राजनाथ सिंह परिचय : भारतीय जनता पार्टी के मजबूत स्तंभ हैं राजनाथ

भौतिकी के प्रोफेसर से देश के गृहमंत्री तक का लंबा सफर तय करने वाले राजनाथ सिंह भारतीय जनता पार्टी के ऐसे मजबूत स्तंभ हैं जिनकी पहचान कुशल प्रशासक और राजनीतिक शुचिता का सम्मान करने वाले परिपक्व नेता के रूप में होती है। राजनाथ सिंह ने गुरुवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बाद कैबिनेट मंत्री के तौर पर शपथ ली। मधुरभाषी और नपा तुला बोलने वाले सिंह प्रतिद्वंद्वियों पर कमोबेश निजी हमले करने से गुरेज़ करते हैं।
पार्टी में उनके कद का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि लाल कृष्ण आडवाणी के बाद वह ऐसे नेता हैं जिन्होंने दो अलग अलग कार्यकाल के लिए पार्टी की कमान संभाली है। आडवाणी तीन बार (1986 से 1990 , 1993 से 1998 और 2004 से 2005) पार्टी अध्यक्ष रहे जबकि सिंह 2005 से 2009 तक अध्यक्ष रहने के बाद 2013 - 14 में भी भाजपा अध्यक्ष रहे । उन्हीं के अध्यक्ष रहते पहली बार प्रधानमंत्री पद के लिये नरेंद्र मोदी के नाम पर मुहर लगी थी ।
संघ के साथ उनके बेहतर रिश्ते का अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि आडवाणी के जिन्ना प्रकरण के बाद संघ ने सिंह को ही पार्टी के अध्यक्ष की जिम्मेदारी सौंपी थी। इसके बाद उन्होंने दूसरी बार पार्टी की कमान तब संभाली थी जब 'पूर्ती मामले' में नितिन गडकरी का नाम सामने आया था। साधारण किसान परिवार में जन्मे सिंह ने मामूली कार्यकर्ता से लेकर पार्टी के अध्यक्ष और देश के गृह मंत्री जैसे अहम पद का जिम्मा संभाला है।
बनारस के पास चंदौली जिले में जन्मे सिंह एक कुशल प्रशासक के रूप में जाने जाते हैं। वह सियासत में कदम रखने से पहले मिर्जापुर के कॉलेज में व्याख्याता हुआ करते थे। भाजपा में सफलता की सीढ़ी संघ है और सिंह का राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ से गहरा नाता है। 1964 में 13 वर्ष की अवस्था में ही वह संघ से जुड़ गए। व्याख्याता बनने के बाद भी संघ से उनका जुड़ाव बना रहा। 10 जुलाई 1951 को जन्मे सिंह ने गोरखपुर विश्वविद्यालय से भौतिकी विषय में परास्नातक की डिग्री हासिल की।
उन्हें 1974 में भारतीय जनसंघ का मिर्जापुर का सचिव बनाया गया। देश में 1975 में आपातकाल लगा तो वह जेल भी गए। 1977 में जब देश में चुनाव हुए तो वह उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर से पहली बार विधायक बने थे। इसके बाद उन्हें तीन बार इसी सीट से जीत मिली। सिंह को 1986 में भारतीय जनता युवा मोर्चा का राष्ट्रीय महासचिव बनाया गया। बाद में वह 1988 में इसके राष्ट्रीय अध्यक्ष बने। इसी साल सिंह उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सदस्य निर्वाचित हुए।
साल 1991 में जब उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनी तो राजनाथ को शिक्षा मंत्री बनाया गया। 1994 में वह राज्यसभा गए और 1997 में उत्तर प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष बनाए गए। उत्तर प्रदेश के शिक्षा मंत्री रहते उन्होंने एंटी-कॉपिंग कानून लागू करवाया था। इसमें नकलची विद्यार्थियों को परीक्षा हॉल से गिरफ्तार किया जाता था और जमानत अदालत से मिलती थी। साथ ही वैदिक गणित को पाठ्यक्रम में भी शामिल करवाने का श्रेय उन्हें ही जाता है।
सिंह 20 अक्टूबर 2000 को उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने। हालांकि उनका कार्यकाल दो साल से भी कम समय का रहा। इसके बाद केंद्र की अटल बिहारी वाजपेयी नीत राजग सरकार में सिंह को भूतल परिवहन और कृषि मंत्री बनाया गया था। उनको पहली बार पार्टी की कमान 2005 से 2009 तक मिली तो दूसरी बार वह इस पद पर 2013 से 2014 तक रहे। सिंह 2009 में गाजियाबाद और 2014 तथा 2019 में लखनऊ से सांसद निर्वाचित हुए। 2014 में जब भाजपा की सरकार बनी तो उन्हें देश का गृहमंत्री बनाया गया।
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