'सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है', राहत इंदौरी की ये प्रचलित शायरियां आपका दिल छू लेंगी

सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में, किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है, राहत इंदौरी की ये प्रचलित शायरियां आपका दिल छू लेंगी
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राहत इंदौरी ने शायरी की दुनिया में अपनी अलग पहचान छोड़ी है। आज भले वो हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनकी शायरियां और कविताएं हमेंशा हमारे दिलों में महफूज रहेंगी।

राहत इंदौरी ने शायरी की दुनिया में अपनी अलग पहचान छोड़ी है। आज भले वो हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन उनकी शायरियां और कविताएं हमेंशा हमारे दिलों में महफूज रहेंगी। आइए उनकी ऐसी ही कुछ शायरियों से आपका परिचय करवाते हैं।

1. सभी का ख़ून है शामिल यहां की मिट्टी में,

किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है

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2. मैं मर जाऊँ तो मेरी इक अलग पहचान लिख देना,

लहू से मेरी पेशानी पे हिन्दुस्तान लिख देना..!

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3. बुलाती है मगर जाने का नहीं

ये दुनिया है इधर जाने का नहीं

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मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर

मगर हद से गुजर जाने का नहीं

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कुशादा ज़र्फ़ होना चाहिए

छलक जाने का भर जाने का नहीं

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सितारें नोच कर ले जाऊँगा

मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं

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4. अफवाह थी की मेरी तबियत ख़राब है

लोगों ने पूछ पूछ के बीमार कर दिया

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5. दो गज सही मगर ये मेरी मिल्कियत तो है,

ऐ मौत तूने मुझको जमींदार कर दिया

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6. मैं जानता हूं दुश्मन भी कम नहीं,

लेकिन हमारी तरह हथेली पर जान थोड़ी है

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7. शाख़ों से टूट जाएँ वो पत्ते नहीं हैं हम

आँधी से कोई कह दे कि औक़ात में रहे

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8. हम से पहले भी मुसाफ़िर कई गुज़रे होंगे

कम से कम राह के पत्थर तो हटाते जाते

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9. सितारों आओ मिरी राह में बिखर जाओ

ये मेरा हुक्म है हालांकि कुछ नहीं हूँ मैं

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10. मेरे हुजरे में नहीं और कहीं पर रख दो

आसमां लाए हो ले आओ ज़मीं पर रख दो

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11. अब ना मैं हूँ ना बाक़ी हैं ज़माने मेरे,

फिर भी मशहूर हैं शहरों में फ़साने मेरे

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12. अजीब लोग हैं मेरी तलाश में मुझ को

वहाँ पे ढूँढ रहे हैं जहां नहीं हूँ मैं

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13. नए किरदार आते जा रहे हैं

मगर नाटक पुराना चल रहा है

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