राजनाथ सिंह एनसीसी कैडेट्स से बोले- ब्रह्मांड की संपूर्ण शक्ति आपके भीतर है, इन गुणों को अपने अंदर विकसित करें

केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह (Rajnath Singh) ने शनिवार को वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से एनसीसी गणतंत्र दिवस शिविर 2022 के प्रतिभागियों को संबोधित किया। मेरी बड़ी इच्छा थी कि मैं हमारे NCC के Cadets से सीधा मिलूं और उनसे कुछ बातचीत करूं. पर अभी मैं कोविड पॉजिटिव हूं और आइशोलेसन और अन्य Protocals का पालन करने के कारण मुझे कहीं आने-जाने की मनाही है।
अपनी political journey शुरू करने से पहले, मैं एक student, एक Cadet और Physics का एक teacher भी रहा हूं। इसलिए जब-जब भी नेशनल कैडेट कोर के किसी event में जाने, और cadets से मिलने का अवसर मिलता है, तो मेरा पूरा प्रयास रहता है कि मैं ऐसा मौका हाथ से न जाने दूं। मेरे प्यारे कैडेट्स, आप लोग सर्दी, गर्मी और बरसात की तमाम मुश्किलों को पार करते हुए यहां तक पहुंचते हैं। देशभर के लाखों-करोड़ों बच्चों में से कुछ बच्चे ही एनसीसी ज्वाइन कर पाते हैं, और उनमें से भी बड़े कम बच्चे होते हैं जो इस रिपब्लिक डे कैंप तक पहुंच पाते हैं।
NCC अब तक आपके अंदर ऐसी qualities पैदा कर चुकी है, जो आपको एक complete person बनाने में सहायक होती हैं। इसने आपके अंदर एक लीडर, एक सैनिक, एक artist, एक musician, और इन सबसे ऊपर एक अच्छे इंसान के गुण पैदा किए हैं, जो मैं अपनी आँखों से साफ़ देख सकता हूं। मेरे प्यारे कैडेट्स, यहाँ मिलने वाली सीख, जैसे एकता, अनुशासन, सत्यपरायणता, साहस, सद्भाव, बंधुत्व और नेतृत्व जैसे गुण हमेशा से हमारे देश में मार्गदर्शक गुण रहे हैं, और इन्हीं गुणों को अपनाकर हमारे युवाओं ने समाज में एक महान आदर्श स्थापित किया है। आप सभी युवा प्रहलाद की कहानी जानते होंगे।
उनके पिता हिरण्यकश्यप ने तरह-तरह से उन्हें सच्चाई की राह पर चलने से रोकना चाहा। उन्हें कई प्रकार की प्रताड़नाएँ दी गईं। बावजूद इसके वे सत्यपरायणता और सच्चाई की राह से कभी विचलित नहीं हुए, और धैर्य और साहस के साथ अपनी राह चलते रहे। प्रह्लाद ने हमें दिखाया कि समाज में अन्याय का कोहरा कितना भी घना हो, मानव अपने मूल्यों और आत्मिक शक्ति के सूरज के सहारे उसे चीरकर अपनी नई राह बना सकता है।
इसी तरह आप सभी जगद्गुरु शंकराचार्य के बारे में भी अवगत होंगे। केरल के एक छोटे से गांव में जन्मे इस युवा संन्यासी ने धर्म, अध्यात्म, दर्शन और विचार के संयोग से पूरी भारतीयता की अवधारणा को दुनिया के सामने रखा। यह सर्वमान्य है, कि विचार के आधार पर ही सभ्यताएं, संस्कृतियां और शासन आगे बढ़ा करते हैं। मुझे यह कहते हुए गर्व होता है, कि हमारे देश में वर्तमान में जो सांस्कृतिक और राजनीतिक अवधारणा विद्यमान है, इसको आज से हजार वर्ष पहले एक युवा संन्यासी शंकराचार्य ने सुदृढ़ किया था।
ये सब हमें क्या सिखाते हैं? ये सभी हमें बताते हैं कि एक उद्देश्य, एक vision, मन में हमेशा कुछ नया सीखने, और करने की ललक हो, तो एक सामान्य बालक भी प्रहलाद, शंकराचार्य और स्वामी विवेकानंद बन सकता है। मायने अगर कुछ रखता है तो वह यह, कि इन्होंने अपने समाज और राष्ट्र के लिए क्या किया। मायने यह रखता है कि उन्होंने तत्कालीन समाज को ऐसी राह दिखाई, जो आज भी हमारे लिए guiding light का काम कर रही है। नेशनल कैडेट कोर का भी उद्देश्य यही है, कि वह आपके अंदर उन गुणों को विकसित करे।
यकीन मानिए कि आप जीवन में बड़े से बड़ा लक्ष्य भी अपनी मेहनत और लगन के दम पर प्राप्त कर सकते हैं। जरूरत है तो नए, और बड़े सपने देखने की, उस पर पूरे मनोयोग से काम करने की, और सबसे महत्वपूर्ण, अपने विचारों के बंधन को तोड़ कर आगे बढ़ने की। स्वामी विवेकानंद जी कहते हैं 'You are lions, you are souls, pure, infinite, and perfect. The might of the universe is within you. यानी 'आप भी शेर हैं, आप आत्मा हैं, शुद्ध, अनंत और परिपूर्ण हैं। ब्रह्मांड की संपूर्ण शक्ति आपके भीतर है।
बायजू रविंद्रन, रितेश अग्रवाल, फाल्गुनी नायर और अंकिति बोस जैसे अनेक young entrepreneurs हैं, जिन्होंने कम उम्र में ही अपनी क्षमता को पहचाना, और अपने start-up शुरू कर अपने जीवन, और Indian economy में नए अध्याय जोड़ रहे हैं। इसके अलावा उन्होंने कहा कि मेरी उम्र के किसी व्यक्ति के लिए आपकी उम्र और क्षमता के इतने सारे युवा और होनहार लड़कों और लड़कियों से सीधे बात करने में सक्षम होना दुर्लभ है। लेकिन यह मेरे कार्यालय के लाभों में से एक है कि मुझे अपने देश के युवाओं के साथ जुड़ने का यह जबरदस्त अवसर मिलता है।
कुछ पंक्तियाँ आपके लिए:
उठो धरा के अमर सपूतों, पुनः नया निर्माण करो।
जन-जन के जीवन में फिर से, नई स्फूर्ति, नव प्राण भरो।
नया प्रात है, नई बात है, नई किरण है, ज्योति नई।
नई उमंगें, नई तरंगे, नई आस है, साँस नई।
युग-युग के मुरझे सुमनों में, नई-नई मुसकान भरो।
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