Ram Vilas Paswan Live Updates: राम विलास पासवान का आज दी जाएगी राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई, यहां पढ़ें अबतक का पूरा अपडेट

Ram Vilas Paswan Live Updates: राम विलास पासवान का आज दी जाएगी राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई, यहां पढ़ें अबतक का पूरा अपडेट
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मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, राम विलास पासवान का आज पटना में राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान का लंबी बीमारी के बाद बीते गुरुवार को दिल्ली के एक अस्पताल में निधन हो गया था। जिसके बाद शुक्रवार को दिल्ली में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री सहित कई नेताओं ने रामविलास पासवान को अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की। उसके बाद देर शाम को ही उनका पार्थिव शरीर पटना लाया गया। इस दौरान बिहार के मुख्‍यमंत्री नीतीश कुमार, उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी, केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, राजद नेता तेजस्वी यादव और अन्य नेताओं ने उन्‍हें श्रद्धांजलि दी।

Live Updates..

* लोकजनशक्ति पार्टी संस्थापक रामविलास पासवान की अंतिम यात्रा थोड़ी देर में शुरू होगी।

* आज दोपहर 12.30 बजे दीघा घाट पर राजकीय सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा।

* रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर बीते शुक्रवार शाम 7 बजकर 55 मिनट पर पटना पहुंचा था। इसी दौरान एयरपोर्ट पर सीएम नीतीश ने उन्हें श्रद्धांजलि दी थी।

* आरजेडी नेता तेजस्वी यादव ने केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान के निधन पर शोक जताया है। तेजस्वी ने कहा कि जब चिराग पासवान को उनकी सबसे ज्यादा जरूरत थी, उनका निधन हो गया। उनके परिजनों के प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं

हम उनके साथ खड़े हैं। वहीं केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह ने कहा रामविलास पासवान सबके प्यारे, लाडले और वंचितों की आवाज थे। वे एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्हें चाहकर भी नहीं भुलाया जा सकता है।

* राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जे.पी. नड्डा जेपी नड्डा, केंद्रीय वित्त मंत्री राजनाथ सिंह, प्रज्ञा ठाकुर, कांग्रेस नेता राहुल गांधी, केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल के अलावा अन्य राजनीतिक दलों के नेताओं ने केंद्रीय मंत्री और LJP नेता रामविलास पासवान को उनके आवास पर अंतिम श्रद्धांजलि अर्पित की।

* रामविलास पासवान का पार्थिव शरीर एम्स से उनके सरकारी आवास लाया गया है। दोपहर में उनके पार्थिव शरीर को पटना ले जाया जाएगा। पटना में शनिवार को राजकीय सम्मान के साथ अंतिम संस्कार किया जाएगा।

* केंद्रीय मंत्री और एलजेपी नेता रामविलास पासवान के निधन पर राष्ट्रपति भवन और संसद में राष्ट्रीय ध्वज को आधा झुका दिया गया है।

जानकारी के लिए आपको बता दें बता दें कि उनके निधन की जानकारी उनके बेटे चिराग पासवान ने अपने ट्विटर एकाउंट से ट्वीट करके दी। चिराग पासवान ने लिखा, पापा अब आप इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन मुझे पता है आप जहां भी हैं हमेशा मेरे साथ हैं। मिस यू पापा।

जानें रामविलास पासवान का राजनीतिक सफरनामा

बिहार और केंद्र की राजनीति के मााहिर राजनेता रहे रामविलास पासवान रणनीतियों को स्थानांतरित करने की क्षमता के लिए मौसमी विज्ञान या मौसम वैज्ञानिक माने जाते थे। पासवान संवैधानिक और चुनावी मार्ग के लिए प्रतिबद्ध थे। आपातकाल का विरोध करने के बाद 1977 में उन्होंने पहली बार लोकसभा चुनाव में एंट्री मारी थी। हाजीपुर से एक रिकॉर्ड आज भी उनके नाम है। उन्हें सात बार लोअर हाउस पहुंचाया और हाल ही में ऊपरी सदन राज्यसभा में भी जगह मिली। वह भारत की हर राजनीतिक धारा के साथ सहयोग से आगे बढ़ते चले।

वह वीपी सिंह सरकार में मंत्री रहे और मंडल आयोग की सिफारिशों के कार्यान्वयन के लिए अहम भूमिका निभाई थी। वह 1990 के दशक के मध्य में संयुक्त मोर्चे की सरकारों में मंत्री थे, तीसरे मोर्चे की आवश्यकता के लिए बहस भी की। अटल बिहारी वाजपेयी सरकार में मंत्री थे। 2002 में गुजरात दंगों का हवाला देते हुए इस्तीफा दिया। फिर साल 2009 तक मनमोहन सिंह सरकार में मंत्री रहे। उन्होंने हमेशा सांप्रदायिक ताकतों को हराना बेहतर समझा। उसके बाद वो नरेंद्र मोदी सरकार में पिछले 6 वर्षों से मंत्री पद पर रहे। सबका साथ, सबका विकास की तख्ती पर आगे बढ़ते चले गए।

लेकिन वह इन सभी पारियों को लगभग पूरी तरह से और बिना किसी विवाद के खींचने में सक्षम थे। वह महत्वाकांक्षी, अपनी शक्ति और संसाधन आधार का विस्तार करना चाहते थे। जो राजनीतिक अधिकार के माध्यम से ही संभव था। इससे उनके राजनीतिक क्षेत्र को भी लाभ मिला। पासवान इस निर्वाचन क्षेत्र को अक्षुण्ण रखने के लिए सावधान थे, चाहे वह उत्तर बिहार में भौगोलिक रूप से व्यापक हाजीपुर बेल्ट हो या सामाजिक रूप से पासवान। उन्होंने अपने क्षेत्र में परियोजनाओं को लागू करवाया और हाजीपुर के लिए एक बेटे की तरह विकास करवाया। अपने समुदाय के सदस्यों के लिए रोजगार या दलितों के लिए एक भावनात्मक मुद्दा बनने पर अत्याचार का विरोध करने पर ध्यान केंद्रित किया।

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