पीएम मोदी ने जल जीवन मिशन ऐप और नेशनल जल जीवन कोष का शुभारंभ किया, प्रधानमंत्री बोले- ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए

पीएम मोदी ने जल जीवन मिशन ऐप और नेशनल जल जीवन कोष का शुभारंभ किया, प्रधानमंत्री बोले- ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए
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देश के 2 महान सपूतों को हम गर्व के साथ याद कर रहे हैं। पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री जी, इन दोनों महान व्यक्तित्वों के मन में गांव ही बसे थे।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए जल जीवन मिशन ऐप (Jal Jeevan Mission app) और नेशनल जल जीवन कोष (National Jal Jeevan Kosh) का शुभारंभ किया। इस मौके पर पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा कि आज 2 अक्टूबर का दिन है। देश के 2 महान सपूतों को हम गर्व के साथ याद कर रहे हैं। पूज्य बापू और लाल बहादुर शास्त्री जी, इन दोनों महान व्यक्तित्वों के मन में गांव ही बसे थे।

जल जीवन मिशन का विजन, सिर्फ लोगों तक पानी पहुंचाने का ही नहीं है। ये Decentralisation का- विकेंद्रीकरण का भी बहुत बड़ा Movement है। ये Village Driven- Women Driven Movement है। इसका मुख्य आधार, जनआंदोलन और जनभागीदारी है। जल जीवन मिशन ऐप के माध्यम से पानी की गुणवत्ता की जांच और निगरानी पूरे देश में पानी की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करेगी।

बापू के सपने को साकार करने के लिए देशवासियों ने निरंतर परिश्रम किया है। आज देश के शहर और गांव खुद को खुले में शौच से मुक्त कर चुके हैं। करीब 2 लाख गांवों ने अपने यहां कचरा प्रबंधन का काम शुरु कर दिया है। 40 हजार से अधिक ग्राम पंचायतों ने सिंगल यूज प्लास्टिक को खत्म करने का फैसला किया है। गांधी जी कहते थे कि ग्राम स्वराज का वास्तविक अर्थ आत्मबल से परिपूर्ण होना है। इसलिए मेरा निरंतर प्रयास रहा है कि ग्राम स्वराज की ये सोच, सिद्धियों की तरफ आगे बढ़े।

2014 में जब देश ने मुझे नया दायित्व दिया तो मुझे गुजरात के ग्राम स्वराज के अनुभवों का राष्ट्रीय स्तर पर विस्तार करने का अवसर मिला। ग्राम स्वराज का असली लाभ तभी मिलेगा, जब गांव के लोगों की, गांव के विकास कार्यों से जुड़ी प्लानिंग और मैनेजमेंट में सक्रिय भागीदारी हो। पीएम मोदी ने आगे कहा कि खादी और स्थानीय हस्तशिल्प की बिक्री भी बढ़ी है। इन सभी पहलों के साथ, राष्ट्र आत्मानिर्भर भारत के मिशन के साथ चल रहा है।

हमने बहुत सी ऐसी फिल्में देखी हैं, कहानियां पढ़ी हैं, कविताएं पढ़ी हैं जिनमें विस्तार से ये बताया जाता है कि कैसे गांव की महिलाएं और बच्चे पानी लाने के लिए मीलों दूर चलकर जा रहे हैं। कुछ लोगों के मन में, गांव का नाम लेते ही यही तस्वीर उभरती है। लेकिन बहुत कम ही लोगों के मन में ये सवाल उठता है कि आखिर इन लोगों को हर रोज किसी नदी या तालाब तक क्यों जाना पड़ता है, आखिर क्यों नहीं पानी इन लोगों तक पहुंचता? मैं समझता हूं, जिन लोगों पर लंबे समय तक नीति-निर्धारण की जिम्मेदारी थी, उन्हें ये सवाल खुद से जरूर पूछना चाहिए था।

आजादी से लेकर 2019 तक, हमारे देश में सिर्फ 3 करोड़ घरों तक ही नल से जल पहुंचता था। 2019 में जल जीवन मिशन शुरू होने के बाद से, 5 करोड़ घरों को पानी के कनेक्शन से जोड़ा गया है। घर और स्कूल में शौचालय, सस्ते सेनेटरी पैड से लेकर गर्भावस्था के दौरान पोषण के लिए हजारों रुपयों की मदद और टीकाकरण मातृ-शक्ति और मजबूत हुई है। गांव की महिलाओं का सशक्तिकरण हमारी सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है। बीते वर्षों में बेटियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर विशेष ध्यान दिया गया है।

भारत का विकास गांवों के विकास पर ही निर्भर है। गांव में रहने वाले लोगों,युवाओं, किसानों के साथ सरकार ऐसी योजनाओं को प्राथमिकता दे रही है, जो गांवों को और अधिक सशक्त बनाए। गांव के लोगों को गांव में ही बेहतर उपचार मिले, इसके लिए 1.5 से ज्यादा हेल्थ एंड वेलनेस सेंटर बनाए जा रहे हैं। राष्ट्रीय आजीविका मिशन के तहत 2014 से पहले के पांच वर्षों में जितनी मदद सरकार ने बहनों के लिए भेजी, बीते सात वर्षों में उसमें लगभग 13 गुना बढ़ोतरी की गई है। लगभग पौने चार लाख करोड़ रुपये का ऋण भी स्वयं सहायता समूह की माताओं-बहनों को उपलब्ध कराया गया है।

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