लोकसभा में बोले केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाहः संविधान में स्थाई नहीं, अस्थाई प्रावधान है अनुच्छेद-370

शुक्रवार को संसद के बजट सत्र के दौरान जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 लोक सभा में पारित कर दिया गया। साथ ही जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन की अवधि को छह महीने और बढ़ाने को मंजूरी दी गई है। इस प्रस्ताव को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में पेश किया।
केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में प्रस्ताव दिया कि जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन को छह महीने तक बढ़ाया जाना चाहिए।
Union Home Minister Amit Shah in Lok Sabha: I propose that President's rule in Jammu and Kashmir should be extended by 6 months. pic.twitter.com/agXlqYmP0H
— ANI (@ANI) June 28, 2019
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि रमजान, अमरनाथ यात्रा को ध्यान में रखते हुए चुनाव आयोग ने बाद में चुनाव कराने का सुझाव दिया है। इस साल के अंत में चुनाव कराए जाएंगे।
उन्होंने कहा कि हम जम्मू-कश्मीर के हालात पर नजर बनाए हुए हैं। सीमावर्ती क्षेत्रों में बंकरों का निर्माण पूर्व गृह मंत्री राजनाथ सिंह जी द्वारा निर्धारित समय सीमा के भीतर किया जाएगा। हर व्यक्ति का जीवन हमारे लिए महत्वपूर्ण है।
Union Home Minister Amit Shah in Lok Sabha: We are monitoring the situation in Jammu & Kashmir. Construction of bunkers in border areas will be done within time limit set by the previous home minister Rajnath Singh Ji. Life of every individual is important to us. pic.twitter.com/vJMBIHT5kX
— ANI (@ANI) June 28, 2019
शाह ने कहा कि जम्मू-कश्मीर में यह पहली बार नहीं है कि यहां राज्यपाल या राष्ट्रपति शासन लगाया जाए। कई बार ऐसी स्थिति बनी है कि कानून में संशोधन किया गया। राज्य में पहली बार आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई गई है।
उन्होंने कहा कि जब कोई दल राज्य में सरकार बनाने के लिए तैयार नहीं था तो कश्मीर में राज्यपाल शासन लगाया गया था। इसके बाद विधानसभा को भंग करने का फैसला राज्यपाल ने लिया था। इसके बाद 9 दिसंबर 2018 को जम्मू कश्मीर में राज्यपाल शासन की अवधि समाप्त हो गई थी।
उन्होंने आगे कहा कि धारा 356 का उपयोग करते हुए 20 दिसंबर से राष्ट्रपति शासन का फैसला लिया गया था। इस फैसले का अंतराल दो मई को समाप्त हो रहा है। इसलिए इस राष्ट्रपति शासन को बढ़ाया जाए क्योंकि वहां विधानसभा अस्तित्व में नहीं है।
उन्होंने आगे कहा कि सरकार ने आतंकवाद को खत्म करने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी है। एक साल के अंदर वहां पंचायत चुनाव कराए गए। 40 हजार पंच और सरपंच बने, जो आज काम कर रहे हैं। हम 3 हजार करोड़ रुपए पंचायतों को देने के लिए तैयार हैं।
केंद्रीय गृहमंत्री ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर आरक्षण विधेयक को भी पेश किया। उन्होंने कहा कि यह विधेयक किसी को खुश करने के लिए नहीं है बल्कि अंतर्राष्ट्रीय सीमा के पास रहने वालों के लिए है।
Union Home Minister Amit Shah has moved the J&K Reservation Bill in Lok Sabha, he said, "this bill is not to please anyone but for those living near the International Border." pic.twitter.com/rrXDS4WGw3
— ANI (@ANI) June 28, 2019
वहीं कांग्रेस के नेता मनीष तिवारी ने कहा कि आज स्थिति ऐसी है कि हमें हर 6 महीने में जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति शासन का विस्तार करना पड़ रहा है, इसकी जड़ें 2015 में पीडीपी और भाजपा के गठबंधन में हैं।
Manish Tewari, Congress in Lok Sabha: Today situation is such that we have to extend President's rule in Jammu & Kashmir every 6 months, its roots are in the alliance of PDP & BJP in 2015. pic.twitter.com/PogcpPQ6FL
— ANI (@ANI) June 28, 2019
उन्होंने आगे कहा कि यदि आपके पास आतंकवाद के खिलाफ एक कठोर नीति है, तो हम इसका विरोध नहीं करते हैं, लेकिन यह ध्यान रखने की आवश्यकता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई तभी जीती जा सकती है जब लोग आपके साथ हों।
Manish Tewari, Congress in Lok Sabha: If you have a tough policy against terrorism, we don't oppose it, but there is a need to keep in mind that the fight against terrorism can only be won if people are with you. https://t.co/DyiTfa243F
— ANI (@ANI) June 28, 2019
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने कहा कि नरेंद्र मोदी सरकार ने आतंक के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई है और मुझे यकीन है कि वह इसे हासिल करने में सफल होंगे।
HM Amit Shah in Lok Sabha: Narendra Modi Govt has adopted a zero tolerance policy towards terror and I am sure we will be successful in achieving it with the help of our citizens pic.twitter.com/nFuUuybeb9
— ANI (@ANI) June 28, 2019
उन्होंने आगे कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि वे कह रहे हैं कि हम जम्मू कश्मीर में लोकतंत्र को रौंद रहे हैं। इससे पहले अबतक 132 बार राष्ट्रपति शासन लागू किया गया, जिसमें 93 बार कांग्रेस ने किया है। अब ये लोग क्या हमें लोकतंत्र सिखाएंगे।
HM Amit Shah in Lok Sabha: They are saying we are trampling democracy in J&K. Before this time, till now 132 times, article 356 has been imposed(President's rule), out of which 93 times Congress has done it. Now these ppl will teach us democracy? pic.twitter.com/RjirsyrEDs
— ANI (@ANI) June 28, 2019
उन्होंने कहा कि आज तक जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया? आप किसे खुश करना चाहते थे? यह भाजपा सरकार थी जिसने जमात-ए-इस्लामी पर प्रतिबंध लगा दिया। जेकेएलएफ पर प्रतिबंध किसने लगाया? यह भाजपा ने किया।
Home Minister Amit Shah in Lok Sabha: Why wasn't Jamaat-e-Islami banned till date? Who did you want to please? It was BJP govt that banned Jamaat-e-Islami. Who put the ban on JKLF? It was BJP who did it. pic.twitter.com/g0j1e35zKm
— ANI (@ANI) June 28, 2019
शाह ने कहा कि फिर युद्धविराम का आह्वान किसने किया? यह जवाहरलाल नेहरू थे जिन्होंने इसे किया और उस हिस्से (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम विश्वास में नहीं आते, लेकिन तत्कालीन गृहमंत्री नेहरू जी ने को विश्वास में लिए बिना ऐसा किया। इसलिए मनीष (तिवारी) जी हमें इतिहास न सिखाएं।
HM Amit Shah: Who called for ceasefire back then? It was Jawaharlal Nehru who did it and gave that portion(PoK) to Pakistan. You say we don't take ppl into confidence, but Nehru ji did it without taking the then HM into confidence. So Manish(Tewari) ji don't teach us history pic.twitter.com/WPH9qS6ASL
— ANI (@ANI) June 28, 2019
संसद में कश्मीर मुद्दे को लेकर बहस के दौरान अमित शाह ने कहा कि जमायते इस्लामी पर पहले क्यों प्रतिबन्ध नहीं लगाया गया? किसको खुश करना चाहते थे आप?, ये नरेन्द्र मोदी सरकार है जिसने इस पर प्रतिबंध लगाया। देश विरोधी बात करने वालों को पहले सरकार द्वारा सुरक्षा दी जाती थी। भारत विरोधी 4 बयान दे दिया तो तुरंत सुरक्षा दे दी जाती थी। हमने 919 लोग, जिन्हें भारत विरोधी बयान देने के कारण सुरक्षा मिली थी, हमने उनकी सुरक्षा को हटाने का काम किया है।
Home Minister Amit Shah in Lok Sabha: Why wasn't Jamaat-e-Islami banned till date? Who did you want to please? It was BJP govt that banned Jamaat-e-Islami. Who put the ban on JKLF? It was BJP who did it. pic.twitter.com/g0j1e35zKm
— ANI (@ANI) June 28, 2019
आगे कहा कि देश में आतंकवाद की समस्या है वो पड़ोस के देश से आती है। कश्मीर का आतंकवाद पाक प्रेरित आतंकवाद है। मोदी जी की सरकार आने के बाद आतंकवादियों की जड़ में घुसकर इनके दिल दहलाने वाले हमले कराने का काम हुआ। जम्मू कश्मीर की आवाम को हम अपना मानते हैं, उन्हें अपने गले लगाना चाहते हैं। लेकिन उसमें पहले से ही जो शंका का पर्दा डाला गया है, वो इसमें समस्या पैदा कर रहा है।
HM Amit Shah: Who called for ceasefire back then? It was Jawaharlal Nehru who did it and gave that portion(PoK) to Pakistan. You say we don't take ppl into confidence, but Nehru ji did it without taking the then HM into confidence. So Manish(Tewari) ji don't teach us history pic.twitter.com/WPH9qS6ASL
— ANI (@ANI) June 28, 2019
अमित शाह ने कहा कि सीजफायर के लिए किसने वापस बुलाया? ये जवाहरलाल नेहरू थे, जिन्होंने ये दिया और उस हिस्से (पीओके) को पाकिस्तान को दे दिया। आप कहते हैं कि हम लोगों को विश्वास में नहीं लाते हैं, लेकिन नेहरू जी ने तत्कालीन गृह मंत्री को विश्वास में लिए बिना ऐसा किया। इसलिए मनीष (तिवारी) जी आप हमें इतिहास ना सिखाएं।
संसद के बजट सत्र के दौरान शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर आरक्षण संशोधन विधेयक, 2019 लोक सभा में पारित कर दिया गया।
The Jammu and Kashmir Reservation (Amendment) Bill, 2019 passed in Lok Sabha
— ANI (@ANI) June 28, 2019
इसके अलावा जम्मू-कश्मीर राष्ट्रपति शासन छह महीने आगे बढ़ाने संबंधी प्रस्ताव को भी लोकसभा में मंजूरी दी गई। 3 जुलाई 2019 से आगामी छह महीने तक फिर राष्ट्रपति शासन लागू किया जाएगा।
Lok Sabha approves the statutory resolution to extend President's rule in Jammu & Kashmir for a further period of 6 months with effect from 3rd July, 2019. https://t.co/j4ZKEs6srl
— ANI (@ANI) June 28, 2019
केंद्रीय गृहमंत्री शाह ने लोकसभा में कहा कि संविधान में अनुच्छेद 370 एक अस्थाई प्रावधान है, यह स्थाई नहीं है।
Home Minister Amit Shah in Lok Sabha, earlier today: Article 370 is a temporary provision in the Constitution, it is not permanent. pic.twitter.com/TDr84bp6Qq
— ANI (@ANI) June 28, 2019
उन्होंने कहा कि 23 जून 1953 को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने जम्मू-कश्मीर के संविधान का विरोध किया तो उन्हें जेल में डाल दिया गया जहां उनकी संदेहास्पद मृत्यु हो गई। इतने बड़े नेता की मौत की जांच तक नहीं हुई। आज बंगाल अगर देश का हिस्सा है तो इसमें मुखर्जी जी का बहुत बड़ा योगदान है।
उन्होंने आगे कहा कि एक समय ऐसा था जब पूरी कश्मीर घाटी में भारत का नामो-निशान नहीं था। मुरली मनोहर जोशी जी और नरेन्द्र मोदी जी ने तब अपनी जान की बाजी लगाकर लाल चौक पर झंडा फहराया था। जो इस देश को तोड़ना चाहते हैं उनके मन में डर होना चाहिए।
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