लोकसभा में पीएम मोदी का कांग्रेस पर वार, बोले आपके तरीके से चलता तो 370 नहीं हटता

लोकसभा में राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पर पीएम मोदी ने जवाब दिया। पीएम मोदी ने संसद को संबोधित करते हुए कहा कि 21वीं सदी के तीसरे दशक का माननीय राष्ट्रपति जी का वक्तव्य हम सभी को दिशा व प्रेरणा देने वाला और देश के लोगों में विश्वास पैदा करने वाला है।
एक स्वर ये उठा है कि सरकार को सारे कामों की जल्दी क्यों है? हम सारे काम एक साथ क्यों कर रहे हैं? सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता में लिखा है कि लीक पर वे चलें, जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं, हमें तो जो हमारी यात्रा से बने, ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं।
मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की तलवार आज भी डराती
लोगों ने सिर्फ एक सरकार बदली है, केवल ऐसा नहीं है, बल्कि सरोकार भी बदलने की अपेक्षा की है। इस देश की एक नई सोच के साथ काम करने की इच्छा और अपेक्षा के कारण हमें यहां आकर काम करने का अवसर मिला है।
हम भी आप लोगों के रास्ते पर चलते, तो शायद 70 साल के बाद भी इस देश से अनुच्छेद 370 नहीं हटता, आपके ही तौर तरीके से चलते, तो मुस्लिम महिलाओं को तीन तलाक की तलवार आज भी डराती।
#WATCH Prime Minister Narendra Modi replies in Lok Sabha to the Motion of Thanks on the President's Address. https://t.co/oV0NIu76cA
— ANI (@ANI) February 6, 2020
भारत-बांग्लादेश विवाद कभी नहीं सुलझता
आपकी ही सोच के साथ चलते तो राम जन्मभूमि आज भी विवादों में रहती। आपकी ही सोच अगर होती, तो करतापुर साहिब कोरिडोर कभी नहीं बन पाता। आपके ही के तरीके होते, आपका ही रास्ता होता, तो भारत-बांग्लादेश विवाद कभी नहीं सुलझता।
पीएम मोदी ने कांग्रेस पर वार करते हुए कहा कि अगर कांग्रेस के रास्ते हम चलते, तो 50 साल बाद भी शत्रु संपत्ति कानून का इंतजार देश को करते रहना पड़ता। 35 साल बाद भी नेक्स्ट जनरेशन लड़ाकू विमान का इंतजार देश को करते रहना पड़ता। 28 साल बाद भी बेनामी संपत्ति कानून लागू नहीं हो पाता।
चुनौतियों की तरफ न देखने की आदतें भी देश ने देखी हैं
कोई इस बात से इंकार नहीं कर सकता कि देश चुनौतियों से लोहा लेने के लिए हर पल कोशिश करता रहा है। कभी कभी चुनौतियों की तरफ न देखने की आदतें भी देश ने देखी है, चुनौतियों को चुनने का सामर्थ्य नहीं, ऐसे लोगों को भी देखा है।
लेकिन आज दुनिया की भारत से जो अपेक्षा है, हम अगर चुनौतियों को चुनौती नहीं देते, अगर हम हिम्मत नहीं दिखाते और अगर हम सबको साथ लेकर चलने की गति नहीं दिखाते तो हमें लंबे अरसे तक समस्याओं से जूझना होता।
37 करोड़ लोगों के बैंक अकाउंट इतनी जल्दी नहीं खुलते
हमने जिस तेज गति से काम किया है, उसका परिणाम है कि देश की जनता ने इसे देखा और देखने के बाद, उसी तेज गति से आगे बढ़ने के लिए हमें फिर से सेवा का मौका दिया। अगर ये तेज गति न होती तो 37 करोड़ लोगों के बैंक अकाउंट इतनी जल्दी नहीं खुलते।
अगर गति तेज न होती तो 11 करोड़ लोगों के घरों में शौचालय न बनते। 13 करोड़ गरीब लोगों के घर में गैस का चूल्हा नहीं पहुंचता। 2 करोड़ नए घर गरीबों के लिए नहीं बनते। लंबे समय से अटकी दिल्ली की 1,700 कॉलोनियों को नियमित करने का काम पूरा न होता।
दिल्ली दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई
नॉर्थ ईस्ट में पिछले 5 वर्ष में जो दिल्ली उन्हें दूर लगती थी, आज वही दिल्ली उनके दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई है। चाहे बिजली की बात हो, रेल की बात हो, हवाई अड्डे की बात हो, मोबाइल कनेक्टिविटी की बात हो, ये सब करने का हमने प्रयास किया है।
बोड़ो जनजाति की चर्चा में कहा कि ये कोई पहली बार नहीं हुआ। लेकिन पहले जो कुछ भी हुआ, राजनीति के तराजू से तौलकर किया, जो भी किया आधे-अधूरे मन से किया गया। पहले समझौते तो हुए, फोटो भी छप गई, लेकिन कागज पर किये समझौते से बोड़ो जनजाति के लोगों का भला नहीं हुआ। इस बार के बोडो समझौते में सभी हथियारी ग्रुप साथ आए हैं।
सबसे महत्वपूर्ण बात इसके एग्रीमेंट में लिखा है कि इसके बाद बोडो की कोई मांग बाकी नहीं रही है। आज नई सुबह भी आई है, नया सवेरा भी आया है, नया उजाला भी आया है।
पीएम फसल बीमा योजना से किसानों में एक विश्वास पैदा हुआ
हम जानते हैं कि डेढ़ गुना एमएसपी का विषय लंबे समय से अटका था, ये किसानों के प्रति हमारी जिम्मेदारी थी कि हमने उसे पूरा किया। वर्षों से लटकी करीब 99 सिंचाई परियोजनाओं पर एक लाख करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च करके पूरा किया और अब किसानों को उसका लाभ मिल रहा है।
पीएम फसल बीमा योजना से किसानों में एक विश्वास पैदा हुआ है। इस योजना के अंतर्गत किसानों से करीब 13 हजार करोड़ रूपये का प्रीमियम आया। लेकिन प्राकृतिक आपदा के कारण किसानों को जो नुकसान हुआ, उसके लिए किसानों को करीब 56 हजार करोड़ इस बीमा योजना से प्राप्त हुए।
आपके लिए गांधी जी ट्रेलर हो सकते हैं
किसानों की आय बढ़े, ये हमारी प्राथमिकता है। Input cost कम हो ये हमारी प्राथमिकता है। हमारे देश में पहले 7 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई। जबकि हमारे कार्यकाल में 100 लाख टन दाल और तिलहन की खरीद हुई।
पीएम मोदी ने आगे कहा कि आपके लिए गांधी जी ट्रेलर हो सकते हैं, हमारे लिए गांधी जी जिंदगी हैं। कुछ माननीय सदस्य कहते हैं कि ये काम क्यों नहीं हुआ, कब तक करेंगे, कब होगा, कैसे होगा। तो कुछ लोगों को लगता है कि आप आलोचना करते हैं, लेकिन मुझे नहीं लगता कि आप आलोचना करते हैं। मुझे खुशी है कि आप मुझे समझते हैं, आपको भी पता है कि करेगा तो ये ही करेगा।
हमने समस्याओं के समाधान खोजने का लगातार प्रयास किया है और उसी का परिणाम है कि अर्थव्यवस्था में Fiscal deficit बनी रही है, महंगाई नियंत्रित रही है और macro-economic स्टेबिलिटी भी बनी रही।
मोदी सरकार का विजन
हमारा विजन - अधिक से अधिक निवेश। बेहतर बुनियादी ढांचा। मूल्यवर्धन बढ़ाता है और ज्यादा से ज्यादा job creation पर है। सर्वेश्वर दयाल सक्सेना जी ने अपनी कविता में लिखा है कि लीक पर वे चलें, जिनके चरण दुर्बल और हारे हैं। हमें तो जो हमारी यात्रा से बने, ऐसे अनिर्मित पथ ही प्यारे हैं।
FDI अप्रैल-सितंबर 2018 में 22 बिलियन डॉलर था
अर्थव्यवस्था को गति मिले इसके लिए भी हमने कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए है। जनवरी 2019 से जनवरी 2020 के बीच 6 बार जीएसटी राजस्व 1 लाख करोड़ रुपये से ज्यादा रहा है। FDI, अप्रैल-सितंबर 2018 में 22 बिलियन डॉलर था। आज उसी अवधि में ये 26 बिलियन डॉलर को पार कर गया है।
मुद्रा योजना, मेक इन इंडिया जैसी योजनाओं ने देश में स्वरोजगार को बहुत बड़ी ताकत दी है। देश में पहली बार करोड़ों लोग मुद्रा योजना से खुद तो रोजी-रोटी कमाने लगे हैं और दूसरों को भी रोजगार देने लगे हैं।
6 महीने में मोदी को डंडे मारेंगे
मैंने कांग्रेस के एक नेता का कल वक्तव्य सुना कि 6 महीने में मोदी को डंडे मारेंगे। ये काम थोड़ा कठिन है, तो तैयारी में 6 महीने लगते ही हैं। मैंने भी तय किया है कि 6 महीने में सूर्य नमस्कार की संख्या बढ़ा दूंगा।
20 साल से मैंने जिस प्रकार से गंदी गाली सुनकर खुद को गालीप्रूफ बना दिया है तो, 6 महीने ऐसी मेहनत करूंगा की मेरी पीठ को हर डंडा सहने की ताकत मिले।
हम इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों में गति लाए
देश की अर्थव्यवस्था को ताकत देने में इंफ्रास्ट्रक्चर का बहुत बड़ा महत्व होता है। जितना ज्यादा बल हम इंफ्राफ्ट्रक्चर को देते हैं, वो अर्थव्यवस्था, रोजगार और नए उद्योगों को गति देता है। इसलिए हम इंफ्रास्ट्रक्चर के कामों में गति लाए हैं।
इरीगेशन से लेकर इंडस्ट्री तक, रोड से लेकर पोर्ट्स तक और एयर वे से लेकर वाटर वे तक हमने अनेक initiatives लिए हैं। गत 5 वर्षों में देश ने ये देखा है और देखा है तभी तो यहां दोबारा बैठाया है।
आपातकाल कौन लाया?
दिल्ली में ट्रैफिक, के बीच हजारों ट्रक गुजरते थे। पेरिफेरल एक्सप्रेस-वे को पूरा करने का 2009 में यूपीए सरकार का संकल्प था। 2014 तक वो कागजों तक ही सीमित रहा। 2014 में आने के बाद हमने मिशन मोड पर काम किया और आज ये काम पूरा हो गया है।
आपातकाल कौन लाया? न्यायपालिका को किसने रौंदा? संविधान में सबसे अधिक संशोधन कौन लाया है? किसने अनुच्छेद 356 को सबसे अधिक लागू किया? जिन लोगों ने उपरोक्त कार्य किये हैं, उन्हें हमारे संविधान का गहन ज्ञान प्राप्त करने की आवश्यकता है।
बार-बार संविधान बोलना भी पड़ेगा, पढ़ना भी पड़ेगा
कैबिनेट ने एक प्रस्ताव पारित किया हो और उस प्रस्ताव को प्रेस कॉन्फ्रेंस में फाड़ देने वाले लोगों को संविधान बचाने की शिक्षा लेना बहुत जरूरी है। जिन्होंने लोगों से जीने का कानून छीनने की बात कही थी, उन्हें बार-बार संविधान बोलना भी पड़ेगा, पढ़ना भी पड़ेगा। जो लोग सबसे ज्यादा बार संविधान को बदलने का प्रस्ताव लाए हैं, उन्हें संविधान बचाने की बात करनी ही पड़ेगी।
संविधान की वकालत के नाम पर दिल्ली और देश में क्या क्या हो रहा
संविधान की वकालत के नाम पर दिल्ली और देश में क्या क्या हो रहा है, वो देश देख भी रहा है, समझ भी रहा है और देश की चुप्पी भी कभी न कभी रंग तो लाएगी ही। सर्वोच्च अदालत संविधान में व्रतीत एक महत्वपूर्ण अंग है, वो सर्वोच्च अदालत बार बार ये कहे कि आंदोलन ऐसे न हो जो सामान्य मानवी को तकलीफ दे और हिंसा के रास्ते पर न चले। लेकिन वामपंथी और कांग्रेस के लोग वहां जाकर लोगों को उकसा रहे हैं और भड़काऊ बातें कर रहे हैं।
पब्लिक सब जानती है
एक शायर ने कहा था, खूब पर्दा है कि चिलमन से लगे बैठे हैं, साहब छुपते भी नहीं, सामने आते भी नहीं। पब्लिक सब जानती है। पिछले दिनों जो वक्तव्य दिए गए, उनका जिक्र सदन में करना उपयुक्त नहीं है। सदन के बड़े-बड़े लोग भी वहां जाते हैं, ये ठीक नहीं हैं।
कांग्रेस के समय हिंदुस्तान की क्या स्थिति थी, लोगों के अधिकार की स्थिति क्या थी, ये मैं इनसे पूछना चाहता हूं। अगर ये लोग मानते कि संविधान इतना महत्वपूर्ण है तो, हिंदुस्तान के संविधान को जम्मू कश्मीर में लागू करने से इन्हें किसने रोका था।
कश्मीर की पहचान बम, बंदूक और अलगाववाद की बना दी गई थी
कश्मीर भारत का मुकुटमणि है। कश्मीर की पहचान बम, बंदूक और अलगाववाद की बना दी गई थी। 19 जनवरी 1990 की वो काली रात को कुछ लोगों ने कश्मीर की पहचान को दफना दिया था। कश्मीर की पहचान सूफी परंपरा और सर्व पंथ संभाव की है।
इसलिए करा दिया गया हिन्दुस्तान का बंटवारा
सीएए को लेकर कुछ लोग कह रहे हैं कि इसे लाने की इतनी जल्दी क्या थी? कुछ माननीय सदस्यों ने कहा कि हम देश के टुकड़े करना चाहते हैं। विडंबना यह है कि ये वो लोग बोल रहे हैं जो देश के 'टुकडे टुकडे' करने वालों के बगल में खड़े होकर फोटो खिंचवाना पसंद करते हैं।
देश ने देख लिया है कि दल के लिए कौन है और देश के लिए कौन है। जवाहर लाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनना था, इसलिए हिंदुस्तान में लकीर खींची गई और हिंदुस्तान का बंटवारा कर दिया गया।
कानून में बदलाव किया जाना चाहिए
इतने दशकों के बाद भी पाकिस्तान की सोच नहीं बदली है, वहां आज भी अल्पसंख्यकों पर अत्याचार हो रहे हैं, इसका ताजा उदाहरण ननकाना साहिब में देखने को मिला। ये केवल हिंदू और सिखों के साथ नहीं बल्कि वहां अन्य जो अल्पसंख्यक हैं, उनके साथ भी यही हो रहा है।
5 नवंबर 1950 को इसी संसद में नेहरू जी ने कहा था कि इसमें कोई संदेह नहीं हैं कि जो प्रभावित लोग भारत में बसने के लिए आये हैं, ये नागरिकता मिलने के अधिकारी हैं और अगर इसके लिए कानून अनुकूल नहीं हैं तो कानून में बदलाव किया जाना चाहिए। 1950 में नेहरू-लियाकत समझौता हुआ, जो भारत-पाकिस्तान में रहने वाले अल्पसंख्यकों के संरक्षण के लिए हुआ। इस समझौते में धार्मिक अल्पसंख्यकों का जिक्र हुआ था।
कांग्रेस की दिक्कत ये हैं कि वो बाते करती है
नेहरू जी इनते बड़े विचारक थे, फिर उन्होंने उस समय वहां के अल्पसंख्यकों की जगह, वहां के सारे नागरिक को समझौते में शामिल क्यों नहीं किया? जो बात हम आज बता रहे हैं, वही बात नेहरू जी की भी थी।
कांग्रेस की दिक्कत ये हैं कि वो बाते करती है, झूठे वादे करती है और दशकों तक उन वादों को टालती रहती है। आज हमारी सरकार अपने राष्ट्र निर्माताओं की भावनाओं पर चलते हुए फैसले ले रही है, तो इनकों दिक्कत हो रही है।
मैं फिर से इस सदन के माध्यम से बड़ी जिम्मेदारी के साथ स्पष्ट कहना चाहता हूं कि सीएए से हिंदुस्तान के किसी भी नागरिक पर कोई प्रभाव नहीं पड़ने वाला। चाहे वो मुस्लिम हो, हिंदू हो, सिख हो या अन्य किसी धर्म को मानने वाला हो।
संविधान बचाने की बात कांग्रेस को दिन में 100 बार बोलनी चाहिए
संविधान बचाने की बात कांग्रेस को दिन में 100 बार बोलनी चाहिए, ये तो उनका मंत्र होना चाहिए। संविधान के साथ कब क्या हुआ, अगर इसका महत्व समझते तो संविधान के साथ ये न हुआ होता। इसलिए जितनी बार आप संविधान बोलोगे, कुछ चीजें आपको अपनी गलतियों का एहसास करा देंगी।
1963 में लोकसभा में कॉल अटेंशन मोशन हुआ और नेहरू जी उस समय विदेश मंत्री की भी जिम्मेदारी संभाल रहे थे। तब नेहरू जी ने तब के विदेश राज्य मंत्री को टोकते हुए कहा था कि पूर्वी पाकिस्तान में वहां की ऑथोरिटी हिंदुओं पर जबरदस्त दवाब बना रही है।
पाकिस्तान के हालात को देखते हुए गांधी जी के साथ ही नेहरू जी की भावनाएं भी जुड़ी थी। सभी लोग इस तरह के कानून की बात कहते रहे हैं। क्या पंडित नेहरू कम्युनल थे? क्या हिन्दू-मस्लिम में भेद करते थे? क्या वो हिंदू राष्ट्र बनाना चाहते थे? कांग्रेस की दिक्कत ये है कि वो बातें बनाती है, झूठे वादे करती है और दशकों तक वादों का टालती है।
दिल्ली के सिख विरोधी दंगे याद नहीं
मैं कांग्रेस से पूछना चाहता हूं जो अल्पसंख्यकों के नाम पर अपनी राजनीतिक रोटियां सेंकते रहते हैं। क्या कांग्रेस को 1984 के दिल्ली के सिख विरोधी दंगे याद नहीं, क्या वो अल्पसंख्यक नहीं थे? हमारे सिख भाइयों के गले में टायर बांध बांध कर जला दिया गया था। इतना ही नहीं उन दंगों के आरोपियों को जेल में तो नहीं भेजा अपितु उन दंगों को भड़काने का आरोप जिन पर लगा था, उनको एक राज्य का मुख्यमंत्री बना देते हो।
हमें याद दिलाया जा रहा है कि 'भारत छोड़ो' और 'जय हिंद' का नारा देने वाले हमारे मुस्लिम ही थे। दिक्कत यही है कि कांग्रेस की नजर में ये लोग हमेशा ही सिर्फ और सिर्फ मुस्लिम थे। लेकिन हमारे लिए, हमारी नजर में वो भारतीय हैं, हिंदुस्तानी हैं।
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