गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर PM मोदी ने राष्ट्र को किया संबोधित, रचा ये इतिहास

गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर PM मोदी ने राष्ट्र को किया संबोधित, रचा ये इतिहास
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गुरु श्री तेग बहादुर (Guru Shri Tegh Bahadur) का 400वां प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरूवार को सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया।

गुरु श्री तेग बहादुर (Guru Shri Tegh Bahadur) का 400वां प्रकाश पर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Narendra Modi) ने गुरूवार को सिख गुरु, गुरु तेग बहादुर के 400वें प्रकाश पर्व पर लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया। वह स्वतंत्र भारत (Independent India) के एकमात्र ऐसे प्रधानमंत्री बन गए है। जिन्होंने सूर्यास्त के बाद लाल किले से राष्ट्र को संबोधित किया है।

मोदी ने कहा कि 2019 में हमें गुरु नानक देव जी का 550वां प्रकाश पर्व और 2017 में गुरु गोबिंद सिंह का 350वां प्रकाश पर्व मनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। उन्होंने सभी 10 गुरुओं के चरणों में नतमस्तक होते हुए कहा कि यह लाल किला कई महत्वपूर्ण कालखंडो का साक्षी रहा है। इस किले ने गुरु तेग बहादुर की शहादत को भी देखा है और देश के लिए मरने वालों के जज्बे को परखा है।

उन्होंने कहा कि आजादी के 75 साल बाद भारत के कई सपनों की गूंज यहीं से गूंजी है, इसलिए आजादी के अमृत महोत्सव के दौरान यह कार्यक्रम और भी खास हो गया है। पीएम मोदी ने कहा कि अब शबद कीर्तन सुनकर जो शांति मिली है, उसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। आज मुझे गुरु को समर्पित एक स्मारक डाक टिकट और सिक्का जारी करने का भी सौभाग्य प्राप्त हुआ है। मैं इसे अपने गुरुओं की विशेष कृपा मानता हूं।

उन्होंने कहा कि मुझे खुशी है कि आज हमारा देश अपने गुरुओं के आदर्शों पर पूरी श्रद्धा के साथ आगे बढ़ रहा है। इस पुण्य अवसर पर मैं सभी दस गुरुओं के चरणों में नतमस्तक हूँ। प्रकाश पर्व के अवसर पर आप सभी देशवासियों और गुरुवाणी में आस्था रखने वाले सभी लोगों को प्रकाश पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं देता हूँ। मोदी ने कहा कि यह भारतभूमि केवल एक देश नहीं है, बल्कि यह हमारी महान विरासत है, एक महान परंपरा है।

इसे हमारे ऋषि-मुनियों, गुरुओं ने सैकड़ों हजारों वर्षों की तपस्या से सींचा है, इसके विचारों को समृद्ध किया है। मोदी ने कहा कि उस समय भारत के लिए अपनी पहचान बचाने की एक बड़ी उम्मीद गुरु तेग बहादुर जी के रूप में दिखी थी। औरंगजेब की अत्याचारी सोच के सामने उस समय गुरु तेग बहादुर जी 'हिंद दी चादर' बनकर चट्टान बनकर खड़े हो गए थे। उस समय देश में धार्मिक कट्टरता की आंधी चल रही थी।

हमारे भारत के सामने ऐसे लोग थे, जो धर्म को दर्शन, विज्ञान और आत्म-अनुसंधान का विषय मानते थे, जिन्होंने धर्म के नाम पर हिंसा और अत्याचार किया था। पीएम ने कहा कि लाल किले के पास गुरु तेग बहादुर जी के अमर बलिदान का प्रतीक गुरुद्वारा शीशगंज साहिब भी है। यह पवित्र गुरुद्वारा हमें याद दिलाता है कि हमारी महान संस्कृति की रक्षा के लिए गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान कितना बड़ा था।

संस्कृति मंत्रालय ( Ministry of Culture) के अधिकारियों के अनुसार, लाल किले (Red Fort) को आयोजन स्थल के रूप में इसलिए चुना गया था क्योंकि यहीं पर मुगल शासक (Mughal Ruler) औरंगजेब (Aurangzeb) ने 1675 में सिखों के नौवें गुरु, गुरु तेग बहादुर को फांसी देने का आदेश दिया था। यह कार्यक्रम केंद्रीय संस्कृति एवं पर्यटन मंत्रालय और दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (Delhi Sikh Gurdwara Management Committee) के समन्वय से किया गया। इस आयोजन में कई राज्यों के मुख्यमंत्री, देश और दुनिया के कई गणमान्य व्यक्ति ने भाग लिया। इस कार्यक्रम का आयोजन आजादी अमृत महोत्सव समारोह के तहत किया जा रहा है।

दिल्ली पुलिस (Delhi Police) समेत विभिन्न एजेंसियों के करीब एक हजार जवानों को कार्यक्रम स्थल पर बहुस्तरीय सुरक्षा में तैनात किया गया है। साथ ही लाल किला परिसर में करीब 100 सीसीटीवी कैमरे (100 cctv cameras) लगाए गए हैं। वहीं दिल्ली में कोविड-19 के बढ़ते मामलों को देखते हुए सामाजिक दूरी के नियमों का पूरी तरह पालन किया जा रहा है।

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