राष्ट्रपति कोविंद ने किया रामानुजाचार्य की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण, कहा- अध्यात्मिक ऊर्जा का सदैव संचार होता रहेगा

राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने रविवार को (यानी आज) हैदराबाद में 'स्टैच्यू ऑफ इक्वेलिटी' (Statue of Equality) परिसर के पास श्री रामानुजाचार्य (Sri Ramanujacharya) की स्वर्ण प्रतिमा का अनावरण किया। आयोजकों का कहना है कि राष्ट्रपति कोविंद दोपहर साढ़े तीन बजे 'जीवा' आश्रम पहुंचे। उनके साथ श्री श्री त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी (Sri Sri Tridandi Chinna Jeyar Swamy) भी मौजूद रहे।
इस दौरान राष्ट्रपति कोविंद ने कहा कि रामानुजाचार्य की प्रतिमा का अनावरण करना मेरे लिए सौभाग्य की बात है। राष्ट्रपति ने कहा कि चिन्ना जीयर स्वामी ने इस देश में रामानुजाचार्य जी की भव्य प्रतिमा स्थापित कर इतिहास रच दिया है। भारत के गौरवशाली इतिहास में भक्ति और समानता के सबसे बड़े ध्वजवाहक भागवत श्री रामानुजाचार्य मिलेनियम स्मृति महा महोत्सव के पावन अवसर पर सभी देशवासियों को हार्दिक बधाई।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, 'इस क्षेत्र में स्वामी जी की प्रतिमा से हमेशा विशेष आध्यात्मिक ऊर्जा का संचार होता रहेगा। यह दैवीय संयोग है कि इस क्षेत्र का नाम रामनगर पड़ा। यह क्षेत्र भक्तिभूमि है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा, 'तेलंगाना की हर यात्रा मेरे लिए अहमियत रखती है। लेकिन आज की यात्रा के दौरान मुझे देश की आध्यात्मिक और सामाजिक परंपरा के महान अध्याय से जुड़ने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।
100 वर्ष की आयु तक सक्रिय रहने का संकल्प श्री रामानुजाचार्य के जीवन में सार्थक रहा। अपने 100 से अधिक वर्षों की यात्रा के दौरान, स्वामीजी ने आध्यात्मिक और सामाजिक प्रकृति को वैभव प्रदान किया है।
वही श्री श्री त्रिदंडी चिन्ना जीयर स्वामी ने कहा, 'मैं हृदय पूर्वक से राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद जी का स्वागत करता हूं। वेदों को आधार बनाकर इस देश में जितने भी लोग रहते हैं, वे एक ही ईश्वर की संतान हैं। भगवान का मंत्र सभी को मिले, केवल श्रद्धा की जरूरत है। यह रामानुजाचार्य स्वामी (Ramanujacharya Swamy) ने 1000 साल पहले कहा था और उन्होंने यह सिद्धांत दिया था।
LIVE: President Kovind address Sri Ramanuja Sahasrabdi Samaroham https://t.co/VwRRAAUalF
— President of India (@rashtrapatibhvn) February 13, 2022
बता दें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यहां 5 फरवरी को 11वीं सदी के संत श्री रामानुजाचार्य की 216 फीट ऊंची प्रतिमा का अनावरण (unveiling of the statue) किया था, जिसे 'समानता की मूर्ति' के रूप में जाना जाता है। रामानुजाचार्य स्वामी (Ramanujacharya Swamy) का जन्म 1017 में श्रीपेरंबदूर, तमिलनाडु में हुआ था।
उनकी माता का नाम कांतिमती और पिता का नाम केशवाचार्युलु था। भक्तों का मानना है कि यह अवतार भगवान आदिश ने स्वयं लिया था। उन्होंने कांची अद्वैत पंडितों के अधीन वेदांत में शिक्षा प्राप्त की। उन्होंने विशिष्टाद्वैत विचारधारा की व्याख्या की और मंदिरों को धर्म का केंद्र बनाया। रामानुज को यमुनााचार्य द्वारा वैष्णव दीक्षा (Vaishnava Diksha) में दीक्षा दी गई थी।
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