Sanatana Dharma विवाद पर मद्रास HC की टिप्पणी, कहा- अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरत फैलाना नहीं...

Sanatana Dharma विवाद पर मद्रास HC की टिप्पणी, कहा- अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब नफरत फैलाना नहीं...
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Sanatana Dharma Row: तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म विवाद के बीच मद्रास हाई कोर्ट ने कहा कि स्वतंत्र भाषण एक मौलिक अधिकार है, लेकिन यह ध्यान रखा जाए कि इसे नफरती भाषण में ना बदला जाए।

Sanatana Dharma Row: तमिलनाडु के सीएम एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन के सनातन धर्म पर दिए गए विवादित बयान के बाद भारतीय जनता पार्टी ने इंडिया गठबंधन की आलोचना की है। इसी बीच, मद्रास हाई कोर्ट ने भी आज मामले पर अहम टिप्पणी करते हुए कहा कि स्वतंत्र भाषण एक मौलिक अधिकार है, लेकिन इसे नफरती भाषण में तब्दील नहीं किया जाना चाहिए। इसका उस समय ज्यादा ध्यान दिया जाना चाहिए, जब यह धर्म के मामले से संबंधित हो।

मद्रास हाई कोर्ट ने की अहम टिप्पणी

एक याचिका पर सुनवाई करते हुए मद्रास हाई कोर्ट के जस्टिस एन शेषशायी ने कहा कि ऐसा लगता है कि एक विचार ने जोर पकड़ लिया है कि सनातन धर्म पूरी तरह से जातिवाद और छुआछूत को बढ़ावा देने के बारे में है। लेकिन छुआछूत को अब किसी भी तरह से बर्दाश्त नहीं किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जब धर्म से संबंधित मामलों में अभिव्यक्ति की आजादी का उपयोग किया जाता है तो यह ध्यान रखा जाना चाहिए कि इससे किसी भी व्यक्ति को ठेस ना पहुंचे। अभिव्यक्ति की आजादी का मतलब हेट स्पीच नहीं हो सकती है।

जस्टिस ने इस बात पर जोर दिया कि स्वतंत्र भाषण की स्वतंत्रता संविधान के 19(1) अनुच्छेद में दी गई है। हालांकि, स्वतंत्र भाषण के मौलिक अधिकार को नफरत फैलाने वाले भाषण में तब्दील नहीं किया जाना चाहिए, खासकर जब यह धर्म के मामलों से संबंधित हो। साथ ही, कोर्ट ने याचिकाकर्ता से सवाल करते हुए कहा कि क्या एक व्यक्ति को अपने देश से लगाव नहीं होना चाहिए।

मद्रास हाई कोर्ट की यह टिप्पणी तमिलनाडु के मंत्री उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म के खिलाफ की गई हालिया टिप्पणियों के मद्देनजर आई है। मंत्री को भारी विरोध का सामना करना पड़ा और उन्होंने सनातन धर्म की तुलना डेंगू और मलेरिया जैसी बीमारियों से करके राजनीतिक हलचल मचा दी थी। बीजेपी के कई नेताओं और सांसदों ने नेता की जमकर आलोचना की थी।

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