Gujarat: पीएम मोदी मां का 100वां जन्मदिन मनाने पहुंचे- चरण धोकर लिया आशीर्वाद, बोले- पिताजी आज होते...

Gujarat: पीएम मोदी मां का 100वां जन्मदिन मनाने पहुंचे- चरण धोकर लिया आशीर्वाद, बोले- पिताजी आज होते...
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा, मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है, जीवन की वो भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की मां हीराबेन (Heeraben) का आज जन्मदिन हैं। वह आज 100 वें वर्ष में प्रवेश कर गई हैं। इस अवसर पर पीएम नरेंद्र मोदी गांधीनगर (Gandhinagar) स्थित घर अपनी मां से मुलाकात करने पहुंचे। पीएम मोदी (Pm Modi) ने मां का आशीर्वाद लेने के बाद उनके चरण धोए और अपने हाथों से मिठाई भी खिलाई। मां के साथ कुछ समय बिताने के बाद पीएम मोदी पावागढ़ मंदिर के लिए रवाना हो गए।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने ट्विटर अकाउंट से ट्वीट करते हुए लिखा, मां, ये सिर्फ एक शब्द नहीं है, जीवन की वो भावना है, जिसमें स्नेह, धैर्य, विश्वास, कितना कुछ समाया है। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं, उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। मैं अपनी खुशी और सौभाग्य साझा कर रहा हूं।

इस अवसर पर पीएम मोदी ने कहा कि दुनिया का कोई भी कोना हो, कोई भी देश हो, हर संतान के मन में सबसे अनमोल स्नेह मां के लिए होता है। मां, सिर्फ हमारा शरीर ही नहीं गढ़ती बल्कि हमारा मन, हमारा व्यक्तित्व, हमारा आत्मविश्वास भी गढ़ती है। और अपनी संतान के लिए ऐसा करते हुए वो खुद को खपा देती है, खुद को भुला देती है।

आज मैं अपनी खुशी, अपना सौभाग्य, आप सबसे साझा करना चाहता हूं। मेरी मां, हीराबा आज 18 जून को अपने सौवें वर्ष में प्रवेश कर रही हैं। यानि उनका जन्म शताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है। पिताजी आज होते, तो पिछले सप्ताह वो भी 100 वर्ष के हो गए होते। यानि 2022 एक ऐसा वर्ष है जब मेरी मां का जन्मशताब्दी वर्ष प्रारंभ हो रहा है और इसी साल मेरे पिताजी का जन्मशताब्दी वर्ष पूर्ण हुआ है।

पिछले ही हफ्ते मेरे भतीजे ने गांधीनगर से मां के कुछ वीडियो भेजे हैं। घर पर सोसायटी के कुछ नौजवान लड़के आए हैं, पिताजी की तस्वीर कुर्सी पर रखी है, भजन कीर्तन चल रहा है और मां मगन होकर भजन गा रही हैं, मंजीरा बजा रही हैं। मां आज भी वैसी ही हैं। शरीर की ऊर्जा भले कम हो गई है लेकिन मन की ऊर्जा यथावत है।

वैसे हमारे यहां जन्मदिन मनाने की कोई परंपरा नहीं रही है। लेकिन परिवार में जो नई पीढ़ी के बच्चे हैं उन्होंने पिताजी के जन्मशती वर्ष में इस बार 100 पेड़ लगाए हैं। आज मेरे जीवन में जो कुछ भी अच्छा है, मेरे व्यक्तित्व में जो कुछ भी अच्छा है, वो मां और पिताजी की ही देन है। आज जब मैं यहां दिल्ली में बैठा हूं, तो कितना कुछ पुराना याद आ रहा है।

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