Rajasthan: सम्मेद शिखर बचाने के लिए जैन मुनि ने त्यागे प्राण, 10 दिनों से थे अनशन पर

झारखंड के जैन तीर्थस्थल श्री सम्मेद शिखरजी को केंद्र और राज्य सरकार के द्वारा पर्यटन स्थल में बदलने का फैसला वापस लेने की मांग कर रहे जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज ने अपने प्राण त्याग दिए हैं। बीते दिनों पर्यटन स्थल में बदलने का फैसला वापस लेने की मांग को लेकर दिल्ली, मुबंई और अहमदाबाद में जैन समुदाय ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया था।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, राजस्थान में जयपुर के सांगानेर में जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज को समाधि दी गई। बीते 10 दिनों से 72 साल के जैन मुनि सुज्ञेयसागर महाराज अनशन पर थे। बीते 25 दिसंबर से जैन मुनि आमरण अनशन पर बैठ गए थे। आज उन्होंने अनशन के दौरान अपने प्राण त्याग दिए। मंगलवार सुबह सांगानेर संघीजी मंदिर से उनकी डोल यात्रा निकाली गई है। इस दौरान भारी संख्या में जैन समाज के लोग मौजूद थे।
जानकारी के लिए बता दें कि झारखंड सरकार के फैसले के बाद से मुनि सरकार के फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे थे। इसके बाद से ही देशभर में जैन समुदाय के लोग इसका विरोध कर रहे हैं। झारखंड का हिमालय माना जाने वाले इस स्थान पर जैनियों का पवित्र तीर्थ शिखरजी स्थापित है। इस पवित्र क्षेत्र में जैन धर्म के 24 में से 20 तीर्थंकरों ने मोक्ष प्राप्त किया था। 23वें तीर्थंकर भगवान पार्श्वनाथ ने भी यहीं आए थे। पवित्र पर्वत के शिखर तक पहुंचने के लिए भक्त पैदल या डोली से जाते हैं। जंगलों और पहाड़ों के दुर्गम रास्तों से गुजरते हुए वे 9 किलोमीटर का सफर तय कर शिखर तक पहुंचते हैं।
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