पीएम नरेंद्र मोदी बोले- हम सभी की एक ही जाति है 'भारतीयता', धर्म है सेवा- पढ़ें पूरी स्पीच

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) मंगलवार को शिवगिरी तीर्थयात्रा (Sivagiri Pilgrimage) की 90 वीं वर्षगांठ और ब्रह्म विद्यालय की स्वर्ण (golden jubilee of Brahmo Vidyalaya) जयंती में शामिल हुए। इस मौके पर आयोजित कार्यक्रम को पीएम नरेंद्र मोदी (Pm Modi) ने संबोधित किया। पीएम नरेंद्र मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि तीर्थदानम् की 90 सालों की यात्रा और ब्रह्म विद्यालयम् की गोल्डेन जुबली, ये केवल एक संस्था की यात्रा नहीं है। ये भारत के उस विचार की भी अमर यात्रा है, जो अलग-अलग कालखंड में अलग-अलग माध्यमों के जरिए आगे बढ़ता रहता है।
जब केदारनाथ जी में बहुत बड़ा हादसा हुआ। यात्री जीवन व मृत्यु के बीच जूझ रहे थे। उत्तराखंड में और केंद्र में तब कांग्रेस की सरकार थी। तब मैं गुजरात में मुख्यमंत्री था। तब शिवगिरी मठ से मुझे फोन कॉल आया कि हमारे संत वहां फंस गए हैं, उनका पता नहीं लग रहा है और ये काम आपको करना है। बड़ी-बड़ी सरकारें होने के बाद भी शिवगिरि मठ ने ये काम मुझे दिया। मुझे उसे सेवा कार्य का मौका मिला और सभी संतों को मैं सही सलामत वापस ला पाया।
वाराणसी में शिव की नगरी हो या वरकला में शिवगिरी, भारत की ऊर्जा का हर केंद्र, हम सभी भारतीयों के जीवन में विशेष स्थान रखता है। ये स्थान केवल तीर्थ भर नहीं हैं, ये आस्था के केंद्र भर नहीं हैं, ये 'एक भारत, श्रेष्ठ भारत' की भावना के जाग्रत प्रतिष्ठान हैं। दुनिया के कई देश, कई सभ्यताएं जब अपने धर्म से भटकीं, तो वहां आध्यात्म की जगह भौतिकतावाद ने ले ली। लेकिन, भारत के ऋषियों, संतों, गुरुओं ने हमेशा विचारों और व्यवहारों का शोधन किया, संवर्धन किया।
नारायण गुरुजी ने धर्म को शोधित किया, परिमार्जित किया, समयानुकूल परिवर्तन किया। उन्होंने रूढ़ियों और बुराइयों के खिलाफ अभियान चलाया और भारत को उसके यथार्थ से परिचित कराया। नारायण गुरुजी ने जातिवाद के नाम पर चल रहे, भेदभाव के खिलाफ लड़ाई लड़ी। जैसे ही हम किसी को समझना शुरू कर देते हैं, सामने वाला व्यक्ति भी हमें समझना शुरू कर देता है। नारायण गुरू जी ने भी इसी मर्यादा का हमेशा पालन किया। वो दूसरों की भावनाओं को समझते थे फिर अपनी बात समझाते थे।
हम सभी की एक ही जाति है- भारतीयता। हम सभी का एक ही धर्म है- सेवा धर्म, अपने कर्तव्यों का पालन। हम सभी का एक ही ईश्वर है- भारत मां के 130 करोड़ से अधिक संतान। हमें ये भी याद रखना चाहिए कि हमारा स्वतंत्रता संग्राम केवल विरोध प्रदर्शन और राजनैतिक रणनीतियों तक ही सीमित नहीं था। ये गुलामी की बेड़ियों को तोड़ने की लड़ाई तो थी ही, लेकिन साथ ही एक आज़ाद देश के रूप में हम होंगे, कैसे होंगे, इसका विचार भी था।
इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज से 25 साल बाद देश अपनी आज़ादी के 100 साल मनाएगा और 10 साल बाद हम तीर्थदानम् के 100 सालों की यात्रा का भी उत्सव मनाएंगे। इन 100 सालों की यात्रा में हमारी उपलब्धियां वैश्विक होनी चाहिए और इसके लिए हमारा विज़न भी वैश्विक होना चाहिए।
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