राजनाथ सिंह ने 27 बीआरओ परियोजनाओं का ई-उद्घाटन किया, बोले- आसमान को छोड़कर BRO हर जगह सड़कों का निर्माण करने में सक्षम

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने आज सीमा सड़क संगठन (बीआरओ) द्वारा निर्मित 27 बुनियादी परियोजनाओं का ई-उद्घाटन किया है। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि आज, Border Roads Organization द्वारा बनाए गए, Roads और Bridges के 27 Projects का एक साथ लोकार्पण हुआ है। इस अत्यंत महत्त्वपूर्ण अवसर पर, आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे बड़ी खुशी हो रही है।
मैं BRO, संबंधित स्थानीय लोगों सहित समस्त देशवासियों को बधाई देता हूं, और इन Projects को हमारे देश को समर्पित करता हूं। मानव सभ्यता का इतिहास उठाकर हम देखें, तो पाएंगे कि वही समुदाय, समाज या राष्ट्र दुनिया को मार्ग दिखा पाने में समर्थ हुए हैं, जिन्होंने स्वयं अपने मार्गों का मज़बूती से विकास किया है। आज के युग में दूरी kilometres में नहीं, hours में नापी जाती है। BRO के roads, tunnels और bridges ने आज स्थानों के बीच की दूरी और समय बहुत कम कर दिया है। यानि सीमावर्ती क्षेत्रों से जुड़े लोग दिल के पास तो हैं ही, दिल्ली के पास भी हैं।
साथियों, सीमाई इलाकों के विकास की कुछ ख़ास जरूरतें हैं, जिन पर हमने ध्यान दिया और उन पर जमीनी स्तर पर काम भी किया। हमने देखा, कि इन इलाकों में capital infusion की जरूरत है, जो बिना connectivity के संभव नहीं हो सकता है। आज यह देश जिस गति से infrastructure development, और उसके माध्यम से शिक्षा, स्वास्थ्य, गरीबी उन्मूलन आदि के प्रति सरकार के प्रयासों को देख रहा है, शायद ही इसने कभी और देखा हो। और इस बात में कोई संदेह नहीं है, कि BRO भी इसमें अपना अहम योगदान दे रहा है।
हाल का ही उदाहरण ले लें। पिछले दिनों northern sector में हमें जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, और जिस प्रकार हम adversary का दृढ़ता से मुकाबला करने में सक्षम रहे, वह बिना उपयुक्त infrastructural development के संभव नहीं हो सकता था। हाल का ही उदाहरण ले लें। पिछले दिनों northern sector में हमें जिन परिस्थितियों का सामना करना पड़ा, और जिस प्रकार हम adversary का दृढ़ता से मुकाबला करने में सक्षम रहे, वह बिना उपयुक्त infrastructural development के संभव नहीं हो सकता था।
अपनी शुरूआत से ही, दूरदराज के इलाकों में roads, tunnels और अन्य बुनियादी ढांचे का निर्माण कर, राष्ट्र की प्रगति में BRO अपनी महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वाह कर रहा है। पर पिछले छह-सात सालों में, BRO ने जो उपलब्धियां हासिल की हैं वह अपने आप में अभूतपूर्व हैं। BRO ने एक नहीं, अनेक ऐसे काम करते हुए लगातार नए-नए रिकॉर्ड कायम किए हैं। इसी कड़ी में 'आज़ादी का अमृत महोत्सव', और 'स्वर्णिम विजय वर्ष' का unique तरीके से celebration भी आपके खाते में records की बढ़ोत्तरी करता है।
आज लोकार्पित होने वाले projects भी, मैं समझता हूं आपके records की श्रृंखला में कई नई कड़ियाँ जोड़ते हैंI आज राष्ट्र को समर्पित की जा रही सड़कों में से सबसे महत्वपूर्ण सड़क चिसुमले-डेमचॉक सड़क है। इस सड़क से न केवल इस क्षेत्र में सशस्त्र बलों को तेजी से भेजा जा सकेगा बल्कि पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा और इस क्षेत्र में स्थानीय लोगों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार होगा। दक्षिणी लद्दाख में उमलिंग-ला पास पर, 19000 फीट से भी अधिक की उंचाई पर निर्मित यह road, अब दुनिया की सबसे ऊंची motorable road बन चुकी हैI इसका निर्माण कर BRO ने बस road को ही नहीं, बल्कि भारत के कद को भी नई ऊंचाइयों पर पहुंचा दिया है।
शून्य से नीचे के तापमान, और अत्यधिक ऊंचाई की अनेक चुनौतियों के बावज़ूद, BRO personnel के धैर्य, दृढ़ संकल्प और उनकी कर्मठता ने यह ऐतिहासिक काम कर दिखाया है। यह न केवल BRO के लिए, बल्कि राष्ट्र के लिए गर्व का विषय है। आप लोग भले यह कहते हैं, कि 'आसमान को छोड़कर, BRO हर जगह सड़कों का निर्माण करने में सक्षम है।' पर आप की उपलब्धियों को देखते हुए लगता है, कि आप लोग इस बात को भी गलत साबित कर चुके हैं। आप सभी इसके लिए बधाई के पात्र हैं। आज राष्ट्र की सेवा में 24 bridges भी समर्पित किए जा रहे हैं, जिनमें....
• 05 केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख में,
• 09 केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में,
• 03 उत्तराखंड में,
• 05 हिमाचल प्रदेश में,
• 01 अरुणाचल प्रदेश में, और
• 01 सिक्किम में फ्लैग-हिल-डोकला रोड पर है।
इससे भी महत्त्वपूर्ण बात, कि पहले इस तरह के modular bridges बनाने के लिए हमें बाहर से मदद लेनी पड़ती थी, इसके अलग-अलग हिस्से हमें बाहर से import करने पड़ते थे, पर आज हम इसके निर्माण में आत्मनिर्भर हो चुके हैं। फ्लैग हिल डोकला रोड वाले bridge के बारे में मुझे बताया गया, कि 140 feet और double lane वाला यह modular Class 70 bridge, 11000 फीट की ऊंचाई पर बनाया गया है।
सीमाई इलाकों में घुसपैठ की, झड़प की, अवैध व्यापार और तस्करी आदि की समस्याएं प्रायः बनी रहती हैंI इन सबको देखते हुए, सरकार द्वारा कुछ समय पहले CIBMS, यानी Comprehensive Integrated Border Management System की भी शुरुआत की गई है। इसके पहले भी, जब श्री अटल बिहारी वाजपेयी जी के नेतृत्व में हमें देश की सेवा करने का अवसर प्राप्त हुआ था, हमने तब से ही सीमाई विकास को अपनी प्राथमिकता में रखा है और उसे गति देने के लिए अनेक कदम उठाए हैं।
पिछले 6-7 वर्षों के दौरान, BRO के बजट में 3 से 4 गुना की बढ़ोत्तरी होना कोई मामूली बात नहीं है। मुझे यह बताते हुए खुशी हो रही है कि BRO ने अपने personnel, जो कि BRO के, परदे के पीछे के नायक हैं, के जीवन को और अधिक आरामदायक बनाने के लिए एक विशेष अभियान भी चलाया है। जिस तरह हम सीमाई इलाकों के विकास और BRO को strengthen करने की दिशा में तेज़ी से आगे बढ़ रहे हैं, मैं आश्वस्त हूं कि आने वाले समय में हमारे देश का कोई भी ऐसा इलाका शेष नहीं बचेगा जहाँ बुनियादी सुविधाएँ उपलब्ध न हों।
जब मैं बुनियादी सुविधाओं की बात कर रहा हूँ, तो इस अवसर पर मुझे एक घोषणा करते हुए भी बड़ी ख़ुशी हो रही हैI Remote areas में राहों के निर्माण में तो BRO लगातार कीर्तिमान स्थापित कर ही रहा है, पर इस बार राहगीरों को भी ध्यान में रखते हुए BRO ने एक नया कदम उठाया है। ये cafes, यात्रियों को खाने-पीने से लेकर, parking area, sitting area, Souvenir shops, Medical Inspection room और photo gallery जैसी सुविधाएँ उपलब्ध कराएँगेI यात्रियों के कारण रास्तों में जो गंदगी होती थी, इनके बन जाने से उससे भी निज़ात मिल सकेगा ऐसा मेरा मानना है।
ऐसे में आम लोग हों या हमारी सेना के लोग, उनकी सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए BRO ने सीमाई इलाकों में 75 स्थलों पर 'BRO cafe' स्थापित करने का सराहनीय निर्णय लिया है। BRO का यह कदम, एक ओर पर्यटन और क्षेत्रीय संस्कृति के प्रति sensitivity को बढ़ावा देगा, और दूसरी और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर प्रदान कर उनकी socio-economic स्थिति में भी सुधार करेगा। मैं इस अवसर पर एक बार पुन:, लेफ्टिनेंट जनरल राजीव चौधरी और इन सड़कों और पुलों के निर्माण-कार्य से जुड़े BRO के सभी personnel की प्रशंसा करता हूं, जिन्होंने सबसे कठिन इलाके और मौसम की प्रतिकूल परिस्थितियों के बावजूद राष्ट्र निर्माण के प्रति अपना दृढ़ संकल्प दिखाया है।
मुझे विश्वास है कि निर्माण और विकास की इस त्वरित गति से हम न केवल आने वाले समय में ऐसी कई और परियोजनाओं को पूरा होते देखेंगे, बल्कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' और 'मेक इन इंडिया' के सपने को साकार करने की दिशा में तेजी से काम करेंगे।
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