Punjab Government VS Governor: पंजाब के राज्यपाल से सुप्रीम कोर्ट नाराज, कहा-आप आग से खेल रहे

Punjab Government VS Governor: सुप्रीम कोर्ट ने विधानसभा द्वारा पारित विधेयकों को मंजूरी देने में देरी को लेकर शुक्रवार यानी आज पंजाब के राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित को चेताया है। कोर्ट ने कहा कि कि आप आग से खेल रहे हैं। यह लोकतंत्र है। जनप्रतिनिधियों की तरफ से पास किए गए बिल को लटकाया नहीं जा सकता है। साथ ही, कहा कि आप यह नहीं कह सकते कि विधानसभा का सत्र ही गलत था। केंद्र की तरफ से कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल ने कहा कि सभी बिलों को एक हफ्ते के अंदर क्लियर कर दिया जाएगा।
Supreme Court will continue after lunch hearing on the Punjab Govt plea against the Governor for delaying granting assent to bills. SC remarks if democracy has to work, it has to work in the hands of the CM and Governor as well and one cannot defeat the rules of the legislative… pic.twitter.com/XxlbQdFf6C
— ANI (@ANI) November 10, 2023
सुप्रीम कोर्ट ने कहा- राज्यपाल और सरकार के गतिरोध से नाखुश
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राज्यपाल यह कैसे कह सकते हैं कि जो विधेयक पारित हो चुका है उस पर सहमति नहीं दी जा सकती क्योंकि विधानसभा सत्र अमान्य है। आप जो कर रहे हैं उसकी गंभीरता का एहसास है। आप आग से खेल रहे हैं। अदालत ने आगे कहा कि लोकतंत्र को मुख्यमंत्री के हाथों और राज्यपाल के हाथों में काम करना होगा। सुप्रीम कोर्ट पंजाब सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था जिसमें राज्यपाल पर सात प्रमुख विधेयकों को दबाए रखने का आरोप लगाया गया था। सीजेआई ने कहा कि हमारा देश स्थापित परंपराओं पर चल रहा है और उनका पालन करने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने विधासभा सत्र को वैध बताया
सुप्रीम कोर्ट ने पंजाब विधानसभा द्वारा 19 जून और 20 जून को कराई गई विधानसभा को वैध बताया है। SC का कहना है कि पंजाब के राज्यपाल को अब सहमति के लिए प्रस्तुत बिलों पर निर्णय लेने के लिए आगे बढ़ना चाहिए, जो 19-20 जून 2023 को आयोजित सदन द्वारा पारित किए गए थे जो संवैधानिक रूप से वैध थे।
पिछली सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे मुद्दों को हल करने के लिए राज्यपालों और मुख्यमंत्रियों को थोड़ा आत्ममंथन करने को कहा था। सुप्रीम कोर्ट ने राज्यपालों द्वारा प्रमुख विधेयकों को तब तक रोके रखने पर नाराजगी व्यक्त की थी जब तक कि राज्य सरकारें हस्तक्षेप के लिए शीर्ष अदालत में नहीं पहुंच गईं।
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