Same Sex Marriage: केंद्र का SC में हलफनामा, कहा- राज्यों की भी सुनें

Same Sex Marriage: केंद्र का SC में हलफनामा, कहा- राज्यों की भी सुनें
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समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) के मामले पर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में सुनवाई जारी है। इस दौरान केंद्र सरकार ने कोर्ट में एक और हलफनामा दायर किया है और कहा कि इस मामले में राज्यों के पक्ष को भी सुना जाना चाहिए। पढ़िये रिपोर्ट...

समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) को कानूनी मान्यता दी जाए, इसको लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में याचिकाएं दायर की गईं थी। इसकी सुनवाई जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली संविधान पीठ कर रही है। समलैंगिक विवाह के मामले में मंगलवार को भी सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई थी। आज फिर इस मामले की सुनवाई जारी है। केंद्र सरकार की तरफ से पक्ष रख रहे सॉलिसिटिर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि ये समलैंगिक विवाह (Same Sex Marriage) का मामला सामाजिक मुद्दा है और इसका निर्णय संसद में लिया जाना चाहिए। केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर किया है कि वह इस मामले में सभी राज्यों का पक्ष जानें।

केंद्र ने राज्यों को लिखा पत्र

केंद्र सरकार ने पहले सुप्रीम कोर्ट से अनुरोध किया था कि समलैंगिक जोड़े के लिए शादी करने के अधिकार की मांग करने वाली याचिकाओं पर कार्यवाही में सभी राज्यों के पक्ष को भी जानना चाहिए, लेकिन कोर्ट ने इस अनुरोध को अस्वीकार कर दिया। हालांकि इसके बाद अब केंद्र सरकार ने राज्यों को पत्र लिखकर इस मामले पर उनका पक्ष जानने का विचार किया है। साथ ही, इस मामले पर केंद्र सरकार (Central Government) का कहना है कि राज्यों के साथ विचार करने और कोर्ट के सामने उन्हें रखने की इजाजत मिलनी चाहिए और यह भी कहा कि तब तक के लिए सुनवाई को टाल दिया जाए। याचिकाकर्ता पक्ष के वकील मुकुल रोहतगी (Mukul Rohatgi) ने इस पत्र का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि केंद्रीय कानून को चुनौती दी गई है। राज्यों को नोटिस जारी करना जरूरी नहीं है।

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समलैंगिक विवाह को मान्यता देने से विवाह की न्यूनतम आयु कैसे प्रभावित होगी

पांच जजों की संविधान पीठ इस बात पर चर्चा कर रही है कि कानून के तहत पुरुषों और महिलाओं के लिए शादी की न्यूनतम उम्र अलग-अलग है। यह महिलाओं के लिए 18 साल और पुरुषों के लिए 21 साल है। यदि समान-लिंग विवाह को मान्यता दी जाती है, तो यह कैसे प्रभावित होगा।

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