भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा राम मंदिर तैयार, बनने में लगेगा इतना वक़्त

उत्तर प्रदेश के अयोध्या में विराजे रामलला के मंदिर का निर्माण शुरू हो चुका है। इसका निर्माण भारत की प्राचीन निर्माण पद्धति से किया जा रहा है। श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के मुताबकि, राम मंदिर को 36 से 40 महीने में बनकर तैयार हो सकता है।
श्रीराम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने गुरुवार को बताया कि निर्माणकर्ता कम्पनी L&T के इंजीनियर सीबीआरआई रुड़की और आईआईटी मद्रास के साथ मिलकर राम जन्मभूमि मन्दिर के जमीन के मिट्टी परीक्षण के काम में लगे हुए हैं।
इस परीक्षण में कंपनी ने आईआईटी चेन्नई की भी सलाह ली है। यहां की भूमि के 60 मीटर गहराई तक की मिट्टी की जांच हुई है। इसका कारण है कि इस मंदिर को भूकंप समेत अन्य आपदा से लड़ने में कामयाब बना सके यानी यहां की मिट्टी भूकंप के झटकों को झेल सकेगी।
मंदिर निर्माण में लोहे के जगह तांबे का होगा प्रयोग
इसके अलावा मन्दिर के निर्माण में लोहे का प्रयोग न कर, तांबे का प्रयोग किया जा रहा है। मंदिर निर्माण में 10,000 तांबे की पत्तियां और रॉड की आवश्यकता होगी। इसके लिए कोई आम जनता भी तांबे की पत्तियां और रॉड दान कर सकता है।
राम मंदिर का एरिया करीब तीन एकड़ का होगा। चंपत राय ने आगे कहा कि सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हर साल दो करोड़ लोग अयोध्या घूमने आते हैं। राम मंदिर बनने के बाद यह आंकड़ा काफी बढ़ जाएगा। इसीलिए सरकार बस, रेल, हवाई जहाज आदि जैसी सुविधाओं पर विचार कर रही है।
वहीं, हेलीकॉप्टर उतारने के लिए हवाई पट्टी की भी योजना पर मुहर लग सकती है।
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