Same-Sex Marriage: समलैंगिक विवाह को मिलेगी मान्यता? Supreme Court इस दिन सुनाएगा फैसला

Same-Sex Marriage: भारत में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिलनी चाहिए या नहीं, इस पर सुप्रीम कोर्ट मंगलवार यानी 17 अक्टूबर को अपना फैसला सुनाएगा। कोर्ट सुबह साढ़े दस बजे फैसला सुना सकता है। सुप्रीम कोर्ट में दाखिल याचिकाओं में सेम सेक्स मैरिज (समलैंगिक विवाह) मामले में 10 दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सीजेआई डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस एसके कौल, एसआर भट्ट, हिमा कोहली और पीएस नरसिम्हा की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने 11 मई को मामले में 10 दिनों की सुनवाई के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया था।
सुनवाई के दौरान, मुकुल रोहतगी, अभिषेक मनु सिंघवी, राजू रामचंद्रन, आनंद ग्रोवर, गीता लूथरा, केवी विश्वनाथन, सौरभ किरपाल और मेनका गुरुस्वामी सहित वरिष्ठ वकीलों के माध्यम से याचिकाकर्ताओं ने राज्य की मान्यता प्राप्त करने के लिए LGBTQIA+ के समानता अधिकारों पर जोर दिया था।
इसको लेकर याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट में सामाजिक सुरक्षा और अन्य कल्याणकारी लाभों तक समुदाय की पहुंच सुनिश्चित करने के अलावा, उनके संघों को गरिमा प्रदान करने के लिए विशेष विवाह अधिनियम (SMA) के तहत समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता देने की मांग की थी।
केंद्र सरकार ने किया विरोध
वहीं, केंद्र सरकार ने कानूनी मान्यता के लिए याचिका का विरोध करते हुए तर्क दिया है कि भारत की विधायी नीति ने पुरुष और महिला के बीच संबंध को मान्य किया है और इस मुद्दे पर निर्णय लेना केवल संसद का काम है। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि समलैंगिक शादी को कानूनी दर्जा देने का असर सब पर पड़ेगा। केंद्र के इस तर्क पर सीजेआई चंद्रचूड़ ने कहा कि सरकार के पास कोई ऐसा डाटा नहीं है, जो यह बताए कि सेम सेक्स मैरिज की मांग सिर्फ शहरी वर्ग तक ही सीमित है।
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