राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का न्यायाधीशों को संदेश, कहा- पूर्वाग्रह से दूर रहें, न्याय देने में न करें विलंब

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का न्यायाधीशों को संदेश, कहा- पूर्वाग्रह से दूर रहें, न्याय देने में न करें विलंब
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राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद अपने दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को जबलपुर पहुंचे। डुमना एयरपोर्ट पर राज्यपाल आनंदीबेन पटेल और शिवराज सिंह चौहान ने उनका स्वागत किया। राष्ट्रपति ने सुबह ऑल इंडिया स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम में हिस्सा लिया। शाम को नर्मदा के घाट पर पहुंचकर आरती कार्यक्रम में भी शामिल हुए। वे पहले राष्ट्रपति हैं, जो मां नर्मदा की आरती में शामिल हुए हैं।

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने शुक्रवार को ऑल इंडिया स्टेट ज्यूडिशियल एकेडमीज डायरेक्टर्स रिट्रीट कार्यक्रम में कहा कि न्याय मिलने में विलंब नहीं होना चाहिए। मुकदमों को लंबा खींचने वाली खामियों को दूर करने की पहल होनी चाहिए। राष्ट्रपति ने उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों को स्थानीय भाषा में अपने फैसले उपलब्ध कराने की भी सलाह दी।

राष्ट्रपति ने कहा कि देश की जनता को न्यायपालिका में पूरा भरोसा है। ऐसे में न्याय के आसन पर बैठने वाला व्यक्ति पूर्वाग्रह से मुक्त रहना चाहिए। न्याय करने वाले व्यक्ति का निजी आचरण भी उच्च होना चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे यह देखकर प्रसन्नता होती है कि न्‍याय व्यवस्था में तकनीक का प्रयोग बहुत तेज़ी से बढ़ा है। देश में 18,000 से ज़्यादा न्‍यायालयों का कंप्‍यूटरीकरण हो चुका है। लॉकडाउन की अवधि में जनवरी, 2021 तक पूरे देश में लगभग छिहत्तर लाख मामलों की सुनवाई वर्चुअल कोर्ट्स में की गई।

उच्च न्यायालयों और जिला न्यायालयों को स्थानीय भाषा में फैसले उपलब्ध कराने की सलाल देते हुए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भाषाई सीमाओं के चलते लोगों को न्यायिक निर्णय समझने में परेशानी आती है। न्यायिक निर्णयों का अनुवाद नौ भारतीय भाषा में होने लगा है, लेकिन मैं चाहता हूं कि सभी उच्च न्यायालय अपने प्रदेश की लोकल भाषा में फैसले का अनुवाद उपलब्ध कराएं। उच्च और जिला अदालतों के कार्य भी स्थानीय भाषा में होने चाहिए।

मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि भारत की न्यायपालिका को वो प्रतिष्ठा प्राप्त है, जिससे आम आदमी को विश्वास है कि न्यायपालिका से हर हाल में हमको न्याय मिलेगा। भारत की न्यायपालिका दुनिया की सबसे अधिक प्रतिष्ठित न्यायपालिकाओं में से है। जितनी भी व्यवस्थाएं मानव सभ्यता के उदय के बाद बनीं हैं, अंतत: सबका एक ही लक्ष्य और एक ही केंद्र है कि आम आदमी को कैसे सुखी कर पाएं। रोटी, कपड़ा, मकान आदि की भौतिक आवश्यकताएं यदि पूरी हो जाएं तो मनुष्य सुखी हो जाएगा।

सीजेआई शरद अरविंद बोबडे़ ने कहा कि कुछ प्रदेशों में चयनित न्यायाधीशों को पहले प्रशिक्षण के लिए अकादमी बुलाया जाता है। कई न्यायालयों में कोर्ट में जाने के बाद प्रशिक्षण दिया जाता है। मेरे विचार से न्यायालय भेजने से पहले प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए। यह बेहद जरूरी है। मप्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस मोहम्मद रफीक ने कहा कि इस संस्थान को न्यायाधीशों के प्रशिक्षण के लिए शुरू किया गया है। अकादमी का भवन 2003 में तैयार हुआ। नया भवन 50 एकड़ भूमि में तैयार हो रहा है। उन्होंने बताया कि भोपाल और ग्वालियर में भी इसकी बेंच खोलने का प्रस्ताव है।

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