Parliament Winter Session: संसद के नए भवन में नहीं हो पाएगा शीतकालीन सत्र, ये है बड़ी वजह

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना अभी तक पूरी नहीं हो सकी है। ऐसे में 7 दिसंबर से शुरू होने वाला शीतकालीन सत्र पुराने भवन में चलेगा। सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि सरकार ने नए संसद भवन को शीतकालीन सत्र से पहले पूरा करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन निर्माण कार्य अधूरा होने की वजह से शीतकालीन सत्र पुराने भवन में ही चलेगा।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक केंद्र सरकार के कई नेताओं ने मॉनसून सत्र के बाद दावा किया था कि शीतकालीन सत्र संसद के नए भवन में होगा। सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर शुरू से ही तेजी से काम चल रहा है। बावजूद इसके 2022 का शीतकालीन सत्र संसद के नए भवन में आयोजित करने की योजना सिरे नहीं चढ़ पाई। अब बताया जा रहा है कि दिसंबर तक ही अधूरे कार्य पूरे हो पाएंगे। इसके बाद ही अगले सत्र का आयोजन संसद के नए भवन में हो पाएगा।
24 घंटे चल रहा कार्य
सेंट्रल विस्टा पुनर्विकास परियोजना पर 24 घंटे कार्य चल रहा है। नए भवन का सिविल कार्य लगभग पूरा हो चुका है, लेकिन फिनिशिंग, बिजली फिटिंग समेत कई कार्य पूरे होना बाकी हैं। इसके अलावा साज सज्जा का कार्य भी अधूरा है। ऐसे में सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि 7 दिसंबर तक इन कार्यों को पूरा करना मुमकिन नहीं है, लिहाजा शीतकालीन सत्र पुराने भवन में होने से इनकार नहीं किया जा सकता।
कार्य पूरे होने के बाद भी तुरंत नहीं हो पाएगा शीतकालीन सत्र
मीडिया रिपोर्ट् में एक अधिकारी के हवाले से बताया गया है कि अगर संसद के नए भवन का निर्माण और सज्जा कार्य पूरा हो जाता है तो भी 10 से 15 दिन का समय और लगेगा। दरअसल, संसद सत्र के सुचारू संचालन के लिए कर्मचारियों को प्रशिक्षित करने की जरूरत होगी। इसके अलावा सुरक्षा के इंतजामों को सुनिश्चित करने और मॉक ड्रिल करके संसद के नए भवन को पूरी तरह सुरक्षा के लिहाज से चाक चौबंद करने के लिए कई मॉक ड्रिल की जानी है। इस पूरे प्रक्रिया को करने में कम से कम 10 से 15 दिन का समय लग सकता है। यही वजह है कि इस बार का शीतकालीन सत्र संसद के नए भवन में नहीं हो पाएगा।
इस बार के शीतकालीन सत्र में होंगी 23 बैठकें
संसद का शीतकालीन सत्र 7 दिसंबर से शुरू होकर 29 दिसंबर तक चलेगा। इस दौरान 23 दिनों में 17 बैठकें होंगी। केंद्रीय संसदीय कार्य मंत्री प्रह्लाद जोशी ने यह जानकारी देते हुए कहा कि अमृत काल के बीच सत्र के दौरान विधायी कार्य और अन्य मुद्दों पर चर्चा की प्रतीक्षा है। सदन में रचनात्मक बहस के लिए आगे देख रहे हैं।
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