पाकिस्तान ने 20 भारतीय मछुआरों को भारत को सौंपा, कराची की एक जेल में थे बंद

देश के जल क्षेत्र में कथित रूप से प्रवेश करने के आरोप में पाकिस्तान (Pakistan) द्वारा गिरफ्तार किए गए 20 भारतीय मछुआरों (20 Indian fishermen) को वाघा बॉर्डर (Wagah Border) से भारत (India) को सौंप दिया गया है। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इन मछुआरों को कराची की लांधी जेल में रखा गया था। रविवार को इनकी सजा पूरी होने के बाद इन्हें जेल से रिहा कर दिया गया। एक गैर लाभकारी पाकिस्तानी समाज कल्याण संगठन, ईधी फाउंडेशन के एक प्रवक्ता ने कहा कि मछुआरों को कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद शाम को भारत के सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) को सौंप दिया गया।
ईधी फाउंडेशन के प्रवक्ता मुहम्मद यूनिस ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि जिला जेल एंव सुधार केंद्र मलिर से रविवार को रिहा किए गए और सोमवार को वाघा बॉर्डर लाए गए 20 मछुआरों को कानूनी औपचारिकताओं को पूरा करने के बाद शाम को बीएसएफ को सौंप दिया गया। उन्होंने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग द्वारा जारी 'आपातकालीन यात्रा प्रमाणपत्र' के आधार पर भारत में प्रवेश किया। जैसे ही मछुआरे भारत आए, उन्होंने घुटने टेक कर भारत की जमीन को चूमा।
अधिकारियों ने कहा कि सभी मछुआरों की कोविड-19 समेत अन्य जांचे की गई हैं। मछुआरे अमृतसर में एक रात रुकेंगे। इसके बाद मछुआरे मंगलवार यानी आज गुजरात में अपने मूल स्थान पर वापस घर जाएंगे। ईधी फाउंडेशन ने सद्भावना के तौर पर प्रत्येक मछुआरे को 5,000 रुपये का भुगतान भी किया है। मछुआरे अवैध रूप से पाकिस्तान में प्रवेश करने के आरोप में तीन से पांच साल की अवधि के लिए जेल में बंद थे। मछुआरों ने कहा कि उन्हें इस बात का अंदाजा नहीं था कि उनकी मछली पकड़ने वाली नौकाएं पाकिस्तान के पानी की ओर बह गई हैं।
एक मछुआरे ने बताया कि अंधेरा था और हमने सोचा था कि हम अभी भी भारत में थे। इसके बाद एक बड़ी सफेद नाव में पाकिस्तानी तट रक्षकों ने हमसे संपर्क किया। उन्होंने हमें पाकिस्तान में प्रवेश करने के लिए गिरफ्तार किया और हमारी नाव को जब्त कर लिया। सुनील लाल नाम के मछुआरे ने बताया कि वह पांच साल से पाकिस्तान की जेल में बंद था। वह अब अपने परिवार, खासकर अपनी दो बेटियों से मिलने के लिए उत्सुक हैं।
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