स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति मुर्मू का देश के नाम पहला संबोधन, पढ़ें ये अहम बातें

आजादी की 75वीं वर्षगांठ (75th anniversary of independence) से एक दिन पहले आज देश की पहली आदिवासी महिला राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू (President Draupadi Murmu) पहली बार देश को संबोधित किया। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि भारत ने दुनिया को लोकतंत्र (democracy) की वास्तविक क्षमता का पता लगाने में मदद की है।
उन्होंने कहा कि आज देश में संवेदनशीलता और करुणा के जीवन मूल्यों को प्रमुखता दी जा रही है और इन जीवन मूल्यों का मुख्य उद्देश्य समाज के वंचित, जरूरतमंद और हाशिए के लोगों के कल्याण के लिए काम करना है। राष्ट्रपति मुर्मू ने कहा कि बड़े आर्थिक सुधारों के साथ-साथ नवीन कल्याणकारी पहल की जा रही है और दुनिया ने "हाल के वर्षों में एक नए भारत को विकसित होते देखा है, खासकर COVID-19 महामारी के प्रकोप के बाद"।
राष्ट्रपति ने कहा कि जब भारत को स्वतंत्रता (Freedom) मिली, तो दुनिया के कई नेता और विशेषज्ञ थे, जिन्हें उस समय गरीबी और निरक्षरता के कारण भारत में सरकार के लोकतांत्रिक स्वरूप की सफलता के बारे में संशय था। उन्होंने कहा "हम भारतीयों ने संदेह करने वालों को गलत साबित कर दिखाया है। लोकतंत्र (democracy) ने न केवल इस मिट्टी में अपनी जड़ें जमाईं, बल्कि समृद्ध भी किया।"
उन्होंने कहा, "हमारे पास जो कुछ भी है वह हमारी मातृभूमि ने दिया है। इसलिए हमें अपने देश की सुरक्षा, प्रगति और समृद्धि के लिए सब कुछ समर्पित करने का संकल्प लेना चाहिए। अपने 17 मिनट के संबोधन के दौरान उन्होंने कहा कि विश्व में चल रही आर्थिक कठिनाई के विपरीत, भारत की अर्थव्यवस्था (economy) को तेजी से आगे बढ़ाने का श्रेय सरकार तथा नीति-निर्माताओं को जाता है। उन्होंने कहा कि देश का विकास अधिक समावेशी होता जा रहा है और क्षेत्रीय असमानताएं भी कम हो रही हैं।
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