Arnab Goswami: आत्महत्या मामले में सुप्रीम कोर्ट से अर्नब को राहत, जमानत नहीं देकर हाईकोर्ट ने की गलती

रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के खिलाफ महाराष्ट्र पुलिस द्वारा दर्ज आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। इस सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अर्नब गोस्वामी के खिलाफ एफआईआर का मूल्यांकन करने से उनके खिलाफ आत्महत्या के लिए कोई अभियोग स्थापित नहीं होता है।
एफआईआर पर प्रथम दृष्टया विचार, आरोपों की प्रकृति और गोस्वामी के खिलाफ आरोप के स्तर पर हाईकोर्ट ने ध्यान नहीं दिया। हाईकोर्ट ने इस मामले में जमानत नहीं देकर गलती की है। इस मामले की सुनवाई न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ ने की।
न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि 11 नवंबर को गोस्वामी और अन्य को दी गई अंतरिम जमानत तब तक लागू रहेगी जब तक कि बॉम्बे हाईकोर्ट एफआईआर को रद्द करने के लिए दाखिल याचिकाओं पर फैसला नहीं सुनाता।
SC passes order giving detailed reasons for interim bail granted to Republic TV editor-in-chief Arnab Goswami on Nov 11 in the abetment to suicide case, and says that prima facie evaluation of FIR lodged by Maharashtra police doesn't establish the charge against him
— ANI (@ANI) November 27, 2020
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हाईकोर्ट के फैसले के बाद भी उनकी जमानत 4 सप्ताह तक लागू रहेगी। ताकि इस बीच अगर हाईकोर्ट उनकी दलीलों को खारिज कर देती है तो SC में याचिका दाखिल कर सकें। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि यह देखने की जरूरत है कि क्या आरोपी सबूतों से छेड़छाड़ कर सकता है, या क्या आरोपी भाग सकता है, या क्या अपराध की सामग्री राज्य के हितों के साथ बनाई गई है।
यहां मामला एक नागरिक की स्वतंत्रता का है। अगर किसी के स्वतंत्रता का हनन होता है तो यह कानून का दुरुपयोग होगा। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि उन नागरिकों के लिए इस अदालत के दरवाजें बंद नहीं किए जा सकते, जिन्होंने प्रथम दृष्टया यह दिखाया है कि राज्य ने अपनी शक्ति का दुरुपयोग किया।
इसलिए अदालतों को यह सुनिश्चित करना होगा कि राज्य आपराधिक कानून का इस्तेमाल नागरिकों को परेशान करने या उनकी स्वतंत्रता को खतरे में डालने के लिए एक हथियार न बनें।बता दें कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने अर्नब को जमानत देने से इनकार कर दिया था।
जिसके बाद अर्नब सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था। जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ और जस्टिस इंदिरा बनर्जी की बेंच ने आत्महत्या के लिए उकसाने मामले में सुनवाई के बाद 11 नवंबर को रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी की ओर से दायर जमानत याचिका पर अंतरिम जमानत दी थी।
इस मामले में दो अन्य आरोपी नीतीश सारदा और फिरोज मोहम्मद शेख को 50-50,000 रुपये के निजी मुचलके पर अंतरिम जमानत दी थी।
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