Haribhoomi Explainer: जी-7 समिट में 'हर तरफ मोदी', कभी भारत को कर दिया जाता था नजरअंदाज

Haribhoomi Explainer: भारतीय जनता पार्टी ने हर घर मोदी का नारा दिया था, लेकिन आज जापान के हिरोशिमा में चल रही जी7 समिट में हर तरफ मोदी नजर आ रहे हैं। यह पीएम मोदी का जलवा है कि G-7 समूह देशों का हिस्सा न होने के बावजूद भारत को लगातार चौथी बार इस शिखर सम्मेलन में बतौर अतिथि के रूप में आमंत्रित किया है। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बिडेन भी पीएम मोदी की लोकप्रियता को लेकर अचंभित हैं। उन्होंने सीधे पीएम मोदी से पूछ लिया कि क्या उन्हें उनसे ऑटोग्राफ लेना चाहिए। यही नहीं, पीएम मोदी जी7 समिट के बाद आज यानी रविवार को पापुआ गिनी पहुंचे, तो वहां भी भव्य स्वागत हुआ। पापुआ गिनी के प्रधानमंत्री जेम्स मारपे पहले तो पीएम मोदी से गले मिले और इसके बाद उनके पांव भी छू लिए। तो चलिये हरिभूमि एक्सप्लेनर में आपको जी-7 संगठन के बारे में बताएंगे, जिसकी समिट के दौरान पीएम मोदी की इतनी अधिक चर्चाएं क्यों हो रही हैं। इससे पहले देखिये पीएम मोदी और प्रधानमंत्री जेम्स मारपे की मुलाकात का दृश्य...
#WATCH | Prime Minister of Papua New Guinea James Marape seeks blessings of Prime Minister Narendra Modi upon latter's arrival in Papua New Guinea. pic.twitter.com/gteYoE9QOm
— ANI (@ANI) May 21, 2023
जी-7 समूह की स्थापना क्यों हुई
साल 1975 में अरब देशों ने तेल पर प्रतिबंध लगा दिया था, जिसके बाद वैश्विक तौर पर आर्थिक मंदी छा गई थी। इससे निपटने के लिए इस समिट की शुरूआत की गई थी। शुरूआत में इसमें छह देशों ने हिस्सा लिया था, इसकी मेजबानी फ्रांस के द्वारा की गई थी।
G-7 समूह क्या है
G-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित अर्थव्यवस्थाओं वाले देशों का एक समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और संयुक्त राज्य अमेरिका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन (Group Of Seven) कहा जाता है। शुरुआत में यह छह देशों का समूह था, जिसकी पहली बैठक 1975 में हुई थी। इस बैठक में वैश्विक आर्थिक संकट के संभावित समाधानों पर विचार किया गया था। उसके अगले ही साल कनाडा भी इसका हिस्सा बन गया था। इसी तरह जी-7 समूह का निर्माण हुआ। G-7 कभी G-6 तो कभी G-8 भी हुआ करता था। G-7 में एक अनोखी बात है कि इसका किसी भी देश में कोई मुख्यालय नहीं है।
G-7 के सिद्धांत
1975 में जी-7 (G-7 Summit) समूह की स्थापना की गई थी, जिसका उद्देश्य मानवीय मूल्यों की रक्षा, लोकतंत्र की रक्षा, मानवाधिकारों की रक्षा, अंतरराष्ट्रीय शांति का समर्थक, समृद्धि और सतत विकास के सिद्धांत पर चलना है। इसके साथ ही यह समूह खुद को कम्युनिटी ऑफ वैल्यूज यानी मूल्यों का आदर करने वाला समुदाय मानता है। यही इसके मूल सिद्धांत हैं।
G-7 समूह का अध्यक्ष
इस समूह में शामिल सभी देश एक-एक बार इस शिखर सम्मेलन की मेजबानी करते हैं। जिस देश के पास इसकी मेजबानी होती है, उसे ही इस ग्रुप का अध्यक्ष माना जाता है। इस साल यह सम्मेलन जापान के हिरोशिमा में आयोजित हो रहा है, तो इसकी अध्यक्षता भी जापान ही कर रहा है।
कैसे करता है काम
प्रत्येक वर्ष G-7 की बैठक आयोजित की जाती है। यह सम्मेलन 2 दिवसीय होता है। जहां पर वैश्विक मुद्दों को लेकर चर्चा की जाती है और उनके समाधान के लिए रणनीति तय की जाती है। शिखर सम्मेलन के अंत में एक सूचना जारी की जाती है, जिसमें विभिन्न विषयों पर सहमति वाले बिंदुओं का जिक्र होता है। इसमें शामिल देशों के राष्ट्र प्रमुखों के अलावा यूरोपियन कमीशन और यूरोपियन काउंसिल के अध्यक्ष भी बैठक में शामिल होते हैं।
G-7 के सफल काम
जी-7 ने 1990 के दशक में विश्व के गरीब देशों में मदद पहुंचानी शुरू की। मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस समूह ने पूरी दुनिया से एड्स, टीबी, मलेरिया से लड़ने के लिए गरीब देशों को मदद की। पेरिस जलवायु समझौते को भी लागू करवाने में जी-7 का योगदान महत्वपूर्ण माना जाता है।
इन्हें भी मिला है आमंत्रण
49 वें जी-7 शिखर सम्मेलन में भारत के अलावा ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील, कोमोरोस, कुक आइलैंड्स, इंडोनेशिया, साउथ कोरिया, वियतनाम को भी इस वर्ष गेस्ट कंट्री के तौर पर बुलाया गया है।
G-7 में कब-कब शामिल हुआ भारत
2003 में फ्रांस (France) में आयोजित जी -7 सम्मेलन में पहली बार भारत को आमंत्रित किया गया था, उस वक्त भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी इस सम्मलेन में भाग लेने के लिए पहुंचे थे। 2003 के बाद 2005 से 2009 तक लगातार भारत को G-7 में शामिल होने के लिए बुलाया गया, जिसमें तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह शामिल हुए थे। 2009 के बाद ठीक दस साल बाद 2019 में भारत को फिर से आमंत्रण मिला। इस बार भारत का प्रतिनिधित्व पीएम नरेंद्र मोदी ने किया था। फिर इसके बाद 2019 से लेकर अब तक लगातार भारत को आमंत्रित किया जा रहा है।
भारत जी-7 का स्थायी सदस्य बन पाएगा
पिछले पांच सालों में आयोजित जी-7 शिखर (G-7 Summit) सम्मेलन को देखा जाए तो सभी समिट में भारत को गेस्ट कंट्री के तौर पर बुलाया गया है। भारत की जीडीपी जी-7 के प्रमुख देश ब्रिटेन के लगभग बराबर है। वहीं, अन्य सदस्य देश जैसे फ्रांस, इटली और कनाडा से अधिक है। रक्षा पर बजट खर्च करने वाला भारत दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा देश है। यही कारण है कि जी-7 भारत को पिछले कई सालों से हर समिट में आमंत्रित करता रहा है, जिससे यह कयास लगाए जा रहा हैं कि भारत जल्द ही जी-7 का स्थायी सदस्य बन जाएगा।
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