Chhath Puja: राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने दी लोक आस्था के महापर्व छठ पर देशवासियों को शुभकामनाएं, इन नेताओं ने भी दी बधाई

Chhath Puja: भारत के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने महापर्व छठ की देशवासियों को शुभकामनाएं दी हैं। राष्ट्रपति भवन से राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने छठ पूजा की शुभकामनाएं दी। इस दौरान राष्ट्रपति के अलावा प्रियंका गांधी वाड्रा, राहुल गांधी, सोनिया गांधी ने आज छठ की बधाई दी है। राष्ट्रपति नेश्रद्धा के साथ शुभकामनाएं दीं। उन्होंने कहा कि इस दिन सूर्य की पूजा करना शामिल है। उन्होंने भारतीयों को प्रकृति के संरक्षण और कोविड 19 की संवेदनशीलता के साथ मनाने के लिए कहा है।
President Ram Nath Kovind sent his greetings for #Chhath today. He stressed upon the reverence given to nature on this day including worshipping the Sun as a god. He implored Indians to resolve to preserve nature & to celebrate with sensitivities of #COVID19: Rashtrapati Bhavan pic.twitter.com/bh7vXRx9xg
— ANI (@ANI) November 19, 2020
छठ महापर्व को विशेष रूप से बिहार और उत्तर प्रदेश के कई इलाकों में मनाया जाता है। ये दिन बहुत खास होता है। नहाए खाए के साथ इस दिन की शुरुआत होती है और ये 4 दिनों तक चलने वाला पर्व होता है। 20 नवंबर को ये त्योहार मनाया जाएगा। ये त्योहार हर साल कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की षष्ठी को मनाया जाता है। बिहार में यह पर्व विशेष रूप पर बहुत हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है। इस व्रत मां के द्वारा संतान के सुखी जीवन की कामना के लिए किया जाता है।
छठ पूजा 2020 तिथि (Chhath Puja 2020 Date Time)
20 नवंबर 2020
छठ पूजा 2020 शुभ मुहूर्त (Chhath Puja 2020 Shubh Muhurat)
षष्ठी तिथि प्रारम्भ - रात 11 बजकर 29 मिनट से (19 नवम्बर 2020)
षष्ठी तिथि समाप्त - अगले दिन रात 10 बजकर 59 मिनट तक (20 नवम्बर 2020)
सूर्योदय समय छठ पूजा के दिन - सुबह 6 बजकर 18 मिनट से
सूर्यास्त समय छठ पूजा के दिन - शाम 5 बजकर 59 मिनट तक
छठ पूजा का महत्व (Chhath Puja Ka Mahatva)
भगवान सूर्य की आराधना साल में दो बार की जाती है। पहले उनकी पूजा चैत्र शुक्ल षष्ठी तिथि और दूसरी र्तिक शुक्ल षष्ठी के दिन भगवान सूर्यनारायण की पूजा की जाती है। लेकिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को छठ को मुख्य पर्व के रूप में मनाया जाता है। इस दिन का विशेष महत्व है। छठ पूजा चार दिनों तक की जाती है। जिसे छठ पूजा, डाला छठ, छठी माई, छठ, छठ माई पूजा, सूर्य षष्ठी पूजा आदि नामों से जाना जाता है।
छठ पूजा में स्नान और दान को विशेष महत्व दिया जाता है। पुराणों के अनुसार लंका पर विजय प्राप्त करने के बाद भगवान राम ने जिस समय राम राज्य की स्थापना की थी उस दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी तिथि थी। जिसमें माता सीता और भगवान राम ने व्रत रखा था और भगवान सूर्यनारायण की आराधना की थी। इसके बाद सप्तमी को पुन: एक बार अनुष्ठान कर भगवान सूर्य से आर्शीवाद लिया था
छठ पूजा के बारे में एक और कथा प्रचलित है। इस कथा के अनुसार सूर्य पुत्र कर्ण ने सूर्य देव की पूजा शुरू की थी। कर्ण भगवान सूर्य के बहुत बड़े भक्त थे। वह रोज कई घंटों तक पानी में खड़े रहकर भगवान सूर्य को अर्ध्य देते थे। सूर्य देव की कृपा से वह एक महान योद्धा बने थे। इसी कारण सूर्य को आज भी अर्ध्य दिया था।
छठ व्रत विधि (Chhath Vrat Vidhi in Hindi)
1. खाए नहाय: छठ पूजा का व्रत चार दिन तक किया जाता है। पहले दिन नहाने और खाने की विधि होती है। इस दिन घर की साफ- सफाई करके शुद्ध किया जाता है और शाकाहारी भोजन बनाकर ग्रहण किया जाता है।
2. खरना: दूसरे दिन छठ पूजा में खरना विधि होती है।जिसमें पूरे दिन उपवास रखा जाता है। शाम के समय गन्ने का रस या फिर गुड़ में चावल बनाकर खीर का प्रसाद बनाकर खाना चाहिए।
3.शाम का अर्घ्य: तीसरे दिन भी व्रत रखकर शाम के समय में डूबते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। इसके लिए सभी पूजा सामग्री को लकड़ी की डलिया में रखकर घाट पर ले जाते हैं। शाम के समय में घर आकर सभी समान को उसी प्रकार रख दिया जाता है। इस दिन रात में छठी माता के गीत और व्रत की कथा भी सुनी जाती है।
4.सुबह का अर्घ्य: चौथे और अंतिम दिन सूर्योदय से पहले ही घाट पर पहुंचा जाता है और उगते सूर्य की पहली किरण को जल दिया जाता है। इसके बाद छठी माता को स्मरण और प्रणाम करने के बाद उनसे संतान की रक्षा का वर मांगा जाता है। इसके बाद घर लौटकर प्रसाद का वितरण करें।
छठ पूजा की कथा (Chhath Puja Ki Katha)
पौराणिक कथा के अनुसार एक राज्य में प्रियव्रत नाम का राजा राज करता था। उसकी पत्नी का नाम मालिनी था। संतान न होने के कारण दोनों बहुत दुखी रहते थे। इस समस्या के समाधान के लिए उन्होंने महर्षि कश्यप द्वारा पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया।जिसके फल से रानी ने गर्भ धारण कर लिया
पूरे नौ महीने बाद उसे जब उसकी संतान उत्पन्न होने वाली थी तो वह उसने मरे हुए पुत्र को जन्म दिया। इस बात का पता जब राजा को चला तो वह बहुत ज्यादा दुखी हुआ और उसने आत्म हत्या का मन बना लिया। जैसे ही राजा आत्म हत्या के लिए चला। उसी समय एक सुंदर देवी वहां प्रकट हो गई।
देवी ने राजा को कहा कि मैं षष्टी देवी हूं। मैं लोगों को पुत्र का सौभाग्य प्रदान करती हूं। इसके अलावा जो सच्चे भाव से मेरी पूजा करता है, मैं उसके सभी प्रकार के मनोरथ को पूर्ण कर देती हूं. यदि तुम मेरी पूजा करोगे तो मैं तुम्हें पुत्र रत्न प्रदान करूंगी. देवी की बातों से प्रभावित होकर राजा ने उनकी आज्ञा का पालन किया।
राजा और रानी ने कार्तिक शुक्ल की षष्टी तिथि के दिन देवी षष्टी की पूरे विधि -विधान से पूजा और व्रत रखा। इस पूजा के फलस्वरूप उन्हें एक सुंदर पुत्र की प्राप्ति हुई। उसी समय से छठ का पर्व मनाया जाता है।
क्यों की जाती है छठ पूजा (Kyu Ki Jati Hai Chhat Puja)
सूर्य देव की उपासना के लिए ही छठ पूजा का पर्व मनाया जाता है। सूर्य देव की कृपा से व्यक्ति को मान सम्मान की प्राप्ति होती है और वह जीवन में उच्चाईयां प्राप्त करता है। उसके घर में धन और धान्य की कभी भी कोई कमीं नही होती। इस व्रत को करने से सूर्यदेव की तरह ही श्रेष्ठ संतान जन्म लेती है।
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