निकोलस बर्न्स से बातचीत के दौरान राहुल गांधी बोले, देश की नींव को कमजोर करने वाले लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं

कांग्रेस नेता राहुल गांधी कोरोना वायरस संकट के चलते वैश्विक व्यवस्था के नए सिरे से आकार लेने की संभावना पर अमेरिका के पूर्व विदेश उप मंत्री निकोलस बर्न्स से बातचीत कर रहे हैं। इस दौरान निकोलस बर्न्स ने कहा कि कई मायनों में भारत और अमेरिका एक जैसे हैं। हम दोनों ब्रिटिश उपनिवेश के शिकार हुए, हम दोनों ने अलग-अलग शताब्दियों में, उस साम्राज्य से खुद को मुक्त कर लिया।
LIVE: Shri @RahulGandhi in conversation with Ambassador Nicholas Burns. #RahulGandhiStandswithPeople https://t.co/hc2qThZcjH
— Congress (@INCIndia) June 12, 2020
हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है
इसके बाद राहुल गांधी ने कहा कि मुझे लगता है कि हम एक जैसे इसलिए हैं, क्योंकि हम सहिष्णु हैं। हम बहुत सहिष्णु राष्ट्र हैं। हमारा डीएनए सहनशील माना जाता है। हम नए विचारों को स्वीकार करने वाले हैं। हम खुले विचारों वाले हैं, लेकिन आश्चर्य की बात यह है कि वो अब गायब हो रहा है। यह काफी दुःखद है कि मैं उस स्तर की सहिष्णुता को नहीं देखता, जो मैं पहले देखता था। ये दोनों ही देशों में नहीं दिख रही।
खुद को सही करने का भाव हमारे डीएनए में है
वहीं निकोलस बर्न्स ने कहा कि स्वयं ही खुद को सही करने का भाव हमारे डीएनए में है। लोकतंत्र के रूप में, हम इसे स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव में मतपेटी के जरिए हल करते हैं। हम हिंसा की ओर नहीं मुड़ते। वह भारतीय परंपरा ही है, जिसके कारण हम आपकी स्थापना के समय से ही भारत से प्यार करते हैं। 1930 के दशक के विरोध आंदोलन, नमक सत्याग्रह से 1947-48 तक।
विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है
राहुल गांधी ने कहा कि विभाजन वास्तव में देश को कमजोर करने वाला होता है, लेकिन विभाजन करने वाले लोग इसे देश की ताकत के रूप में चित्रित करते हैं। देश की नींव को कमजोर करने वाले लोग खुद को राष्ट्रवादी कहते हैं।
हम अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों को सड़कों पर नहीं उतारेंगे
निकोलस बर्न्स ने कहा कि हमारे देश में संस्थान मजबूत बने हुए हैं। पिछले कुछ दिनों से सेना और वरिष्ठ सैन्य अधिकारी स्पष्ट कह रहे हैं कि हम अमेरिकी सैन्य टुकड़ियों को सड़कों पर नहीं उतारेंगे। यह पुलिस का काम है, न कि सेना का। हम संविधान का पालन करेंगे। हम लोकतांत्रिक हैं, अपनी स्वतंत्रता के कारण हमें कभी-कभी दर्द से गुजरना पड़ सकता है, लेकिन हम उनकी वजह से बहुत मजबूत हैं। अधिनायकवादी देशों के मुकाबले यही हमारा फायदा है।
भारत-अमेरिका संबंध काफी हद तक लेन-देन को लेकर प्रासंगिक हो गया
राहुल गांधी ने कहा कि जब हम भारत और अमेरिका के बीच संबंधों को देखते हैं, तो पिछले कुछ दशकों में बहुत प्रगति हुई है। लेकिन जिन चीजों पर मैंने गौर किया है, उनमें से एक यह है कि जो साझेदारी का सम्बन्ध हुआ करता था, वो शायद अब लेन-देन का ज्यादा हो गया है। भारत-अमेरिका संबंध काफी हद तक लेन-देन को लेकर प्रासंगिक हो गया है। एक ऐसा संबंध जो शिक्षा, रक्षा, स्वास्थ्य देखभाल जैसे कई मोर्चों पर बहुत व्यापक हुआ करता था, उसे अब मुख्य रूप से रक्षा पर केंद्रित कर दिया गया है।
भारत-अमेरिका के बीच गहरा नाता
निकोलस बर्न्स ने कहा कि भारतीय-अमेरिकी समुदाय में परिपक्वता रही है और यह दोनों देशों के बीच गहरा नाता है। इसलिए मुझे बहुत उम्मीद है कि न केवल हमारी सरकारें बल्कि अमेरिका और भारत, हमारे समाज बहुत बारीकी से परस्पर जुड़े हुए हैं, संघटित हैं और यह एक बड़ी ताकत है। हमारा सैन्य संबंध बहुत मजबूत है। यदि आप बंगाल की खाड़ी और पूरे हिंद महासागर क्षेत्र में अमेरिका-भारत नौसेना और वायु सेना के परस्पर सहयोग के बारे में सोचें, तो हम वास्तव में एक साथ हैं और मुझे इसलिए ही उम्मीद है।
भारतीय अमेरिकी समुदाय दोनों देशों के लिए एक वास्तविक संपत्ति
राहुल गांधी ने कहा कि भारतीय अमेरिकी समुदाय दोनों देशों के लिए एक वास्तविक संपत्ति है। यह एक साझी संपत्ति है। यह एक अच्छा नाता है। अगर मैं संयुक्त राज्य अमेरिका के इतिहास को देखता हूं और पिछली शताब्दी की ओर देखता हूँ। मुझे बड़े विचार दिखाई देते हैं। मैं मार्शल प्लान देखता हूं। उदाहरण के लिए अमेरिका ने जापान के साथ कैसे काम किया, कोरिया के साथ कैसे काम किया। ये समाज बदल गए। मुझे वैसा अब नहीं नजर आता।
महामारी आने पर दोनों देश समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं
निकोलस बर्न्स ने कहा कि यदि भविष्य में कोई महामारी आए, जिसकी संभावना है। तो दोनों देश मिलकर अपने समाज के गरीब लोगों के लिए बहुत कुछ कर सकते हैं। मैं हमारे रिश्ते को उस दिशा में भी जाते देखना चाहूंगा।
© Copyright 2025 : Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS
-
Home
-
Menu
© Copyright 2025: Haribhoomi All Rights Reserved. Powered by BLINK CMS