प्रधानमंत्री ने किया काशी विश्वनाथ धाम का लोकार्पण, पढ़ें पीएम मोदी के भाषण की 10 महत्वपूर्ण बातें

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) काशी (Kashi) के दौरे पर हैं। यहां पर पीएम नरेंद्र मोदी ने आज काशी विश्वनाथ धाम (Kashi Vishwanath Dham) का लोकार्पण (inaugurated) किया। इस मौके पर पीएम मोदी के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे। पीएम मोदी ने उद्घाटन कार्यक्रम को भी संबोधित किया। चलिए जानें हैं पीएम मोदी के भाषण की 10 महत्वपूर्ण बातें...
पीएम मोदी के भाषण की 10 महत्वपूर्ण बातें..
* प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा, काशी में कुछ भी खास हो कुछ भी नया हो काशी के कोतवाल काल भैरव से पूछना जरूरी है। हमारे पुराणों में कहा गया है कि जैसे ही कोई काशी में प्रवेश करता है सारे बंधनों से मुक्त हो जाता है। अभी मैं बाबा के साथ साथ नगर कोतवाल कालभैरव जी के दर्शन करके भी आ रहा हूँ, देशवासियों के लिए उनका आशीर्वाद लेकर आ रहा हूँ। काशी में कुछ भी नया हो, उनसे पूछना आवश्यक है। मैं काशी के कोतवाल के चरणों में भी प्रणाम करता हूं।
* विश्वनाथ धाम का यह पूरा परिसर एक भव्य भवन भर नहीं है। यह प्रतीक है हमारी सनातन संस्कृति, प्राचीनता, ऊर्जा, परंपरा और गतिशीलता का। जब आप यहां आएंगे तो आस्था और अतीत के गौरव का अहसास भी होगा। आज शिव जी का प्रिय दिवस सोमवार है। आज की तिथि मार्गशीर्ष शुक्ला दशमी, विक्रम संवत् 2078 नया इतिहास रच रही है और हम इसके साक्षी बन रहे हैं।
* काशी में पहले जो मंदिर का क्षेत्र केवल 3000 वर्ग फीट में था वो अब 5 लाख वर्ग फीट का हो गया है। अब यहां 70 हजार तक श्रृद्धालु आ सकते हैं। लेकिन काशी तो, काशी है। काशी तो अविनाशी है। काशी में एक ही सरकार है। जिनके हाथों में डमरू है, उनकी सरकार है। जहां गंगा अपनी धारा बदलकर बहती हो उस काशी को भला कौन रोक सकता है।
* कितने ही कालखंड आए-गए, कितनी ही सलतनतें आईं और गईं, लेकिन बनारस बना हुआ है। काशी के सौन्दर्य ने संसार को आकर्षित किया है। कइयों ने इस नगरी पर आक्रमण किए। औरंगजेब ने सभ्यता को तलवार के दम पर कुचलने की कोशिश की। लेकिन इस देश की मिट्टी पूरी दुनिया से अलग है। अगर यहां औरंगबेज आता है तो शिवाजी भी उठ खड़े होते हैं।
* काशी में हर पत्थर शंकर है, इसलिए हम अपनी काशी को सजीव मानते हैं। बनारस वो नगर है जहां जगतगुरु शंकराचार्य को भी प्रेरणा मिली और उन्होंने देश को एक सूत्र में बांधने का संकल्प लिया। ये काशी अहिंसा और तप की प्रतिमूर्ति और चार जैन तीर्थों की भी भूमि है।
* बनारस वो नगर है जहां से भगवान तुलसीदास को श्रीरामचरित मानस रचने की प्रेरणा मिली। कितने ही ऋषियों-मुनियों की तपोभूमि, जन्म भूमि, कर्म भूमि काशी रही है। जिस तरह काशी अनंत है वैसे ही काशी का योगदान भी अनंत है।
* काशी भारत की आत्मा का एक जीवंत अवतार भी है। काशी में मंदिर तोड़ा गया तो महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने इसका निर्माण करवाया, मैं उन्हें नमन करता हूं। महारानी अहिल्याबाई होल्कर के बाद काशी के लिए इतना काम अब हुआ है। महाराजा रंजीत सिंह जी ने मंदिर के शिखर पर स्वर्ण जड़वाया था। काशी शब्दों का विषय नहीं है, संवेदनाओं की सृष्टि है।
* काशी वो है- जहां जागृति ही जीवन है! काशी वो है- जहां मृत्यु भी मंगल है! काशी वो है- जहां सत्य ही संस्कार है! काशी वो है- जहां प्रेम ही परंपरा है। ये सिर्फ संयोग नहीं है कि काशी ने जब भी करवट ली है तो देश का भाग्य भी बदला है। हम भारतीयों की भुजाओं में अनंत उर्जा व बल है। विनाश करने वालों की शक्ति, भारत की शक्ति से बड़ी नहीं हो सकती है।
* काशी में तो माता अन्नपूर्णा स्वयं विराजित हैं। मुझे प्रसन्नता है कि यहां से चुराई गई माता अन्नपूर्णा की प्रतिमा 1000 वर्ष बाद यहां पुनः स्थापित कर दी गई है। मां अन्नपूर्णा के आशीर्वाद से कोरोना काल में भी देशवासियों को भोजन की कमी नहीं हुई।
* मेरे लिए जनता जनार्दन और हर भारतवासी ईश्वर का ही रूप है। मैं जब आपको ईश्वर का रूप मानता हूं तो आपसे तीन संकल्प बाबा की पवित्र धरती से मांगता हूं- 1. स्वच्छता 2. सृजन 3. आत्मनिर्भर भारत के लिए निरंतर प्रयास।
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