिए था कि पी. चिदंबरम खुद सामने आकर जांच एजेंसियों की मदद करते, लेकिन सहयोग करने की बजाय वो गायब हो गए। रात दो बजे जांच एजेंसी उनके घर को खंगालती रही। जब वहां कोई नहीं मिला तो घर के बाहर दो घंटे में जांच में शामिल होने का नोटिस चस्पा करके वापस आ गई।
हैरत की बात तो यह भी है कि कांग्रेस पार्टी को उन्हें जांच में सहयोग करने का निर्देश देना चाहिए था, लेकिन हो रहा है इसके बिलकुल विपरित। कांग्रेस से जुड़े 11 वकीलों की टीम चिदंबरम के बचाव में सुप्रीम कोर्ट पहुंच गई। इन वकीलों की तमाम कोशिशों के बाद भी सुप्रीम कोर्ट ने अग्रिम जमानत पर तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया। अब शीर्ष अदालत ने पूर्व वित्त मंत्री की अर्जी पर शुक्रवार को सुनवाई का फैसला लिया है।
इतना सब होने के बाद भी चिदंबरम सामने नहीं आए हैं और न ही कांग्रेस पार्टी उन्हें जांच में सहयोग करने के लिए कह रही है। इससे तो ऐसा लगता है कि पूरी कांग्रेस को ही देश की जांच एजेंसियों पर भरोसा नहीं है। जांच में सहयोग करना तो दूर पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी और महासचिव प्रियंका गांधी केंद्र सरकार पर तरह-तरह के आरोप लगाकर पूरी तरह से कानूनी मामले को सियासी रंग देने की कोशिशें में जुटे हैं।
उनका पूरा प्रयास है कि करोड़ों रुपये की हेराफेरी के इस मामले को राजनीतिक मोड़ देकर इसकी गंभीरता कम की जाए। केंद्र सरकार में वरिष्ठ मंत्री के पद पर रहते हुए अपने बेटे की कंपनियों को लाभ पहुंचाने का यह निकृष्टतम उदाहरण है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) का कहना है कि पी. चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम ने जो स्पेन में टेनिस क्लब, यूके में कॉटेज के साथ-साथ देश-विदेश में कुछ अन्य संपत्तियां 54 करोड़ रुपये में खरीदीं, वो पैसे रिश्वत के रूप में उन्हें मिले थे।
इसके बदले में वित्तमंत्री रहते हुए पी. चिदंबरम ने कई कंपनियों को फायदा पहुंचाया। अतीत में भी कांग्रेस के अनेक नेताओं पर इस तरह के गंभीर आरोप लगे हैं, कई जेल जा चुके हैं और कई जमानत पर चल रहे हैं। ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि डॉ. मनमोहन सिंह के प्रधानमंत्री रहते जमकर घोटाले और खूब भ्रष्टाचार हुआ। कुछ के खुलासे तो उसी समय ही हो गए और कुछ अब सामने आ रहे हैं। ऐसे ही नेताओं के भ्रष्टाचार और करतूतों के कारण देश की आजादी के अहम योगदान देने वाली कांग्रेस की दुर्दशा हो रही है।
केंद्र में सरकार बदल जाने के पांच साल बाद भी देश उन घोटालों, घपलों को भूल नहीं पा रहा है। यही कारण है कि लगातार दो लोकसभा चुनाव के बाद भी देश की जनता ने कांग्रेस को नेता प्रतिपक्ष बनने लायक संख्या बल नहीं दिया। इतना सब होने के बाद होना तो यह चाहिए था कि कांग्रेस ऐसे नेताओं से पिंड छुड़वाकर देशवासियों का दिल जीतने का प्रयास करती, लेकिन हो रहा है इसके बिलकुल उल्ाट। कांग्रेस ऐसे लोगों की पैरोकार बनी हुई है, जिन पर भ्रष्टाचार, जालसाजी के आरोप हैं। अगर ऐसे ही चलता रहा तो देश की राजनीति जल्द ही कांग्रेसमुक्त हो जाएगी।
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