Pariksha Pe Charcha: पीएम मोदी फिर से करेंगे 'परीक्षा पर चर्चा', जानिये उनकी कवायद अभी तक कितना रंग लाई

Pariksha Pe Charcha: पीएम मोदी फिर से करेंगे परीक्षा पर चर्चा, जानिये उनकी कवायद अभी तक कितना रंग लाई
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Pariksha Pe Charcha: स्पर्धा के इस दौर में शिक्षकों और अभिभावकों की ओर से स्टूडेंट्स पर महत्वकांक्षाओं का बोझ लाद दिया जाता है। जब बच्चों को लगता है कि वो इन महत्वकांक्षाओं को पूरा नहीं कर पाएंगे, तो सुसाइड कर लेते हैं। इस स्थिति को बदलने के लिए पीएम मोदी ने 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम की शुरुआत की थी। आइये जानते हैं कि पीएम की यह कवायद अभी तक कितना रंग ला पाई है।

Pariksha Pe Charcha 2024: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 2024 के लिए 'परीक्षा पर चर्चा' कार्यक्रम के तहत फिर से विद्यार्थियों, शिक्षकों और अभिभावकों के साथ संवाद करेंगे। इस कार्यक्रम का उद्देश्य स्टूडेंट्स को मोटिवेट करने के साथ शिक्षकों और अभिभावकों को प्रेरित करना है कि बच्चों पर अपनी महत्वकांक्षाओं को न थोंपे, जिससे वे बिना किसी दबाव के परीक्षा दें और नतीजे के डर से अवसाद में न घिरें। पीएम मोदी की इस पहल के चलते बच्चों में आत्महत्या के मामले कम हुए हैं, जो इस कार्यक्रम की सफलता दर्शाता है। वहीं दूसरी तस्वीर ऐसी भी है कि मामले भले ही कम हो रहे हैं, लेकिन आज भी स्टूडेंटस में आत्महत्या के मामले चिंताजनक हैं। विशेषकर 9वीं से 12वीं तक के बच्चे सबसे ज्यादा आत्महत्याएं कर रहे हैं।

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो यानी एनसीआरबी की ताजा रिपोर्ट बताती है कि भारत में 2022 में 13000 से अधिक छात्रों ने सुसाइड किया। इनमें से 10,295 छात्र ऐसे थे, जिनकी उम्र 18 साल से कम थी। सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि अधिकांश परीक्षाओं में टॉप करने वाली लड़कियां सुसाइड करने के मामले में भी आगे हैं। 18 साल से कम उम्र में सुसाइड करने वाले छात्रों की संख्या 4616 और लड़कियों की संख्या 5588 बताई गई है।

9वीं से 12वीं के स्टूडेंट्स ज्यादा तनाव में

रिपोर्ट में बताया गया है कि 9वीं से 12वीं कक्षा में पढ़ने वाले स्टूडेंट्स पर तनाव सबसे अधिक होता है। यह कई कारण हो सकते हैं, लेकिन सबसे प्रमुख कारण यह उभरकर सामने आया है कि बच्चे अपने शिक्षकों और अभिभावकों की महत्वकांक्षाओं पर खरा उतरने में खुद को नाकाम महसूस करते हैं। बोर्ड परीक्षा में टॉप पर आना, कौन सी फील्ड में जाना है, अगर टॉप नहीं किया तो कुछ नहीं होगा... ऐसे सवाल बच्चों को अवसाद की ओर ले जाते हैं। आंकड़ों पर नजर डालें तो 2022 में कक्षा नौंवी से दसवीं में पढ़ने वाले 23.9 फीसद स्टूडेंट्स ने सुसाइड कर लिया, वहीं 11वीं और 12वीं की बात करें तो 15.9 फीसद स्टूडेंट्स ने आत्महत्या कर ली।

बड़ों की तरह बच्चों में भी तनाव साबित होता है आत्मघाती

मनोरोग विशेषज्ञ बताते हैं कि उम्र बढ़ने के साथ लोग परिपक्व हो जाते हैं और परिस्थितियों से लड़ने का प्रयास करते हैं, लेकिन बच्चे उतने परिपक्व नहीं होते हैं। यही कारण है कि छोटी सी समस्या भी बच्चों को अवसाद में डाल देती है। आंकड़ों को देखा जाए तो मनोरोग विशेषज्ञों की यह बात सही साबित नजर आती है। मसलन, 2022 में प्राइमरी स्कूल में पढ़ने वाले 14.5 फीसद छात्रों ने सुसाइड किया, वहीं स्नातक के 5.2 फीसद, डिप्लोमा होल्डर 1.6 और प्रोफेशनल कोर्स कर रहे 0.4 फीसद स्टूडेंट्स ने सुसाइड किया। मतलब यह है कि 12वीं तक के बच्चों में सुसाइड करने की दर अधिक है, जबकि इसके बाद सुसाइड करने की दर कम है।

यह दर्शाता है कि कम उम्र के बच्चे भी नेगेटिव सिचुएशन से लड़ने की बजाय हार मानकर सुसाइड कर लेते हैं। मनोरोग विशेषज्ञ कहते हैं कि शिक्षकों और अभिभावकों को इस दिशा में बेहद जागरूक रहना होगा। अगर कोई बच्चा घर की परिस्थिति की वजह से तनाव में हो तो शिक्षक पता लगाकर जान सकते हैं कि बच्चा डिप्रेशन में क्यों है और उस डिप्रेशन को दूर करने में मदद कर सकते हैं। वहीं अगर बच्चा स्कूल की वजह से डिप्रेशन में है, तो अभिभावकों को पता लगाना चाहिए कि वो किस वजह से तनाव में है और कारण पता लगाकर बच्चे की मदद करनी चाहिए।

परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के लिए रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2024 के लिए परीक्षा पे चर्चा कार्यक्रम के छठे संस्करण लेकर रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर रजिस्ट्रेशन का लिंक शेयर किया है। साथ ही, MyGov- परीक्षा पे चर्चा की ऑफिशियल वेबसाइट innovateindia.mygov.in/ppc-2024/ पर आवेदन कर सकते हैं।

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