Republic Day की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को किया संबोधित, यहां पढ़ें उनका पूरा अभिभाषण

राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ramnath Kovidn) 73वें गणतंत्र दिवस (73th Republic Day) की पूर्व संध्या पर देश की जनता को संबोधित कर रहे हैं। इस मौके पर राष्ट्रपति ने कहा कि हर साल गणतंत्र दिवस पर हम अपने गतिशील लोकतंत्र और राष्ट्रीय एकता की भावना का जश्न मनाते हैं। महामारी के कारण इस वर्ष के समारोहों में भले ही कम धूमधाम हो।लेकिन हमारी आत्मा हमेशा की तरह मजबूत है।
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने भारत के 73वें गणतंत्र दिवस को मनाने के लिए देशवासियों को बधाई दी। राष्ट्रपति ने कहा कि इस वर्ष के समारोह विशेष हैं। क्योंकि यह गणतंत्र दिवस स्वतंत्रता के 75वें वर्ष में आया है। जिसे पूरे देश में 'आजादी का अमृत महोत्सव' के रूप में मनाया जा रहा है। राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद ने कहा कि हम बेहद भाग्यशाली हैं कि उस युग की सर्वश्रेष्ठ हस्तियों ने हमारे संविधान को बनाने वाली सभा में प्रतिनिधित्व किया। वे हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख ध्वजवाहक थे। गणतंत्र दिवस का यह दिन उन महान वीरों को याद करने का भी अवसर है जिन्होंने स्वराज के सपने को साकार करने के लिए अतुलनीय साहस दिखाया और इसके लिए लड़ने के लिए देशवासियों के उत्साह को जगाया।
यहां देखें राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद का गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या पर पूरा संबोधन...
देश को संबोधित करते हुए रामनाथ कोविंद ने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई कि भारत ने विश्व की शीर्ष 50 'नवीन अर्थव्यवस्थाओं' में जगह बना ली है। यह उपलब्धि और भी संतोषजनक है कि हम व्यापक समावेश पर जोर देकर योग्यता को बढ़ावा देने में सक्षम हैं। आगे कहा कि पिछले महीने एक दुर्भाग्यपूर्ण दुर्घटना में हमने देश के सबसे बहादुर कमांडरों में से एक जनरल बिपिन रावत, उनकी पत्नी और कई बहादुर सैनिकों को खो दिया। दुखद नुकसान से पूरा देश गहरा दुखी था।
पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह हमारी सीमाओं की सुरक्षा करने वाले सशस्त्र बलों की निरंतर निगरानी और देश के भीतर आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने वाले पुलिस कर्मियों के लिए धन्यवाद है कि उनके साथी नागरिक शांतिपूर्ण जीवन का आनंद लेते हैं। जब एक वीर जवान की ड्यूटी पर मौत होती है, तो पूरे देश को दुख होता है। आगे कहा कि हम बड़े सौभाग्यशाली हैं कि जिस संविधान सभा ने दस्तावेज तैयार किया। उसमें उनकी पीढ़ी के कुछ बेहतरीन दिमाग शामिल थे। वे हमारे महान स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख प्रकाशस्तंभ थे।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि दो दिन पहले 23 जनवरी को हम सभी ने नेताजी सुभाष चंद्र बोस की 125वीं जयंती मनाई। जिन्होंने जय-हिंद जैसे नारे को दिया था। स्वतंत्रता की उनकी खोज और भारत को गौरवान्वित करने की उनकी महत्वाकांक्षा हम सभी को प्रेरित करती है। इस अवसर पर आइए हम उन महान स्वतंत्रता सेनानियों को भी याद करें, जिन्होंने स्वराज के सपने को साकार करने में अतुलनीय साहस दिखाया और लोगों को इसके लिए लड़ने के लिए प्रेरित किया। राष्ट्रपति ने कहा कि आज यह हमारे सैनिक और सुरक्षाकर्मी हैं, जो राष्ट्रीय गौरव की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। हिमालय की असहनीय ठंड में और रेगिस्तान की भीषण गर्मी में अपने परिवारों से दूर मातृभूमि की रक्षा करना जारी रखते हैं।
भारत को इसका संविधान 26 जनवरी 1950 को मिला था। इसी दिन भारतीय संविधान लागू हुआ था और इसके साथ ही भारत एक संप्रभु राज्य बन गया था, जिसे एक गणतंत्र घोषित किया गया था। डॉ बीआर अंबेडकर ने संविधान की मसौदा समिति की अध्यक्षता की। गणतंत्र घोषित किया गया था, इसलिए इस दिन को गणतंत्र दिवस के रूप में मनाया जाता है।
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