प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सरकार ई-कॉमर्स वेबसाइटों की छूट को ले सकती है वापस, ये है कारण

कोरोना संकट के बीच अपना कारोबार बंद कर लॉकडाउन को सफल बनाने वाले कारोबारियों का एक बार फिर ई-कॉमर्स पर गुस्सा फूटा है। कारोबारियों ने केंद्र सरकार के उस फैसले के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है, जिसमें 20 अप्रैल के बाद ऑनलाइन कारोबार को अनुमति देने की बात कही गई है।
इसे व्यापारियों के साथ अन्याय करार देते हुए कन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ने देशभर में असहयोग आंदोलन की धमकी दी है। कैट ने तत्काल इस फैसले को वापस लेेने की मांग की है। केंद्र सरकार ने 20 अप्रैल के बाद लॉकडाउन में शर्तों के अनुसार छूट देने की बात कही है।
इसके लिए गाइडलाइन भी जारी कर दी गई है, लेकिन इसमें छोटे व्यापारियों के स्थान पर ई-कॉमर्स यानी ऑनलाइन कारोबार को छूट दी गई है। इसी फैसले ने देशभर के व्यापारियों को आक्रोशित कर दिया है।
कैट के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अमर पारवानी ने केंद्र सरकार के फैसले को व्यापारियों के साथ अन्याय करार दिया है। उन्होंने कहा कि ई-कॉमर्स कंपनियां मोबाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स से लेकर हर वह उत्पाद बेच सकेंगी, जिस पर प्रत्यक्ष व्यापार में प्रतिबंध है। यह पूरी तरह देश के 7 करोड़ और छत्तीसगढ़ के 6 लाख कारोबारियों के साथ अन्याय है।
इससे ऐसे व्यापारी, जिन्होंने पहले से अपना माल मंगाकर रखा है, उन्हें भारी नुकसान होगा। लॉकडाउन की वजह से पहले ही उनके कारोबार पर प्रतिकूल असर पड़ा है। ई-कॉमर्स को छूट से इस पर और भी नकारात्मक असर होगा, इसीलिए कैट ने केंद्र सरकार से इस फैसले को रद्द करने की मांग की है।
साथ ही सोशल डिस्टेंसिंग से लेकर स्वास्थ्य विभाग की सारी गाइडलाइन के परिपालन का भरोसा भी दिलाया है। इसे लेकर देशभर के व्यापारियों ने शुक्रवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग कर मंथन किया और असहयोग आंदोलन की चेतावनी दी है।
ऑनलाइन से कोरोना की आशंका
कैट के कार्यकारी अध्यक्ष मगेलाल मालू, अध्यक्ष विक्रम सिंहदेव, महामंत्री जितेंद्र दोशी, परमानंद जैन, अजय अग्रवाल और प्रवक्ता राजकुमार राठी ने कहा कि ऑनलाइन और ई-कॉमर्स व्यवसाय में उत्पादों की मॉनिटरिंग नहीं की जा सकती है। अलग-अलग हाथों से घरों तक पहुंचने की वजह से इससे वायरस फैलने का खतरा रहेगा, इसीलिए 20 अप्रैल के बाद देशभर के रिटेल और होलसेल दुकानों को यह छूट मिलनी चाहिए।
व्यापारियों का अपमान
प्रदेश कांग्रेस कमेटी के महामंत्री कन्हैया अग्रवाल ने भी केंद्र सरकार के इस फैसले का विरोध किया है। उन्होंने कहा कि इससे छोटे कारोबारियों को भारी नुकसान का सामना करना पड़ेगा। लॉकडाउन की वजह से पहले से ही वे विपरीत स्थिति का सामना कर रहे हैं। ऐसे में ई-कॉमर्स को अनुमति से व्यापारी तबाह हो जाएंगे। यह कॉर्पोरेट सेक्टर को आगे बढ़ाने की साजिश नजर आती है। केंद्र सरकार को फैसला वापस लेना चाहिए।
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