राजनाथ सिंह ने स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों 'सूरत' और 'उदयगिरी' को किया लॉन्च, जानें इस मौके पर क्या कुछ कहा

केंद्रीय रक्षामंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने आज मुंबई के मझगांव डॉक्स में स्वदेश निर्मित दो युद्धपोतों 'सूरत' और 'उदयगिरी' को लॉन्च किया। इस मौके पर राजनाथ सिंह ने कहा, भारतीय नौसेना द्वारा आयोजित, आईएमएस सूरत' और आईएनएस 'उदयगिरी' की launching ceremony में आप सभी के बीच उपस्थित होकर मुझे बेहद खुशी हो रही है। ऐसे ऐतिहासिक प्रदेश में, जो वीर शिवाजी, संभाजी, और कान्होजी जैसे नायकों की कर्मभूमि रही हो, इनकी लॉन्चिंग और भी महत्त्वपूर्ण हो जाती है।
हमारे देश की एक unique geographical Location (अद्वितीय भौगोलिक स्थिति) है। समुद्र के साथ हमारा बड़ा पुराना नाता रहा है। समुद्र ने एक तरफ हमें natural resources उपलब्ध कराकर हमें समृद्ध किया है, तो दूसरी ओर इसने हमें दुनिया भर से जोड़ने का भी काम किया है। सुप्रसिद्ध इतिहासकार जदुनाथ सरकार अपनी किताब 'Shivaji and His Times (शिवाजी और उनका समय)' में कहते हैं, कि 'Nothing proves Shivaji's genius as a born statesman more clearly than his creation of a Navy and Naval bases'.
आज, जब एमडीएसएल द्वारा निर्मित 'INS 'Udaygiri', और INS 'Surat' की सफलतापूर्वक launching हो रही है, तो इसमें कोई संदेह नहीं रह जाता है, कि आने वाले समय में हम न केवल अपनी जरूरतों के लिए, बल्कि दुनिया भर की जरूरतों के लिए भी shipbuilding करेंगे। आज हमारा देश, दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थशास्त्र में से एक है। तमाम चुनौतियों के बावजूद हमारे निर्यात लगातार नए कीर्तिमान कायम कर रहे हैं। भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच एक ऐतिहासिक द्विपक्षीय व्यापार समझौता यानि 'Economic Cooperation and Trade Agreement' sign किया गया है।
Indo-pacific, जहां से पूरी दुनिया भर का दो तिहाई से अधिक Oil Shipment होता है, एक तिहाई bulk cargo और आधे से अधिक container traffic गुजरते है। यानी यह क्षेत्र, पूरी दुनिया के अपने interests को प्राप्त करने में एक key route की भूमिका निभाता है। इस क्षेत्र में एक जिम्मेदार समुद्री हितधारक के रूप में भारत, सर्वसम्मति आधारित सिद्धांत और शांतिपूर्ण, खुला, नियम आधारित और स्थिर समुद्री व्यवस्था का समर्थक है। यदि कोई भी देश, मुख्य भूमि से दूर अपने आर्थिक या सामरिक हित को रक्षा करना करना चाहता है, तो उसे mainland से काफी दूर तक के क्षेत्रों में military power project करना आवश्यक हो जाता है।
आज जब हम एक स्ट्रोंग, सुरक्षित और समृद्ध भारत बनने की ओर आगे बढ़ रहे हैं, जो एक वैश्विक शक्ति के तौर पर मान्यता प्राप्त कर सके, तो हमारे इस प्रयास में भारतीय नौसेना की अहम भूमिका होगी। आत्मनिर्भरता के क्षेत्र में हमारी Navy की प्रगति के बारे में भी मैं अपनी कुछ बातें रखना चाहूंगा। हमारे लिए यह गर्व की बात है कि indigenized ships, और Submarines की manufacturing आदि में पहले से ही बहुत आगे रही है।
भारतीय नौसेना ने ने वर्ष 2014 में 76% AON, और 66% cost-basis Contracts Indian vendors को दिए हैं तथा लगभग 90% Naval Ammunition का indigenization हुआ है। इसके अतिरिक्त, पिछले पांच financial years से Navy के Modernization Budget का दो–तिहाई से अधिक भाग स्वदेशी खरीद पर खर्च किया गया है। यह हम सब के लिए ख़ुशी की बात है कि हमारी Navy द्वारा order किए गए 41 ships और submarines में से 39 Indian shipyards से हैं। यह Navy की 'आत्मनिर्भर भारत' के प्रति commitment का प्रमाण है। ndigenous Aircraft Carrier 'INS Vikrant' का development भी Navy की self-reliance की राह में एक मील का पत्थर है। मुझे इस बात की खुशी है, कि Covid के संकट के बावजूद Ship ने अपने आवश्यक trials पूरे कर लिए हैं।
आज Military साजो-सामान की मांग लगातार बढ़ रही है। ऐसे में, आज हमारे पास पूरा अवसर है, कि हम अपनी क्षमताओं का पूरा इस्तेमाल करें, नीतियों का लाभ उठाएं, और देश को indigenous shipbuilding hub बनाने की ओर आगे बढ़ें। सूरत नाम से launch हो रही यह ship भी, आने वाले समय में हमारी Navy के बेड़े में एक Diamond साबित होगी, ऐसा मेरा विश्वास हैI ऐसे में हमारे सामने खड़े इस ship का नाम 'सूरत' बड़ा ही उपयुक्त नाम है।
राजनाथ सिंह ने आगे कहा कि मुझे विश्वास है, कि INS 'उदयगिरि', जिसका नाम mountain range पर आधारित है, राष्ट्र के प्रति अपनी सेवाओं को पर्वत से भी ऊंचा ले जाएगा। मुझे यह भी विश्वास है, कि आने वाले वर्षों में INS सूरत, और INS उदयगिरि महासागरों पर गर्व के साथ हमारे ध्वज को बुलंदी से फहराएंगे। यह दोनों ships न केवल हमारी सामरिक ताकत, बल्कि हमारी आत्मनिर्भरता की ताकत से भी दुनिया को परिचित कराएंगे।
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