लोकसभा में बोले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाहः संविधान में स्थाई नहीं, अस्थाई प्रावधान है अनुच्छेद-370

लोकसभा में बोले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाहः संविधान में स्थाई नहीं, अस्थाई प्रावधान है अनुच्छेद-370
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शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 लोक सभा में पारित कर दिया गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने और बढ़ाने को मंजूरी दी गई है। इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया।

शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 लोक सभा में पारित कर दिया गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने और बढ़ाने को मंजूरी दी गई है। इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया।

केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में प्रस्ताव दिया कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए।

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि रमजान, अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने बाद में चुनाव कराने का सुझाव दिया है। इस साल के अंत में चुनाव कराए जाएंगे।

उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकरों का निर्माण पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाएगा। हर व्यक्ति का जीवन हमारे लिए महत्वपूर्ण है।

शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में यह पहली बार नहीं है कि यहां राज्यपाल या राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। कई बार ऐसी स्थिति बनी है कि कानून में संशोधन किया गया। राज्य में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है।

उन्होंने कहा कि जब कोई दल राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं था तो कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। इसके बाद विधानसभा को भंग करने का फैसला राज्यपाल ने लिया था। इसके बाद 9 दिसंबर 2018 को जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन की अवधि समाप्त हो गई थी।

उन्होंने आगे कहा कि धारा 356 का उपयोग करते हुए 20 दिसंबर से राष्ट्रपति शासन का फैसला लिया गया था। इस फैसले का अंतराल दो मई को समाप्त हो रहा है। इसलिए इस राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए क्योंकि वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।

उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक साल के अंदर वहां पंचायत चुनाव कराए गए। 40 हजार पंच और सरपंच बने, जो आज काम कर रहे हैं। हम 3 हजार करोड़ रुपए पंचायतों को देने के लिए तैयार हैं।

केंद्रीय गृहमंत्री ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक को भी पेश किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए है।

वहीं कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि आज स्थिति ऐसी है कि हमें हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार करना पड़ रहा है, इसकी जड़ें 2015 में पीडीपी और भाजपा के गठबंधन में हैं।

उन्होंने आगे कहा कि यदि आपके पास आतंकवाद के खिलाफ एक कठोर नीति है, तो हम इसका विरोध नहीं करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब लोग आपके साथ हों।

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और मुझे यकीन है कि वह इसे हासिल करने में सफल होंगे।

उन्होंने आगे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कह रहे हैं कि हम जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को रौंद रहे हैं। इससे पहले अबतक 132 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, जिसमें 93 बार कांग्रेस ने किया है। अब ये लोग क्या हमें लोकतंत्र सिखाएंगे।

उन्होंने कहा कि आज तक जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया? आप किसे खुश करना चाहते थे? यह भाजपा सरकार थी जिसने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया। जेकेएलएफ पर प्रतिबंध किसने लगाया? यह भाजपा ने किया।

शाह ने कहा कि फिर युद्धविराम का आह्वान किसने किया? यह जवाहरलाल नेहरू थे जिन्होंने इसे किया और उस हिस्से (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम विश्वास में नहीं आते, लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री नेहरू जी ने को विश्वास में लिए बिना ऐसा किया। इसलिए मनीष (तिवारी) जी हमें इतिहास न सिखाएं।

संसद में कश्मीर मुद्दे को लेकर बहस के दौरान अमित शाह ने कहा कि जमायते इस्लामी पर पहले क्यों प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया? किसको खुश करना चाहते थे आप?, ये नरेन्द्र मोदी सरकार है जिसने इस पर प्रतिबंध लगाया। देश विरोधी बात करने वालों को पहले सरकार द्वारा सुरक्षा दी जाती थी। भारत विरोधी 4 बयान दे दिया तो तुरंत सुरक्षा दे दी जाती थी। हमने 919 लोग, जिन्हें भारत विरोधी बयान देने के कारण सुरक्षा मिली थी, हमने उनकी सुरक्षा को हटाने का काम किया है।

आगे कहा कि देश में आतंकवाद की समस्या है वो पड़ोस के देश से आती है। कश्मीर का आतंकवाद पाक प्रेरित आतंकवाद है। मोदी जी की सरकार आने के बाद आतंकवादियों की जड़ में घुसकर इनके दिल दहलाने वाले हमले कराने का काम हुआ। जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं। लेकिन उसमें पहले से ही जो शंका का पर्दा डाला गया है, वो इसमें समस्या पैदा कर रहा है।

अमित शाह ने कहा कि सीजफायर के लिए किसने वापस बुलाया? ये जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्होंने ये दिया और उस हिस्से (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम लोगों को विश्वास में नहीं लाते हैं, लेकिन नेहरू जी ने तत्कालीन गृह मंत्री को विश्वास में लिए बिना ऐसा किया। इसलिए मनीष (तिवारी) जी आप हमें इतिहास ना सिखाएं।

संसद के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 लोक सभा में पारित कर दिया गया।

इसके अलावा जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन छह महीने आगे बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को भी लोकसभा में मंजूरी दी गई। 3 जुलाई 2019 से आगामी छह महीने तक फिर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा।

केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने लोकसभा में कहा कि संविधान में अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रावधान है, यह स्थाई नहीं है।

उन्होंने कहा कि 23 जून 1953 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर के संविधान का विरोध किया तो उन्हें जेल में डाल दिया गया जहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई। इतने बड़े नेता की मौत की जांच तक नहीं हुई। आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी जी का बहुत बड़ा योगदान है।

उन्होंने आगे कहा कि एक समय ऐसा था जब पूरी कश्मीर घाटी में भारत का नामो-निशान नहीं था। मुरली मनोहर जोशी जी और नरेन्द्र मोदी जी ने तब अपनी जान की बाजी लगाकर लाल चौक पर झंडा फहराया था। जो इस देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए।

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