पहली बार गरुड़ कमांडो गणतंत्र दिवस पर दिखाएंगे अपना दम, जानिए इनके बारें में सबकुछ....

पहली बार गरुड़ कमांडो गणतंत्र दिवस पर दिखाएंगे अपना दम, जानिए इनके बारें में सबकुछ....
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इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुछ नया देखने को मिलेगा, क्योंकि पहली बार इसमें भारतीय वायुसेना के गरूड़ कमांडो शामिल हो रहे हैं। ये दुनिया के सबसे बेहतरीन कमांडो में से एक माने जाते हैं। इनकी ट्रेनिंग लंबे समय तक चलने वाली ट्रेनिंग होती है। इनकी ट्रेनिंग लगभग 72 हफ्तों की होती है।

इस बार गणतंत्र दिवस के अवसर पर कुछ नया देखने को मिलेगा, क्योंकि पहली बार भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो इसमें शामिल हो रहे हैं। ये दुनिया के सबसे बेहतरीन कमांडो में से एक माने जाते हैं। इनकी ट्रेनिंग लंबे समय तक चलने वाली ट्रेनिंग होती है। इनकी ट्रेनिंग लगभग 72 हफ्तों की होती है। जिसके बाद ये दुनिया के खतरनाक कमांडो की फेहरिस्त में शामिल होते है। आइए जानते हैं इन कमांडो के बारे में पूरी डिटेल...

इस साल भारत देश 74 वां गणतंत्र दिवस मनाने जा रहा है इसमें कर्तव्य पथ पर अनेक तरीके के कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे, कई झांकियां भी देखने को मिलेगीं। लेकिन इस साल सबसे अनोखी बात ये है कि भारतीय वायुसेना के गरुड़ कमांडो भी इसमें शामिल हो रहे हैं। गरुड़ कमांडो इंडियन एयरफोर्स की स्पेशल खतरनाक फोर्स है। इस फोर्स का गठन 2004 में किया गया था। इनका मुख्य काम एयर असॉल्ट, एयर ट्रैफिक कंट्रोल, क्लोज प्रोटेक्शन, सर्च एंड रेस्क्यू, आतंकरोधी अभियान, डायरेक्ट एक्शन, एयरफील्ड की सुरक्षा आदि है।

गरुड़ कमांडो की ट्रेनिंग

भारत में फिलहाल के समय में 1780 गरुड़ कमांडो हैं। इनको मजबूत बनाने के लिए सख्त ट्रेनिंग कराई जाती है। ट्रेनिंग इतनी सख्त होती है कि ट्रेनिंग लेने वालों में से 30 फीसदी ट्रेनी शुरुआती 3 महीनों में ही ट्रेनिंग छोड़ देते हैं। इनकी ट्रेनिंग लगभग 72 हफ्तों की होती है। गरुड़ कमांडो रात में पानी और हवा में मार करने में पूरी तरह से तत्पर रहते है। गरुड़ कमांडो दुश्मन का मुकाबला करने के लिए हमेशा तैयार रहते हैं। ये सभी प्रकार के हथियार चलाने में माहिर होते हैं। इनमें एके 47, आधुनिक एके-103, सिगसोर, तवोर असॉल्ट राइफल, आधुनिक निगेव LMG शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर के एयरबेस पर जब 2001 में हमला हुआ, तब एक विशेष प्रकार के बल की आवश्यकता महसूस हुई। इसके बाद 2004 में एयरबेस की सुरक्षा के लिए गरुड़ कमांडो के दस्ते का गठन किया गया, ताकि एयरबेस की पुख्ता सुरक्षा की जा सके।

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