Puri Jagannath Rath Yatra 2021 Timings: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए तैयारी पूरी, यहां जानें कल के प्रस्थान का समय

Puri Jagannath Rath Yatra 2021 Timings: भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा के लिए तैयारी पूरी, यहां जानें कल के प्रस्थान का समय
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एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जगन्नाथ मंदिर के एक दैतापति सेवक ने बताया कि पुरी में कल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की अंतिम तैयारियां पूरी हो चुकी है। कड़ी सुरक्षा के बीच रथ यात्रा होगी।

देश में हर साल ओडिशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। हर साल आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को भगवान जगन्नाथ की बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ रथ यात्रा निकलती है। इस बार भी कोरोना काल में रथयात्रा निकाली जाएगी। लेकिन किसी भी भक्त को यात्रा में शामिल होने की इजाजत नहीं होगी।

एएनआई की रिपोर्ट के मुताबिक, जगन्नाथ मंदिर के एक दैतापति सेवक ने बताया कि पुरी में कल भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकालने की अंतिम तैयारियां पूरी हो चुकी है। कड़ी सुरक्षा के बीच रथ यात्रा होगी। कोरोना के कारण किसी भी भक्त को यात्रा में जाने की अनुमति नहीं है। सरकार के फैसले का पालन सभी को करना चाहिए। मैं लोगों से टीवी पर यात्रा देखने का अनुरोध करता हूं।

12 जुलाई को विश्व प्रसिद्ध रथयात्रा पिछले साल की तरह इस साल भी बिना भक्तों के होगी। मंदिर के सिंह द्वार पर 3 लकड़ी के रथ तैयार हैं। यात्रा को लेकर सुरक्षाबल पूरी तरह से तैयार हैं। यात्रा निकालने को लेकर शुभ तिथि और मुहूर्त....

रथ यात्रा

12 जुलाई 2021

दिन- सोमवार

द्वितीया तिथि प्रारम्भ- जुलाई 11, 2021 को 07:47 am

द्वितीया तिथि समाप्त- जुलाई 12, 2021 को 08:19 am

भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा का इतिहास और महत्व

बता दें कि जगन्नाथ मंदिर में हर साल 148 त्योहार मनाए जाते हैं। जिसमें 12 यात्राएं, 28 उपयात्राएं और 108 अनुष्ठान किए जाते हैं। आषाढ़ के महीने में मनाया जाने वाला भगवान जगन्नाथ देव की रथ यात्रा का उत्सव सबसे प्रसिद्ध है। जो हर साल मनाया जाता है। लेकिन कोरोना काल की वजह से बीते एक साल से बिना भक्तों के मनाया जा रहा है।

भगवान जगन्नाथ, बलभद्र, और सुभद्रा को पुरी मंदिर में स्थान दिया गाय था।ये मंदिर 12वीं शताब्दी में बनवाया गया था। मंदिर कलिंग शैली में बनाया गया है। इस मंदिर की मान्यता बहुत विशेष है। जगन्नाथजी, बलभद्र और सुभद्रा अलग-अलग रथों पर सवार चलते हैं और अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। ये 3 किलोमीटर की यात्रा होती है। जो 8 दिन बाद पुरी वापस लौटते हैं।

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