राम मंदिर निर्माण पर आरएसएस की बैठक, मोहन भागवत की मौजूदगी में तय होगी योजना

'राम मंदिर' निर्माण का भूमि पूजन 3 से 5 अगस्त के बीच अयोध्या में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने से पहले संघ के नीति निर्धारक भोपाल में जुटेंगे। यहां संघ के राष्ट्रीय पदाधिकारी दो दिन तक मंथन करेंगे। संघ के सरकार्यवाह भैयाजी जोशी और कुछ दूसरे पदाधिकारी पहले ही भोपाल पहुंच चुके हैं। सरसंघचालक और दूसरे अखिल भारतीय पदाधिकारी आने वाले हैं। सोमवार से शुरू होने जा रही इस चिंतन मंथन बैठक में संघ के 20 से ज्यादा प्रमुख राष्ट्रीय पदाधिकारी देश दुनिया के बदलते हालात और चुनौतियों पर चिंतन - मंथन करेंगे।
पिछले दिनों भोपाल से भैया जी जोशी की मौजूदगी में वीडियो कांफ्रेंस के जरिए दिल्ली, नागपुर और दूसरे स्थानों पर मौजूद रहकर पदाधिकारी पहले भी विचार-विमर्श कर चुके हैं। जब कोरोना काल में शीर्ष नेतृत्व के जिम्मेदार पदाधिकारियों का प्रवास स्थगित कर दिया गया था। संघ के मध्य प्रदेश समेत राष्ट्रीय पदाधिकारी क्वारंटाइन रह चुके हैं। इस बार एक साथ एक स्थान पर टीम भागवत प्रत्यक्ष तौर पर इकट्ठी होगी।
संघ की इस बैठक से पहले राम जन्मभूमि तीर्थ ट्रस्ट की दूसरी बैठक शनिवार को संपन्न हो चुकी है, जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से 3 और 5 अगस्त की 2 तारीख में से सुविधानुसार राम मंदिर के भूमि पूजन का न्योता भेजा जा चुका है, अब प्रधानमंत्री को अंतिम फैसला लेना है। कोरोना संकट के चलते संघ का एजेंडा कुछ समय के लिए पीछे चला गया था, लेकिन अब संघ एक बार फिर चिंतन करने जा रहा है। संघ राम मंदिर निर्माण को यादगार बना इतिहास में दर्ज करने के लिए रणनीति तैयार करने जा रही है। जिससे आने वाली पीढ़ी संघ उसके वैचारिक संगठन और भाजपा की भूमिका को याद रखे सके।
कोरोना संकट में आनुषांगिक संगठनों की भूमिका पर रिपोर्ट
संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारी जिन्हें संघ का नीति निर्धारक भी माना जाता, कोरोना के कहर के बीच देश के हृदय क्षेत्र, मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में इकट्ठे हो रहे हैं। टीम भागवत की इस विस्तारित बैठक में संघ की अपनी कार्य पद्धति में समय के साथ आवश्यक सुधार पर चिंतन किया जाएगा, तो कोरोनाकाल में अनुषांगिक संगठनों के योगदान अपने प्रचारकों और स्वयंसेवकों की भूमिका की रिपोर्ट भी पेश की जाएगी।
इससे पहले संघ की प्रतिनिधि सभा की बैठक के साथ कार्यकारिणी मंडल की बैठक भी कोरोना के कारण नहीं हो सकी थी। कोरोना के चलते सरसंघचालक, सरकार्यवाह और सह कार्यवाह के राष्ट्रीय स्तर कार्यक्रम के राज्यों के पूर्व निर्धारित दौरे भी प्रभावित हुए हैं। लंबे अरसे बाद कोरोनावा महामारी के कारण संघ की दैनिक शाखा, साप्ताहिक मिलन समारोह और प्रशिक्षण कार्यक्रम के साथ प्रचारकों के चयन करने वाले राष्ट्रीय प्रशिक्षण कार्यक्रम भी आयोजित नहीं हो पाए हैं। अब टीम भागवत का मुख्य फोकस राजनीतिक परिवेश पर रहेगा, जिसमें वह बदलती दुनिया में भारत के लिए चुनौती को चिन्हित कर अपने रोडमैप को अंतिम रूप दे सकता है।
चीन से सीमा विवाद पर भी होगा विमर्श -
एक तरफ कोरोनावायरस की आपदा के चलते दुनियाभर के देशों में चीन के खिलाफ आक्रोश है। इसी दौरान अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत और चीन के बीच सीमा विवाद चल रहा है। चीन की रणनीतिक के चलते ही भारत और नेपाल के बीच राजनीतिक टकराव की स्थिति है। ऐसे में संघ के मंथन में यह मुद्दे भी प्रमुख होंगे, जिनका केंद्र बिंदु चीन है। पिछले दिनों भोपाल से भैयाजी जोशी की मौजूदगी में राष्ट्रीय पदाधिकारियों से वीडियो कॉन्फ्रेंस पर हुई चर्चा के दौरान भी चीन का मुद्दा सामने आया था।
यही नहीं उसके बाद मोदी सरकार के चुनिंदा वरिष्ठ मंत्रियों की मौजूदगी में संघ के अखिल भारतीय पदाधिकारियों से महत्वपूर्ण चर्चा भी हो चुकी है। चीन के मुद्दे को लेकर जनता में भी नाराजगी है, ऐसे में जनता के फीडबैक को भी संघ की मंथन बैठक में विमर्श के लिए रखा जाएगा। राष्ट्र को प्रभावित करने वाले तमाम मुद्दों के चलते संघ की भोपाल चिंतन मंथन बैठक के महत्व से इंकार नहीं किया जा सकता। इस बैठक में अंतिम दिन भाजपा के राष्ट्रीय संगठन महामंत्री बीएल संतोष भी भोपाल पहुंच सकते हैं। तो निश्चित तौर पर राजनीतिक मुद्दे पर भाजपा द्वारा आने वाले समय में लिए जा रहे फैसलों पर भी चर्चा से इंकार नहीं किया जा सकता।
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